गण और तंत्र के बीच बढ़ता फासला

26 जनवरी 2018 को हमारे देश का संविधान लागू हुए 68 साल हो जायेंगे| अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी हासिल करने के बाद हमने देश को अपनी तरह से चलाने के लिए अपने संविधान की रचना की थी| हमारा यह संविधान महज कागजी दस्तावेज नहीं है वरन इसमें समाहित तमाम कायदे –क़ानून नियम –निर्देश पूरे देश … Read more

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तेज दौड़ने के लिए जरूरी है धीमी रफ़्तार

एक पुरानी अंग्रेजी कहावत है ,“go slow to go fast “अगर आप आगे बढ़ना चाहते हैं तो अपनी शुरूआती गति थोड़ी धीमी रखिये | आपको सुनने में बहुत अजीब लग रहा होगा | पर याद करिए बचपन में पढ़ी कछुए और खरगोश की कहानी | कछुआ धीमे चलता है और रेस जीत जाता है | … Read more

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क्या आप जानते हैं सफलता के इको के बारे में ?

ओमकार मणि त्रिपाठी  ( पूर्व प्रकाशित )  मैं समुद्र के किनारे बैठा हुआ था  | लहरे आ रही हैं जा रही थीं  | बड़ा ही मनोरम दृश्य था  | पास में कुछ बच्चे खेल रहे थे  | एक बच्चे के हाथ से नारियल छूट कर गिर गया  | लहरें उसे दूर ले गयीं  | बच्चा … Read more

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जमीन में गड़े हैं / jameen mein gade hain

                                                               एक बच्चा था | वह किसी गाँव में अपने माता – पिता व् दादी के साथ रहता था | उनका परिवार  सामान्य था | … Read more

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एक गुस्सैल आदमी

उसे बात – बात पर गुस्सा आता था क्योंकि उसे लगता था कुछ भी ठीक नहीं है वह टकराना चाहता था व्यवस्था से यहाँ तक की ईश्वर से जिसने किया है इतना भेद – भाव आदमी और आदमी में जब हुंकारता व्यवस्था के खिलाफ उसके चारों और खड़ी  हो जाती एक भीड़ जिसे यकीन था … Read more

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आलोचना पर ओमकार मणि त्रिपाठी के 11 अनमोल विचार

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उ त्तर प्रदेश के कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया से ओमकार मणि त्रिपाठी की विशेष बातचीत

उ त्तर प्रदेश के कारागार मंत्री बलवंत सिंह रामूवालिया से विशेष साक्षात्कार पदों का संक्षिप्त ब्यौरा महासचिव- स्टूडंेट फेडरेशन आॅफ इंडिया (1963.64) अध्यक्ष-अखिलभारतीय सिख छात्र संघ (1968 .1972) व पंजाबी भलाई मंच प्रचार सचिव-शिरोमणि अकाली दल (1975.77. 1980 .82) महासचिव-शिरोमणि अकाली दल (1985.87) नेता शिरोमणि अकाली दल ग्रुप-आठवीं लोकसभा केन्द्रीय मंत्री-समाज कल्याण विभाग (1996-98) राजनीतिक … Read more

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ऊर्जावर्धक होती है सकारात्मक और सार्थक सोच

हमारे जीवन की वर्तमान दशा और दिशा ही हमारा भविष्य तय करती हैं. इंसान सोचता मन से है और करता अपने तन से है  यानी जीवन की सरिता तन और मन जैसे दो किनारों के बीच बहती रहती है.मन के अंदर के विचार ही बाह्य जगत में नवीन आकार ग्रहण करते हैं। जो कल्पना चित्र … Read more

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निराश लोगो के लिए आशा की किरण लेकर आता है वसंत

जनवरी की कडकडाती सर्दी फरवरी में धीरे-धीरे गुलाबी होने लगती है.इसी महीने में ऋतुराज वसंत का आगमन होता है और वासंती हवा जैसे ही तन-मन को स्पर्श करती है,तो समस्त मानवता शीत की ठिठुरी चादर छोड़कर हर्षोल्लास मनाने लगतीहै,क्योंकि जिस तरह से यौवन मानव जीवन का वसंत है,उसी तरह से वसंत इस सृष्टि का यौवन है,इसीलिये … Read more

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इमानदारी पर ओमकार मणि त्रिपाठी के 11 अनमोल विचार

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