खरगांव का चौक -उपन्यास अंश

खरगांव का चौक

विदर्भ के किसानों की जीवंत दास्तान आशा पाण्डेय का उपन्यास ‘खरगाँव का चौक’ विदर्भ  के किसानों की जिजीविषा, सपनों, अपने जीवन को बेहतरी की ओर ले जाने के उनके प्रयासों और सामूहिकता व सहकारिता के मूल्यों को लेकर लिखा गया हमारे समय का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। आशा पाण्डेय ने अपने इस उपन्यास में विदर्भ … Read more

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ढ़ेर सेर चाँदी -सारांश व समीक्षा

ढ़ेर सेर चाँदी

अंत हीन दुख, निराशा, पीड़ा अवसाद की ओर धकेलते हैं और अगर घनघोर निराशा की बीच आस की अंतिम किरण भी डूब जाए तो व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन कैसे संभाले l नईका के साथ भी यही हुआ l मैं बात कर रही हूँ अभी हाल में घोषित हुए रमाकांत स्मृति पुरुस्कार से सम्मानित आशा पांडे … Read more

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निर्मल वर्मा की कहानी परिंदे का सारांश व समीक्षा

निर्मल वर्मा की कहानी परिंदे का सारांश व समीक्षा

–‘मुझे लगा, पियानो का हर नोट चिरंतन खामोशी की अँधेरी खोह से निकलकर बाहर फैली नीली धुंध को काटता, तराशता हुआ एक भूला-सा अर्थ खींच लाता है। गिरता हुआ हर ‘पोज’ एक छोटी-सी मौत है, मानो घने छायादार वॄक्षों की काँपती छायाओं में कोई पगडंडी गुम हो गई हो…’   निर्मल वर्मा जैसे कथाकार दुर्लभ … Read more

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कहानी समीक्षा- काठ के पुतले

काठ के पुतले

ऐसा ही होता आया है एक ऐसा वाक्य है जिसके आवरण तले ना जाने कितनी गलत बाते मानी और मनवाई जाती हैं l कमजोर का शोषण दोहन होता रहता है, पर क्योंकि ऐसा होता आया है ये मानकर इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठती l और समाज किसी काठ के पुतले की तरह बस अनुसरण करता … Read more

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प्रेम विवाह लड़की के लिए ही गलत क्यों-रंजना जायसवाल की कहानी भागोड़ी

भगोड़ी

लड़कियों के लिए तो माता-पिता की मर्जी से ही शादी करना अच्छा है l प्रेम करना तो गुनाह है और अगर कर लिया तो भी विवाह तो अनुमति लिए बिना नहीं हो सकता और अगर कर लें तो वो उससे भी बड़ा गुनाह है l जिसकी सजा माता-पिता परिवार मुहल्ला- खानदान पीढ़ियाँ झेलती हैं l … Read more

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प्रज्ञा की कहानी जड़खोद- स्त्री को करना होगा अपने हिस्से का संघर्ष

जड़खोद

संवेद में प्रकाशित प्रज्ञा जी की एक और शानदार कहानी है “जड़ खोद”l इस कहानी को प्रज्ञा जी की कथा यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देखा जा सकता है | जैसा कि राकेश बिहारी जी ने भी अपनी टिप्पणी में कहा है कि ये उनकी कथा यात्रा के नए पड़ाव या प्रस्थान … Read more

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प्रज्ञा जी की कहानी पटरी- कर्म के प्रति सम्मान और स्वाभिमान का हो भाव

प्रज्ञा की कहानी पटरी की समीक्षा

कुछ कहानियाँ अपने कलेवर में इतनी बड़ी होती हैं जिन पर विस्तार से चर्चा होना जरूरी हो जाता है l कई बार कहानी संग्रह की समीक्षा में उनके साथ न्याय  नहीं हो पाता इसलिए किसी एक कहानी की विस्तार से चर्चा हेतु अटूट बंधन में समय समय पर कहानी समीक्षा का प्रकाशन होता रहा है … Read more

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नैहर छूटल जाए – एक परिवर्तन की शुरुआत

कहते हैं कि परिवर्तन की शुरुआत बहुत छोटी होती है, परन्तु वो रूकती नहीं है और एक से एक कड़ी जुडती जाती है और अन्तत : सारे समाज को बदल देती है …एक ऐसे ही परिवर्तन की सूत्रधार है कोयलिया | यूँ तो कोयलिया ‘नया ज्ञानोदय में प्रकाशित रश्मि शर्मा जी की कहानी ‘नैहर छूटल … Read more

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फिडेलिटी डॉट कॉम :कहानी समीक्षा

कहते हैं शक की दवा को हकीम लुकमान के पास भी नहीं थी | यूँ  तो ये भी कहा जाता है कि रिश्ते वही सच्चे और दूर तक साथ चलने वाले होते हैं जहाँ आपस में विश्वास हो और रिश्ते की जमीन पर शक का कीड़ा दूर -दूर तक ना रेंग रहा हो , पर … Read more

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सिनीवाली शर्मा रहौ कंत होशियार की समीक्षा

रहौ कंत होशियार

समकालीन कथाकाओं में सिनीवाली शर्मा किसी परिचय की मोहताज नहीं हैl  ये बात वो अपनी हर कहानी में सिद्ध करती चलती हैं | उनकी ज्यादातर कहानियाँ ग्रामीण जीवन के ऊपर हैं | गाँवों की समस्याएं, वहां की राजनीति और वहां के लोक जीवन की मिठास उनकी कहानियों में शब्दश: उतर आते हैं | पर उनकी … Read more

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