वो प्यार था या कुछ और था

जो मैं ऐसा जानती कि प्रीत किये दुःख होय , नगर ढिंढोरा पीटती , की प्रीत न करियो कोय                                                प्रेम , यानि हौले से मन के ऊपर दी गयी एक दस्तक और … Read more

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कुछ अनकहा सा -स्त्री जीवन के कुछ अव्यक्त दस्तावेज

                            बातें , बातें और बातें …दिन भर हम सब कितना बोलते रहते हैं …पर क्या हम वो बोल पाते हैं हैं जो बोलना चाहते हैं | कई बार बार शब्दों के इन समूहों के बीच में वो दर्द छिपे रहते हैं … Read more

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वारिस

अपने बेटे के विवाह के समय से माता -पिता के मन में एक सपना पलने लगता है कि इस घर को एक वारिस मिले जो खानदान के नाम और परंपरा को जीवित रखे | स्वाभाविक है , पर कभी कभी ऐसा भी होता है कि अपनी इस इच्छा की भट्टी में मासूम बहु की सिसकियों … Read more

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गुटखे की लत

                        गुटखे की लत वो लत है जिसमें आदमी स्वयं तो अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करता ही है पर उसकी गिरफ्त में उसकी निर्दोष पत्नी व् मासूम बच्चे भी आ जाते हैं |एक ऐसी ही कहानी जिसमें एक मासों पत्नी ने पति की “गुटखे … Read more

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युवाओं में “लिव इन रिलेशन “ की ओर झुकाव …आखिर क्यो ????

आज कल आधुनिकता का दौर तेजी से बढ़ रहा है आधुनिक सभ्यता ने इस कदर पाँव पसार लिए हैं कि लगता नहीं है अब युवा वर्ग पीछे की ओर देखेगा ।युवा वर्ग आखिर शादी की जिम्मेदारियों से बच्चों की जिम्गमेदारियों से  क्यों भाग रहा है ? आखिर ये समस्या आयी कैसे ? क्या इसके पीछे … Read more

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अंतस से -व्यक्ति से समष्टि की ओर बढती कवितायें

                                   कवितायें वैसे भी भावनाओं के कुसुम ही हैं और जब स्वयं कुसुम जी लिखेंगी तो सहज ही अनुमान लागाया जा सकता है कि उनमें सुगंध कुछ अधिक ही होगी| मैं बात कर रही हूँ कुसुम पालीवाल जी के … Read more

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स्त्री देह और बाजारवाद ( भाग – तीन ) -कब औरत को उसका पूरा मान सम्मान दिया गया ?

दिनांक ६ /६ /17 को स्त्री देह और बाजारवाद पर एक पोस्ट डाली थी | जिस पर लोगों ने अपने अपने विचार रखे | कई मेल भी इस विषय पर प्राप्त हुए | कल आपने इस विषय पर पुरुषों  के प्रतिनिधित्व के विचार पढ़े | आज पढ़िए कुसुम पालीवाल जी के विचार … पहले की … Read more

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अटल रहे सुहाग : चौथी कड़ी : कहानी—” सरप्राइज “

रिया,,,, ओ,,, रिया,,,,,, बेटा सारा सामान रख लिया न पूजा का, बेटा सब इकट्ठा करो एक जगह ,,,,, थाली में, ,, तुमको जाना है न ,, पार्क में पूजा के वास्ते, ,,,। हाँ , माँ मैने सब कुछ रख लिया, ,, माँ, आप कितनी अच्छी हो,,, सारी चीजों का ध्यान रखती हो,,,,,, ये कहते-कहते रिया … Read more

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लघु कथा— ” बुढापा “-कुसुम पालीवाल

                  अरे…दीदी…..तंग करके रखा हुआ है न तो चैन से रहते हैं….. न तो चैन से रहने लायक छोडा है …..सारे समय की चिकचिक ने नाक में दम कर रखा है. …..।    अरे ….किसने  की तेरी नाक में दम …..किसकी आफत आई …..मैने हंस कर .. … Read more

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भीखू : कहानी -कुसुम पालीवाल

कहानी—- ” भीखू “                  ********** ललिया..ओ..ललिया…….कहाँ मर गये सब …..किसी को चिंता नहीं है मेरी  , अरे कहाँ हो तुम सब……..मरा जा रहा हूँ सारा कलेजा जल रहा है….. ,।भीखू की आवाज जैसे ही धनिया ने सुनी….., दौडी-दौडी भीखू के पास आई ….., क्यों चिल्लाबत हो …….., ठौरे ही तो बइठे हतै………ललिया नाही है … Read more

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