सूर्य राशि के अनुसार रत्न

वैसे तो ज्योतिष में ज्यादातर लोग कुंडली और चंद्र राशि के अनुसार रत्न पहनते हैं। लेकिन कुछ लोगों को अपनी राशि नही मालूम होती और उनके पास कुंडली भी नही होती है इसलिए ज्योतिष में सूर्य राशि यानी जन्म तारिख के अनुसार रत्न पहने जा सकते हैं। 14 अप्रेल से 14 मई के बीच जन्म लेने वालों की राशि मेष होती है इसके अनुसार अगर मूंगा पहने तो किस्मत हमेशा साथ रहती है। सूर्य राशि के अनुसार 15 मई 14 से जून के बीच जन्म लेने वाले लोगों की राशि वृष होती है इसलिए हीरा पहनने से इस राशि वालों के लाभ होगा। 15 जून से 15 जुलाई के बीच जन्म लेने वालों की सूर्य राशि मिथुन होती है इसलिए पन्ना रत्न इस राशि वालों के लिए लकी रत्न साबित होगा। सूर्य राशि के अनुसार 16 जुलाई से 16 अगस्त के मध्य जन्म लेने वालों का लकी स्टोन मोती होता है। 17 अगस्त से 16 सितंबर के बीच जन्म लेने वाले लोगों के लिए लकी स्टोन माणिक्य होता है क्योंकि इस समय सूर्य अपनी ही राशि में रहता है। सूर्य राशि के अनुसार 17 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच जन्म लेने वालों को किस्मत चमकाने के लिए पन्ना रत्न पहनना चाहिए। 17 अक्टूबर से 16 नवंबर तक सूर्य तुला राशि में होता है इसलिए इस समय में जन्म लेने वालों को लकी रत्न के रूप में हीरा पहनना चाहिए। 17 नवंबर से 15 दिसंबर के बीच जन्म लेने वालों का भाग्यशाली रत्न मूंगा होता है। सूर्य राशि के अनुसार 16 दिसंबर से 13 जनवरी के बीच जन्म लेने वालों का लकी रत्न पुखराज होता है। 14 जनवरी से 12 फरवरी तक सूर्य मकर राशि में रहता है। इसलिए इस समय जन्म लेने वालों को लकी स्टोन के रूप में नीलम पहनना चाहिए। 13 फरवरी से 12 मार्च तक कुंभ राशि में सूर्य का भ्रमण होता है इसलिए इस समय में जन्म लेेने वालों को शनि का भी भाग्यशाली रत्न नीलम होता है। 13 मार्च से 13 अप्रेल के बीच जन्म लेने वाले अगर पुखराज पहनें तो ऐसे लोगों की किस्मत अचानक बदल जाती है। ओमकार मणि त्रिपाठी 

क्या आपका नाम भाग्यशाली है ?

                                                                           क्या आपका नाम भाग्यशाली है ? अंकशास्त्र में जितना महत्व मूलांक और भाग्यांक का है,उतना ही महत्व नामांक का भी है.नाम के अक्षरों का योग नामांक कहलाता है। मूलांक और भाग्यांक का ज्ञान तो लगभग सभी को होता है,लेकिन नामांक की गणना करना बेहद जटिल कार्य है। नामांक को सौभाग्य अंक भी कहा जाता है। किसी भी जातक की जन्मतिथि का योग मूलांक होता है, जैसे 4 ,22,31 तारीखों को जन्मे जातकों का मूलांक 4 कहलाएगा।  जन्म की तिथि, माह व वर्ष का योग भाग्यांक होता है, जैसे 31 अक्टूबर माह 1949 का भाग्यांक  3+ 1+1+0 +1+9+4+9 =28=10 =1होगा।अंकशास्त्र की मान्यताओ के अनुसार नाम अगर मूलांक और भाग्यांक  के अनुकूल नहीं होता, तो व्यक्ति को जीवन में कई तरह की असुविधाओ का सामना करना पड़ता है.आइये हम जानते हैं कि नामांक की गणना कैसे की जाती है?  A I J Q Y = 1 B K R = 2 C G L S = 3 D M T = 4 E H N X = 5 U V W = 6 O Z = 7 F P = 8  कीरो पद्दति के मुताबिक अंग्रेजी  के अक्षरों को दिये गये इन अंकों के आधार पर ही नामांक की गणना की जाती  है.खास बात यह है कि किसी भी अक्षर को 9 अंक नहीं दिया गया है. आप भी इन ऊपर दिये गये अंकों से अपना नामांक निकाल सकते हैं। उदाहरण के लिए यदि किसी का नाम mohan है,तो उसका नामांक 22 यानि 2+2=4 होगा.अब mohan की जन्मतिथि यदि 4,13,22 या 31 हो,तो उसे जीवन में ज्यादातर सफलताही मिलेगी,किन्तु यदि नामांक,मूलांक और भाग्यांक में सामंजस्य नहीं है,तो जीवन में अनेक तरह की कठिनाइयाँ आ सकती हैं.हम अपनी जन्मतिथि नहीं बदल सकते,इसलिए जन्मांक और मूलांक नहीं बदले जा सकते.यदि नामांक,मूलांक और भाग्यांक में सामंजस्य न हो ,तो हम सिर्फ इतना ही कर सकते हैं कि नाम की स्पेलिंग में थोडा फेरबदल करके नामांक को जन्मांक और मूलांक के अनुकूल बना सकते हैं.कई फ़िल्मी सितारों और राजनीतिज्ञों ने यह प्रयोग आजमाया भी है.फिर देर किस बात की. आप भी अपने नामांक को अपने मूलांक और भाग्यांक से मिलाकर देखिये और यदि इनमे सही तालमेल न हो ,तो नाम में थोडा फेरबदल करके तालमेल बिठा लीजिये. ओमकार मणि त्रिपाठी 

मूलांक व् भाग्यांक

                                 मूलांक व् भाग्यांक  अंकशास्त्र में हर अंक किसी न किसी ग्रह से संबंद्ध है। अंक ज्योतिष में 1 से लेकर 9 तक की संख्या ग्रहों, उनकी दशा व उनके लक्षण को दर्शाता है। आपकी जन्मतिथि यदि 1 से 9 तक है जो वह अंक आपका मूलांक है, लेकिन यदि अंक 9 से अधिक है तो दोनों अंकों के जोड़ से जो अंक प्राप्त होगा उसे मूलांक माना जाएगा। उदाहरण के लिए यदि आपकी जन्म तिथि 14 (1+4) है तो मूलांक पांच होगा। इसी तरह पूरी जन्म तिथि को जोड़ने से जो अंक प्राप्त होगा, उसे अंक शास्त्र में भाग्यांक कहते है। उदाहरण के लिए यदि आपकी जन्म तिथि 14 नवंबर 1977 है तो आपका भाग्यांक(1+4+1+1+1+9+7+7) 4 होगा। मूलांक जहां व्यक्ति के चरित्र को दर्शाता है, वहीं भाग्यांक भविष्य की घटनाओं का संकेत देता है। अंकशास्त्र में मूलांक व भाग्यांक दोनों की गणना का प्रभाव है। यदि किसी व्यक्ति का भाग्यांक उसके मूलांक से अधिक प्रबल है तो मूलांक अपना चरित्र करीब-करीब खो देता है, लेकिन यदि मूलांक भाग्यांक से अधिक प्रबल है तो भाग्यांक उस पर अधिक हावी नहीं हो पाता है। किसी के जन्म तिथि में एक अंक दो से अधिक बार आता है तो वह अंक व उसका मालिक ग्रह अपने मूल चरित्र को छोड़कर विपरीत अंक व उसके मालिक ग्रह के चरित्र को अपना लेता है। स्वभावत: 8 अंक वाले अंतरमुखी होते हैं, क्योंकि उनका मालिक शनि ग्रह है। लेकिन यदि कोई व्यक्ति 8 अगस्त 2008 को पैदा हुआ हो तो वह बहिमुखी होगा। क्योंकि उसके जन्मतिथि में 8 की बहुतायत के चलते वह विपरीत अंक 4 व उसके मालिक ग्रह राहु की चारित्रिक विशेषता को अपना लेगा, जिस कारण उसका स्वभाग बहिर्मुखी हो जाएगा। शादी के वक्त अक्सर दो लोगों की ज्योतिषीय कुण्डली मिलाई जाती है। अंक शास्त्र में यह और भी आसान है। अंक शास्त्र में जन्मतिथि के आधार पर दो लोगों के स्वभाग व भविष्य की तुलना आसानी से की जाती है। मान लीजिए यदि दो व्यक्तियों की जन्मतिथि, माह व वर्ष में कोई एक अंक दो से अधिक बार आ रहा है तो दोनों में किसी भी सूरत में नहीं निभ सकती है। ऐसे व्यक्तियों की आपस में शादी न हो तो ही बेहतर है।

4 अप्रैल 2015 के पूर्ण चन्द्र ग्रहण का विभिन्न राशियों पर असर

               चंद्रग्रहण  क्या है चन्द्रग्रहण – वस्तुत :चंद्रग्रहण उस खगोलीय स्तिथि को कहते हैं जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी छाया में आ  जाता है ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य चंद्रमा व् पृथ्वी एक सीढ़ी रेखा में अवस्तिथ हों | इस ज्यामिति प्रतिबन्ध के कारण चन्द्र ग्रहण केवल पूर्णिमा को ही दिख सकता है | सूर्य ग्रहण के विपरीत जो पृथ्वी पर केवल थोड़े ही भाग में दिख पाता है ,चन्द्र ग्रहण पृथ्वी के रात्रि  पक्ष वाले संपूर्ण भाग में दिखता है | चंद्रमा कि छाया कि लघुता के कारण सूर्य ग्रहण जहाँ कुछ मिनटों के लिए ही दिखाई पड़ता है चंद्रग्रहण के दिखाई देने कि अवधि कई घंटों कि होती है | चन्द्र ग्रहण सूर्य ग्रहण के विपरीत बिना किसी सुरक्षा के खुली आँखों से भी देखा जा सकता है | सूर्य या चन्द्र ग्रहण के दौरान निकलने वाली हानिकारक  किरणों का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है ।      कल का चंद्रग्रहण  4 अप्रैल चैत्र शुक्ल पूर्णिमा, शनिवार को हनुमान जयंती के दिन ग्रस्तोदय चंद्रग्रहण  होने से ग्रहण के पश्चात ही हनुमान जयंती के कार्यक्रम होंगे। सूतक प्रातः 4.45 से प्रारंभ होगा। ग्रहण समय दोपहर 3.45 से प्रारंभ होकर सायं 7.19 पर समाप्त होगा। खग्रास चंद्रग्रहण – भारत में ग्रस्तोदय खण्डग्रास चन्द्र ग्रहण द्रश्य               इस वर्ष हनुमान जयंती पर पूर्ण चन्द्रग्रहण का संयोग 4 अप्रेल 2015 को बन रहा हैं। 4 अप्रेल 2015 को इस ग्रहण का स्पर्श भारत में कही भी द्रश्य नहीं होगा। यह ग्रहण भारत के साथ साथ चीन,ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी  व दक्षिणी अमेरिका के पूर्वी भाग स्थित नगरो में भी दिखाई देगा..। चैत्र शुक्ल पूर्णिमा शनिवार दिनांक 4 अप्रैल 2015 ई को दोपहर बाद से सायकाल तक होने वाला खग्रास चन्द्र ग्रहण सम्पूर्ण भारत में ग्रस्तोदय खण्डग्रास के रूप में दिखाई देगा। इस वर्ष 2015 में शनिवार के साथ अजब संयोग जुड़ा हुआ है। अप्रैल, जून, अगस्त, अक्टूबर और दिसंबर में जिस तारीख को शनिवार पड़ रहा है, उस तारीख और माह के अंक एक ही है। जैसे 4 अप्रैल 2015 (शनिवार) को चन्द्र प्रधान हस्त नक्षत्र की युति बन रही है, जो कि हर तरह के रोगों का क्षरण करने वाली युति बन रही है। इस दिन का मूलांक  भी आठ है, जो कि शनि प्रधान है।हनुमान जन्मोत्सव पर इस बार चन्द्रग्रहण की छाया है।  4 अप्रेल 2015 को पड़ने वाली हनुमान जयंती पर अल्प खण्डग्रास चंद्र ग्रहण होगा। इस दिन हनुमत आराधना का विशेष महत्व होगा। इससे पहले 15 अप्रेल 1995 को ग्रस्तोदय चन्द्रग्रहण और 2 अप्रेल 1996 को खण्डग्रास चंद्रग्रहण हनुमान जयंती पर आए थे।इस दिन जातक को शनि की ढैय्या व साढ़े साती से बचने के लिए हनुमान जी उपासना करनी चाहिए ।  मंगल दोष निवारण के लिए भी हनुमत उपासना श्रेष्ठ सिद्ध होगी। इस ग्रहण के प्रारम्भ व समाप्ति काल भारतीय स्टैंडर्ड टाइम में इस प्रकार है – ग्रहण प्रारम्भ – दोपहर बाद – 03. 45 बजे ग्रहण समाप्त – सांय – 07 .15 बजे ग्रहण का सूतक — इस ग्रहण का सूतक दिनांक 4 अप्रेल 2015 ई को सूर्योदय  के साथ ही प्रारम्भ हो जायेगा। सुबह ५ बजकर २८ मिनट पर सूतक आरम्भ हो जाएगा । ग्रहण का मोक्ष  ७ ;१५ मिनट पर होगा । सूतक काल में कोई भी धार्मिक काम ( हनुमान  जयंती कि पूजा) आदि न करे। या तो सूतक काल से पहले पूजा करे या मोक्ष के बाद करे।    सूतक प्रारम्भ हो जाने बाद [बच्चो वृद्ध व रोगियों को छोड़कर ] धार्मिक जनो को भोजन आदि नहीं करना चाहिए।भारत में केवल २२ मिनट  ही चन्द्र ग्रहण दिखाई देगा  ग्रहण का  पहला स्पर्श –३ :४५  मध्य काल –५ :३०  मोक्ष -७ :१५  ४ अप्रैल २०१५ के पूर्ण चन्द्रग्रहण का विभिन्न राशियों पर प्रभाव –               ४ अप्रैल २०१५ के पूर्ण चंद्रग्रहण का विभिन्न राशियों पर निम्नवत  प्रभाव पड़ेगा। ………….  मेष राशि:            ग्रहण आपकी राशि से छठी राशि में पड़ रहा है,इसलिए मिश्रित फल देखने को मिल सकते हैं. कुछ बाधाओं के बाद कार्य, व्यापार व आय में वृद्धि के साथ-साथ योजनाएं सफल हो सकती हैं,लेकिन स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.मन में अकारण की चिंता बनी रह सकती है.  वृष राशि:        ग्रहण आपकी राशि से पांचवे घर होने जा रहा है,इसलिए आपको अधिक भाग-दौड़ करनी पड़ सकती है. लंबित कार्य बनने व प्रतिष्ठा में वृद्धि के संकेत होने के बावजूद संतान पक्ष की चिंता सता सकती है. अन्य परिजनों की पीड़ा भी परेशान कर सकती है.बजट का ध्यान रखें,क्योंकि खर्च बढ़ सकता है. मिथुन राशि           धनलाभ व आनंद के योग हैं,लेकिन पारिवारिक क्लेश व मित्रों का सामना भी करना पड़ सकता है.विभिन्न कार्यों पर व्यय बढ़ सकता है. जमीन, मकान तथा वाहन आदि के सौदों से अभी बचना चाहिए. कर्क राशि:                आपकी राशी के लिए यह ग्रहण शुभ है.संपर्क बढ़ने से आर्थिक पक्ष मजबूत होने के योग हैं.व्यापार, नौकरी, निवेश आदि में लाभ हो सकता है. परिजनों के सहयोग से प्रगति होगी.मनोबल बढ़ेगा व उत्साह में वृद्धि होगी.कुल मिलाकर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति होगी. सिंह राशि:                       आपके लिए ग्रहण का मिलाजुला असर देखने को मिल सकता है.पारिवारिक समृद्धि व शुभकार्य पर निवेश के योग हैं, लेकिन धन निवेश के मामले में सजग रहें और लापरवाही से बचें. परिवार में विवाद से बचने की कोशिश करें. खर्च में वृद्घि होने के योग हैं.  कन्या राशि:                  यह ग्रहण कन्या राशी में ही पड़ रहा है,इसलिए ग्रहण का परिणाम आपके अनुकूल नहीं है. परिजनों के स्वास्थ्य को लेकर आर्थिक नुकसान के योग हैं.इस राशि के लोगों को वाहन चलाते समय सावधानी बरतनी चाहिए.अपने स्वास्थ्य का भी खास ध्यान रखें.धन संबंधी मामलों में जल्दबाजी न करें .  तुला राशि:  व्यवसायिक उन्नति व अकस्मात धन प्राप्ति के योग हैं,लेकिन वैवाहिक जीवन के लिए ये चंद्रग्रहण कष्टकारक हो सकता है. खासतौर से जीवनसाथी का स्वास्थ्य आपको चिंतित कर सकता है. वाहन अभी न खरीदें.सावधानी न बरतने पर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वृश्चिक राशि चंद्रग्रहण की वजह … Read more

तो न करे ऐसा दान

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