नव वर्ष यानी आपके हाथ में हैं नए 365 दिन

जब भी नव वर्ष  आता है तो अपने साथ लाता है नए 365 दिन | एक नया कोरा पन्ना  …जिसे हम अपने हिसाब से रंग सकते हैं | लेकिन इस रंगने के लिए जरूरी है संकल्प फिर इच्छाशक्ति और फिर मेहनत …जानते हैं कैसे ? नव वर्ष यानी आपके हाथ में हैं नए 365 दिन  सबसे पहले तो मैं आप को सुना रही हूँ …एक प्रेरक कथा | ये कहानी हैं एक साधू और एक नास्तिक की | एक गाँव में एक साधू आये थे | वो रोज शाम को प्रवचन देने | अच्छे बुरे का ज्ञान देते | वो कोई चमत्कार नहीं करते थे | ना ही किसी की बिमारी ठीक करते थे | परन्तु उनकी वाणी में ओज होने के कारण लोग उनकी बाते सुनते थे | वो मुख्यत : लोगो को सोच बदलने की प्रेरणा देते थे | लोगों को उनकी बातें बहुत अच्छी लगतीं | शुरू -शरू में तो उनके पास दो चार आदमी ही बैठते लेकिन धीरे -धीरे भीड़ बढ़ने लगी | शाम को लगभग पूरा गाँव उनको सुनने जाने लगा | दिन में भी उन्हीं के बारे में बातें होती  थी | गाँव में बस एक नास्तिक आदमी था, जो उनके पास नहीं जाता था | उसे उनकी बातें अच्छी नहीं लगती थीं }| वो चाहता था कि गाँव के लोग भी उनकी बातें नहीं सुने |  उसने बहुत बार समझाने का प्रयास भी किया पर वही ढ़ाक  के तीन पात | कोई उस्की बात मानता ही नहीं | आखिरकार उसे एक युक्ति सूझी | उसने सोचा कि इसका इस्तेमाल करके वो साधू को गाँव वालों के सामने झूठा सिद्ध कर देगा | इसके लिए वो एक कबूतर लेकर साधू के पास गया | उसने कबूतर को हल्का सा नशीला पदार्थ खिलाया हुआ था | जिसने कारण कबूतर थोडा सुन्न सा था | उसने कबूतर की गर्दन पकड रखी थी | उसने सोचा था कि वो साधू से पूछेगा कि “ये कबूतर जिन्दा है या नहीं ?” अगर साधू कहेगा जिन्दा है तो वो उसकी गर्दन दबा देगा और कहेगा कि ये तो मरा हुआ है | अगर साधू कहेगा तो वो उसे मक्त कर देगा और जब वो थोड़े पर फडफडायेगा तो कहेगा कि ये तो जिन्दा है | उसकी जीत निश्चित थी | साधू को सबके सामने झूठा सिद्ध करना निश्चित था | वो बहुत मन से गया | और साधू के पास जाकर वही प्रश्न पूछा | साधू ने उसकी तरफ देखा और कहा, ” बेटा ये तेरे हाथ में है | तू चाहे तो जिन्दा है, ना छह तो मृत |” नास्तिक साधू की बात के आगे निरुत्तर हो गया | …………… नए साल पर ये कहानी इसलिए कि हमारे हाथ में ३६५ दिन हैं हम चाहे तो उन्हें आबाद करें …चाहे तो बर्बाद करें | अगर             हर जाता हुआ साल अच्छे-बुरे अनुभवों की एक थाती हमें सौंप जाता है | हर आने वाला साल हमें यह अवसर देता है कि हम उन अनुभवों का लाभ उठाकर पहले से बेहतर बनें, संवेदनशील बने और रचनात्मक बनें | ऐसी ही आशा, उम्मीदों के साथ, एक नए प्रयास की शुरुआत करता ये नया  वर्ष आप सभी को मुबारक हो |  

लप्रेक – चॉकलेट केक

                                      कहते हैं प्यार करने वाले एक –दूसरे से कितनी शिद्दत से प्यार करते हैं ये उन्हें तब समझ नहीं आता  जब वो एक दूसरे के साथ होते हैं | दूरियाँ उनके प्यार के अहसास को और गहरा कर देती हैं |ये एक तरह का लिटमस टेस्ट भी है | प्रियंका और यश की प्रेम कहानी ब्रेक अप के बाद खत्म ही हो गयी थी |फिर नए साल पर ऐसा क्या हुआ कि … पढ़िए -लप्रेक:चॉकलेट केक     प्रियंका उदास बैठी थी |उसकी सारी  सहेलियाँ अपने दोस्तों के साथ होटल “रॉक इन “. में डांस पार्टी में जा रही थी |  वो किसके साथ जाए | पिछले 7 सालों से वो यश  के साथ जाती रही है |हर बार वहाँ  जाने से पहले यश पहले उसके घर आता और चॉकलेट केक की मांग करता | वो भी तो कितने जतन  से बनाती थी उसके लिए | वह हमेशा उससे कहता  कि न्यू इयर इव का बेस्ट गिफ्ट तुम्हारे हाथ का बना चॉकलेट केक है | दोनों साथ में केक काटते | हालांकि यश उसे केक का बस एक छोटा सा टुकड़ा  ही खाने देता | और खुद पूरा केक  अंगुलियाँ चाट -चाट कर खाता |फिर भी वो उसे यूँ खाता  देख कर तृप्त हो जाती | औरत किसी से किसी भी रूप में प्यार करें , उसके अन्दर माँ का रूप सबसे हावी रहता है | पर …  ये दिन ज्यादा समय तक नहीं चल सके | दो महीने पहले ही यश  का उससे ब्रेक अप हुआ था | उसने यश  से बस इतना कहा था कि अब ये दोस्ती के रैपर में अपने रिश्ते को कब तक छुपाती रहेगी |  बदले में यश  ने उसे अजीब सी निगाहों से घूर कर तपाक  से कहा था कि दोस्ती करते समय ही उसने कह दिया था की वो उससे किसी और रिश्ते की उम्मीद न रखे | फिर अब ये पेशकश क्यों ? अगर वो उससे शादी करना चाहती है तो ये रिश्ता यहीं खत्म |                            यश तो इतनी आसानी से रिश्ता खत्म कर के चला गया | वो वहीँ आँसूं  भरी आँखें लिए खड़ी रही | और अभी तक वहीं खड़ी  है | जीवन जैसे थम सा गया हो | आगे बढ़ ही नहीं रहा | कितने पल … कितने खूबसूरत पल उसने  यश के साथ बिताये थे | कितने सुख – दुःख साझा किये थे | भले ही वो सब कुछ एक अच्छी दोस्ती के नाम पर हुआ था | पर था तो एक घनिष्ठ रिश्ता … सबसे घनिष्ठ | क्या उस समय किया गया वो प्यार , वो चिंता – फिर्क , वो जरा सी देर में न मिल पाने पर बेचैन हो जाना सब उसे पाने का जरिया भर थे | क्या माँ सही कहती थी कि पुरुष  स्त्री देह से आगे बढ़ ही नहीं पाता |              6 साल तक यश को टालती रही थी वो | फिर अचानक क्यों उस दिन खुद पर काबू नहीं कर पायी | उसके बाद उसके लिए सब कुछ बदल गया | मन ही मन वो खुद को यश की पत्नी मान बैठी | उसे लगता था कि वो कहेगी और यश तुरंत हाँ कर देंगे | पर वो गलत थी | यश नहीं बदले …हां उसने तो पहले ही कह दिया था | वो ही अपने प्यार पर ज्यादा यकीन कर बैठी |  बगल के घर से चॉकलेट केक की खुश्बू आ रही है | सौम्या , सौरभ के लिए बना रही होगी |उसी से तो सीखा है उसने इसे  बनाना | पहला न्यू इयर है दोनों का साथ – साथ | वो मिठास में बाँधना चाहती है अपने और सौरभ के रिश्ते को | न जाने क्यों केक की खुशबू  प्रियंका को बर्दाश्त नहीं  हो रही है | उसकी आँखें बार – बार भर रही हैं | पांच   बज गया | यश इसी समय तो आता था |                        तभी दरवाजे की घंटी बजी | यश खड़ा था | उसके हाथों में बड़ा सा पैकेट  था और आँखों में नमी | प्रियंका को अचम्भे से अपनी ओर देखते हुए बोला | अन्दर आने को नहीं कहोगी ‘प्रियु ‘ | प्रियंका ने आँखों से अन्दर आने का इशारा कर दिया | शब्दों ने उसका साथ छोड़ दिया था | अन्दर आ कर डाइनिंग टेबल पर उसने पैकेट रख दिया | फिर प्रियंका  की ओर देख कर बोला ,” मैं हार गया प्रियंका, तुम्हारे प्यार के आगे और अपने प्यार के आगे भी | मैंने बहुत कोशिश की सख्त बनने की | मैं जानता था, मेरे – माता पिता अलग धर्म की होने के कारण तुम्हें बहू  के रूप में स्वीकार नहीं करेंगें | इसलिए मैंने अपने प्यार को सिर्फ दोस्ती के रैपर में ही रखना चाहा | मैं खुश था | तुम मेरे साथ थी | मैंने सोंचा था कि जिन्दगी यूँही कट जायेगी | तुम्हारी अचानक से शादी की मांग ने मुझे मजबूर कर दिया कि मैं वापस अपनी दुनिया में लौट जाऊ | पर मैं गलत था | मैं नहीं जानता था की दिल कितना भी पत्थर कर लो , प्यार वो दरिया है जो उसे तोड़ कर निकलेगा ही निकलेगा | अब मुझे किसी की परवाह नहीं | बस तुम मेरे साथ हो इतना ही काफी है |                    यश ने आँसू पोंछते हुए कहा ,” मुझे पता है प्रियंका तुमने आज चॉकलेट केक नहीं बनाया होगा | इसलिए आज मैं खुद अपने हाथों से बना कर लाया हूँ | आओ केक काटें , कहते हुए उसने केक का डिब्बा खोल दिया | प्रियंका जो अभी तक मूर्तिवत खड़ी थी, यंत्रवत केक काटने लगी | उसने छोटा  सा टुकड़ा यश के मुँह में डाल दिया और आँसूं पोंछते हुए दोनों हाथों से यूँ केक खाने लगी जैसे जन्मों की भूखी हो |                   … Read more

नए साल पर 21 प्रेरणादायी विचार

नव वर्ष

नया साल यानि समय का वो पन्ना जिस पर अभी तक कुछ नहीं लिखा गया है |हर बार ये हमें एक मौका देता है कि हम इस पर कुछ ऐसा लिखे जिसे हम हमेशा से लिखना चाहते थे | इसी लिए तो हर बार नए साल पर हम खुद को बेहतर बनाने के कई संकल्प लेते हैं | खुद से वादा करते हैं और उन्हें पूरा करने का प्रयास करते हैं | नये साल के इस सफ़र में आप के संकल्पों की इस लौ को जलाए रखने के लिए हम लायें हैं ऐसे प्रेरणादायी विचार जो आपको आपके बेहतर वर्जन में बदलने में सहायक होंगे |  पढ़िए नए साल पर 21 प्रेरणादायी विचार / 21 Motivational Quotes on New Year   1)हम एक किताब खोलेंगे | जिसके सभी पन्ने खाली हैं | हम उसमें सारे शब्द खुद लिखेंगे | इस किताब को अवसर कहते हैं | और इसका पहला पन्ना  नए साल का दिन होता है |—एडिथ लाव्योज पीयर्स  2)नए साल का स्वागत हमारे लिए सब कुछ सही करने का एक और मौका होता है |—ओप्राह विनफ्रे  3)अपने दिल पर लिख लो आपका हर दिन साल का सबसे अच्छा दिन है |—राल्फ वाल्डो एमर्सन  4)कई लोग नए साल की शुरुआत अपनी पु रानी आदतों को नयी शुरुआत देने के लिए ही करते हैं |—चार्ल्स लैम्ब  5)आप  हर समय कैलेंडर के एक बंद पन्ने को खोलकर , आप नए विचारों और प्रगति के  लिए एक नयी जगह प्रदान करते हो |—चार्ल्स कैटरिंग  6)एक एक वर्ष को दूसरे वर्षों की तुलना में बेहतर बनाएं |आप कुछ ऐसी चीजें करने का संकल्प लें जो आप हमेशा से करना चाहते थे |–-ऐन लंदेर्स    आने वाले साल पर मुस्कान और उम्मीद के साथ यह बोले कि ये साल बहुत ख़ुशी देने वाला होगा |—अल्फ्रेड टेनिसन  7)एक नयी शुरुआत करने के लिए पुरानी चीजों को खत्म करना पड़ता है |—जस्टिन चेन  8)एक आशा वादी आधी रात तक आते हुए नए साल को देखने के लिए जगा रहता है और एक निराशावादी ये सुनिश्चित करने के लिए कि पुराना साल ठीक से चला जाए |—बिल वोंन  9)हमेशा अपनी बुराइयों के खिलाफ लड़ो | अपने पड़ोसियों के साथ शांति से रहो |और हर नए साल को अपने को बेहतर इंसान बनने दो |—बिन्जमिन फ्रैकलिन  10)जब भी अवसर आये उसके लिए तैयार रहना ,एक सफल व्यक्ति की सफलता का राज है |—बेंजामिन डिजरायली  11)आपकी सभी परेशानियां आपके नए साल के संकल्पों के साथ खत्म हो जायेंगी |—जॉय एडम्स  12)नए साल का ये उद्देश्य नहीं है कि हमारे पास एक नया साल हो , बल्कि हमारे पास एक नयी आत्मा हो |—जी .के .चेस्टरटन  नए साल हमारे सामने खड़ा है | एक पाठ  के सामान लिखे जाने के इंतज़ार में , हम लक्ष्य बना कर उस कहानी को लिखने में मदद कर सकते हैं |—मेलोडी बैटी  13)नए साल में कल के दुखों के लिए अब कोई आँसूं बर्बाद मत करो |—युरिपेडेस 14)लोग इस बात को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं कई वो क्रिसमस और न्यू इयर के बीच क्या खाते हैं | जबकि उन्हें इस बात कोले कर चिंतित रहना चाहिए कि वो न्यू इयर और सरिस्मस के बीच क्या खाते हैं |संक्ल्प् केवल  एक दिन नहीं पूरे साल के लिए बनाएं  —अज्ञात  15)चीजें जिन्हें आप कर सकते हैं | अगर उन्हें आप अभी नहीं करते हैं तो २० साल बाद आप ज्यादा दुखी रहेंगे | अपनी समस्याओं से समय रहते छुटकारा पाएं | —मार्क ट्वेन  16)मैंने नए साल के लिए कोई प्राण नहीं लिया | योजनाये बनाने , आलोचना करने , प्रतिबन्ध लगाने और जीवन को ढलने की आदत मेरी रोजमर्रा के जीवन का हिस्सा है |—आनेस निन  17)नव वर्ष दिवस …. अभी वो स्वीकार्य समय है जब आप हर साल लिए जाने वाले अच्छे -अच्छे संकल्प ले सकते हैं | अगले हफ्ते से हर बार की तरह आप उन्हें नरक में भेजना शुरू कर सकते हैं |—मार्क ट्वेन  18)ये एक नया  साल है , नयी शुरुआत , और चीजें बदलेंगी |— टेलर स्विफ्ट  नए वर्ष का दिन सभीका जन्मदिन होता है |—चार्ल्स लैम्ब  19)तुम कभी नहीं जीतोगे , अगर तुम कभी शुरुआत नहीं करोगे |—आर . एच स्कलर  20)अंत का जश्न मनाओ क्योंकि वो नयी शुरुआत से ठीक पहले होती है |—-जोनाथन लॉकवुड हुई  21)एक जनवरी को हम हम अपने जीवन के हर हिस्से का लेखा -जोखा करते हैं अपने कार्यों व् खामियों की सूची बनाते हैं | अब उन्हें पूरा करने के लिए खुद को सामर्थ्य वान बनाएं |—-एलेन गुडमैंन  आने वाले कल की तरफ कदम बढाओ | बीता हुआ कल खुद ब खुद छूट जाएगा |— अज्ञात  आप सभी को नव – वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं   टीम ABC यह भी पढ़ें ……… सक्सेस पर संदीप माहेश्वरी के अनमोल विचारक्रिसमस पर 15 सर्वश्रेष्ठ विचार सफलता पर बिल गेट्स के 21 सर्वश्रेष्ठ विचार  जीवन सूत्र पर २१ अनमोल विचार आपको आपको  लेख “ नए साल पर 21 प्रेरणादायी विचार “ कैसा लगा  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |         Keywords :New Year, Happy New Year, Motivational Quotes, New Year 2018

नए साल पर 5 कवितायें -साल बदला है , हम भी बदलें

नया साल , नयी उम्मीदें नए सपने , नयी आशाएं ,नए संकल्प और नए संघर्ष भी | नए साल पर प्रस्तुत हैं पाँच कवितायें … “साल बदला है , हम भी बदलें”  “नया साल “HAPPY NEW YEAR नया साल आने वाला है सब खुश है सबने तैयारी कर ली हैइस उम्मीद के साथशायदजाग जाये सोया भाग्य उसने भी जिसने आपने फटे बस्ते में रखी फटी किताब को सिल लिया है इस उम्मीद के साथ शायद कर सके काम के साथ विध्याभ्यास उसने भी जिसने असंख्य कीले लगी चप्पल में फिर से ठुकवा ली है नयी कील इस उम्मीद के साथ शायद पहुँच जाए चिर -प्रतिच्छित मंजिल के पास उसने भी जसने ठंडे पड़े चूल्हे और गीली लकड़ियों को पोंछ कर सुखा लिया है इस उम्मीद के साथ शायद इस बार बुझ सके पेट की आग और उन्होंने भी जो बड़े-बड़े होटलों क्लबों में जायेगे पिता-प्रदत्त बड़ी-बड़ी गाड़ियों में सुन्दर बालाओं के साथ नशे में धुत चिंता -मुक्त जोर से चिलायेगे हैप्पी न्यू इयर इस विश्वास के साथ बदल जायेगी अगले साल यह गाडी और यह……. सतत जीवन वो देखो ,सुदूर समय के वृक्ष पर झड़ने ही वाला है पिछले साल का पीला पत्ता और उगने को तैयार है नयी हरी कोंपले झेलने को तैयार धूप , गर्मी और बरसात दिलाती है विश्वास बाकी है अभी कुछ और क्षितज नापने को बाकी है कुछ और ऊँचाइयाँ चढने को बाकी है कुछ और यात्राएं बाकी हैं कुछ और संघर्ष बाकी हैं कुछ और विकास  हर अंत के साथ नया  जन्म लेता सतत जीवन भी तो  अभी बाकी है …. “प्रयास “ फिर शुरू  करनी है एक नयी जददोजहद पूस की धुंध मेंसुखानी हैदुखो की चादरजेठ की तपन मेंठंडा करना हैअपूर्ण स्वप्नो कोखौलते मन मेंबारिश की बूंदो मेंअंनबहे आंसुओं कोपी लेना हैगीली आँखों सेहर साल की तरहफिर इस बारकर लेना हैसमय कापुल पारसर पर लिएअतीत कीगठरी का भार ऐ जाते हुए साल ऐ जाते हुए साल तुम्हीं ने सिखाया मुझे की हर साल 31 दिसंबर की रात को ” happy new year ” कह देने से हैप्पी नहीं हो जाता सब कुछ तुम्हीं ने मुझे सिखाया की ” आल इज वेल ” के मखमली कालीन के नीचे छिपे होते हैं नकारात्मकता के कांटे जो कर देते हैं पांवों को लहुलुहान फिर भी रिसते पैरों और टूटी आशाओं के साथ बढ़ना होता है आगे तुम्हीं ने मुझे सिखाया की धुंध के बीच में आकर चुपके से भर देते हो तुम जीवन में धुंध की ३६५पर्वतों के बीच छुपी होती हैं खाइयाँ जहाँ चोटियों पर फतह की मुस्कराहट के साथ मिलते हैं खाइयों में गिरने के घाव भी तुम्हीं ने मुझे सिखाया की हर दिन सूरज का उगना भी नहीं होता एक सामान कभी – कभी रातों की कालिमा होती है इतनी गहरी की कई दिनों तक नहीं होता सूरज उगने का अहसास जब किसी स्याह रात में लिख देते हो तुम अब सब कुछ नहीं होगा पहले जैसा हां ! इतना जरूर है की तुम्हारे लगातार सिखाने समझाने से हर गुज़ारे साल की तरह इस साल भी मैं हो गयी हूँ पहले से बेहतर पहले से मजबूत और पहले से मौन भी सब समझते जानते हुए भी यह तो तय है की इस साल भी जब 31 दिसंबर की रात को ठीक १२ बजे घनघना उठेगी मेरे फोन की घंटी तो उसी तरह उत्साह से भर कर फिर से कहूँगी ” happy new year ” स्वागत में आगत के बिछा दूँगी स्वप्नों के कालीन सजा दूँगी आशाओं के गुलदस्ते और दरवाजे पर टांग दूँगी उम्मीदों के बंदनवार क्योंकि उम्मीदों का जिन्दा रहना मेरे जिन्दा होने का सबूत है साल बदला है , हम भी बदलें  आधी रात दबे पाँव आता है नया साल क्योंकि वो जानता है बहुत उम्मीद लगा कर बैठे हैं सब उससे  होंगी प्राथनाएं बजेंगी  मंदिर में घंटियाँ मस्जिद में होंगीं आजान चर्च में प्रेयर फूटेंगे पटाखे होंगे “ happy new year”के धमाके फिर वो क्या बदल पायेगा दशा भूख से व्याकुल किसानों की सीमा पर निर्दोष मरते जवानों की कि अभी भी लुटी जायेंगीं इज्ज़तें भ्रस्टाचारी  लगायेंगे कहकहे बदलेंगे नहीं  धर्म भाषा और संस्कृति के नाम पर लड़ते झगड़ते लोग हम बदलेंगें सिर्फ कैलेंडर और डाल देंगे उम्मीदों का सारा भर  नए साल पर जश्न पार्टियों और प्रार्थनाओं  के शोर में कहाँ सुनते हैं हम समय की आवाज़ को मैं बदल रहा हूँ तुम भी तो बदल जाओ  वंदना बाजपेयी   आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं  happy new year काव्य जगत में पढ़े – एक से बढ़कर एक कवितायें काहे को ब्याही ओ बाबुल मेरे मायके आई हुई बेटियाँ बैसाखियाँ डायरियां आपको  कविता  “.नए साल पर 5 कवितायें -साल बदला है , हम भी बदलें .“ कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | 

नए साल पर प्रेम की काव्य गाथा -दिसंबर बनके हमारे प्यार की ऐनवर्सरी आई थी

यूँ तो प्यार का कोई मौसम नहीं होता | परन्तु आज हम एक ऐसे प्रेम की मोहक गाथा ले कर आये हैं | जहाँ नये साल की शुरुआत यानि जनवरी ही प्रेम की कोंपलों के फूटने की शुरुआत बनी |फरवरी , मार्च अप्रैल … बढ़ते हुए प्यार के साक्षी बने , धीरे धीरे महीने दर महीने प्यार परवान चढ़ा उसको उसका अंजाम नसीब हुआ | और प्यार के बंधन में बंधे एक जोड़े ने साल के आखिरी महीने दिसंबर में अपने प्यार की एनिवर्सरी कुछ यूँ मनाई … नए साल पर जनवरी से लेकर दिसंबर तक के रोमांटिक प्यार की काव्यगाथा कभी बन सँवर के दुल्हन सी——— मेरे कमरे मे जनवरी आई थी। सच वे गुलाब ही तो पकड़ा था तुमने, जो इतने सालो से बेनुर था, मेरी जिंदगी में———– वेलेनटाइन डे की रोमानियत लिये, वे पहली फरवरी आई थी। मार्च के महीने मे———– पहली बार खिले थे मेरी अरमान के गुलमुहर, हमारे प्यार की डालियो पे कोयल कूकी थी, वे मार्च ही था———– जब आम और महुवे पे मंजरी आई थी। अप्रैल याद है——— जब तुम मायके गई थी, मै कितना उदास था——- कई राते हमे नींद कहां आई थी। फिर मई महिने ने ही उबारा था, हमे तेरी विरह से! इसी महिने इंतज़ार करते हुये मेरे कमरे मे— कमरे की परी आई थी। फिर जून की तपिस में——– हम घंटो टहलने निकलते थे एक दुजे का हाथ पकड़े, नदी के तट की तरफ, वे शामे शरारत याद है और याद है वे कंपकपाते होंठ, जब हमने अपनी अँगुलियो से छुआ था, और तुम्हारी झील सी आँखो मे शर्म उतर आई थी। फिर जुलाई की——— वे घिरी बदलियां, वे बारिश मे पहली बार तुम्हे छत पे भीगा देखना एकटक, फिर बिजली की गरज सुन, तुम एक हिरनी सी दौड़ी मेरी बाँहो मे चली आई थी, मुझे भी तुम्हे छेड़ने की——— इस बरसात मे मसखरी आई थी। फिर पुरा अगस्त———– तुम्हारी बहन की चुहलबाजियो में गुजरा, मौके कम मिले, तब पहली बार तुम्हे चिढ़ाते आँखो से मुस्कुराते कनखियो से देखा, मै मन ही मन कुढ़ता रहा क्या करता? मेरे हारने और तेरी शरारतो के जितने की घड़ी आई थी। फिर सितम्बर ने दिये मौके, वे मौके जो मै भुलता नही,क्योंकि इसी महिने तेरी कलाई की तमाम चुड़ियाँ टूटी, और इसी महिने तेरे लिये, मैने दर्जनो की तादात मे खरिदे, तुम्हारी साड़ी से मैच करती तमाम चुड़ियाँ, उन चुड़ियो मे तुमने कहा था——— कि तुम्हे पसंद दिल से चुड़ी हरी आई थी। फिर अक्टुबर के महीने में हमने-तुमने अपनी जिंदगी के इस हनीमून को, फिर टटोला! लगा कि अभी भी तुम सुहागरात सी हो—- जैसे घूँघट किये आई थी। फिर नवंबर——— हमारी-तुम्हारी जिंदगी मे महिना नही था, हम माँ-बाप बन गये थे, हमारे आँगन में———– हँसने-खेलने एक गुड़िया चली आई थी। इस दिसम्बर———- जो हमारे कमरे मे कैलेंडर टंगा है, उसमे एक छोटी सी बिटिया को, छोटे-छोटे नन्हे पाँवो मे———- घूँघरुओ की पायल पहने चलते दिखाया है, हमारी बिटिया केवल बिटिया नही, इस दिसम्बर बनके————– हमारे प्यार की ऐनवर्सरी आई थी। @@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी। जज कालोनी,मियाँपुर जौनपुर काव्य जगत में पढ़े – एक से बढ़कर एक कवितायें आपको  कविता  “.. नए साल पर प्रेम की काव्य गाथा  -दिसंबर बनके हमारे प्यार की ऐनवर्सरी आई थी“ कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें