प्रायश्चित
उन दिनों जमशेद पुर में फैक्ट्री में फोर्जिंग प्लांट पर मेरी ड्यूटी थी फोर्जिंग प्लांट अत्यंत व्यस्त हो चुके थे। मार्च के महीने में टार्गेट पूरा करने प्रेशर जोरो पर था । बिजली के हलके फुल्के फाल्ट को नजर अंदाज इसलिए कर दिया जाता था क्यों कि सिट डाउन लेने का मतलब था उत्पादन कार्य को बाधित करना जिसे बास कभी भी बर्दास्त नहीं कर सकते थे । फिर कौन जाए बिल्ली के गले में घण्टी बाँधने । जैसा चल रहा है चलने दो बाद में देखा जायेगा । सेक्शन में लाइटिंग की सप्लाई की केबल्स को बन्दरों ने उछल कूद करके अस्त व्यस्त कर रखा था । कई जगह से केबल्स के इंसुलेशन भी उधड़ चुके थे । ये केबल्स सेक्शन के एक पिलर से होकर जाती थीं । वहीँ एक एंगल के किनारे गिलहरियों ने अपना घोसला बना रखा था । सेक्शन में एक ओवर हेड क्रेन भी चलती थी । क्रेन चलाने के लिए तीन फेज सप्लाई की जरुरत होती थी यह सप्लाई नंगे ओवर हेड तारों से ली जाती थी तारों पर कोई इन्शूलेशन नहीं होता क्यों कि इन्ही तारों पर क्रेन की सप्लाई के टर्मिनल में लगे रोलर घूम कर चलते थे । इन्ही तारों की वजह से कई बार बन्दरों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। एक बार तो एक बन्दर के बच्चे ने गलती से तार को छू लिया और चिपक गया था फिर उसकी माँ उसे बचाने की कोशिस में चिपक गयी और बाकी दो और भी चिपक गये थे जो शायद उनकी सहायता में पहुचे थे । इस तरह चार बन्दरों की मौत एक साथ होना एक दुःखद हादसा था । उनके चिपकने से एक फेज का फ्यूज उड़ गया था । अतः लाइन काट कर उन्हें उतारा गया था उसके बाद फिर सप्लाई चालू कर दी गयी थी । इन मशीनों के बीच में रहते रहते हम भी कितने मशीन बन चुके थे इस बात का आकलन तब हुआ था जब बॉस के चेहरे पर बन्दरों की मौत के बजाय सप्लाई चालू होने की ख़ुशी देखी थी । सप्लाई चालू होते ही वे मुस्कुराते हुए ऑफिस में चले गए थे । संवेदनाये इतनी निष्ठुर भी हो सकती हैं ये बात सोचते सोचते मैं भी मशीनों के बीच काम में गुम हो गया था । उस दिन कुछ महीनो बाद मेंटिनेंस के लिए मेरी सन्डे ड्यूटी लगाई गयी थी । सन्डे के दिन उत्पादन कार्य नहीं होता था सिर्फ प्लांट का मेंटिनेंस का कार्य होता था उस दिन बिजली की सप्लाई कांटेक्ट मोटरें और पैनल के अन्य पुर्जो की जाँच और मरम्मत का कार्य होता। दिए गए कार्य पूरे हो चुके थे । शाम 4 बजे तक कार्य पूरा हो चुका था । ऑफिस में इसी बीच मैकेनिकल ग्रुप के इंचार्ज कौसर अजीज भाई फुरसत के क्षणों में गप शप करने के वास्ते कमरे में दाखिल हो गए । ” अरे भाई तिरपाठी ! का हाल चाल है यार ” । ” आओ कौसर भाई चाय आ रही है । अभी काम से फुरसत मिली है । और अपना सुनाओ ? “ मैंने कौसर भाई को बैठने का इशारा किया। कौसर भाई बैठ तो गए लेकिन सामान्य से हट कर कुछ शांत थे और विचार मन्थन करते नजर आये । ” क्या हुआ भाई जान आज इतना शांत क्यों “। ” अरे यार चिंता हो गयी है “। “किस बात की चिंता कौसर भाई? मैंने उत्सुकता बस उनसे पूछ लिया । अरे ऊ पिलर पर गिलहरी जो घोसला लगाये है । उसके दो बच्चे हैं और कल ऊ बच्चवन की माँ बिजली वाले तारो में फंस गयी थी । “ ” फिर क्या हुआ ?” मैंने पूछा । ” फिर का भड्ड से हुआ । जइसे दग गयी हो । नीचे गिरी तो देखा जल के मर गयी …… लेकिन ज्यादा बुरा ई हुआ उके लेदा जइसन बच्चवन का का होगा ? वहीँ चिचियां रहे हैं कल से । मर तो जाएंगे ही ………… तिरपाठी यार कुछ सोचो उनके लिए …..। कौसर अजीज इतना कहते कहते कुछ गम्भीर हो गए । ” ई के इंचार्ज तुम ही हो कितना पाप करोगे यार ? रोज बेचारे निर्दोष पशु पक्षी इसमें मरते हैं ……… तुम लोग गीदड़ होइ गए हौ … बॉस के सामने मुँह से आवाज ही गायब हो जाती है । ये पाप झेलोगे भी तुमही लोग ।” कौसर भाई की बातों में दम था । वे मुस्लिम परिवार में पले बढे थे । बे मिशाल करुणा भाव के स्वामी थे । वह बहुत अच्छे गायक के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त व्यक्ति थे। कलाकार मन वाकई बहुत सरल होता है। उनकी यह धिक्कार मेरे अंतर्मन को झकझोर गयी थी और मैं अपने आप को अपराध बोध से नहीं बचा सका था। सहसा मेरे मानस पटल पर वह पुरानी बात किसी सिनेमा रील की तरह घूम गयी थी जब मेरी मोटर सायकल के नीचे एक गिलहरी दब कर मर गयी थी । मुझे उसके बारे में तरह तरह के ख्याल आये थे मैं काफी चिंतित हुआ था। गलती मेरी ही थी मोटर सायकल की स्पीड तेज थी और गिलहरी तेजी के साथ सड़क को पार करते समय पाहिये के नीचे आ गयी थी। जब यह दुर्घटना हुई तो मैं काफी दिनों तक मानसिक संत्रास झेलता रहा था । मुझे लगा था कि गिलहरी जब मरी थी तो वह मुह में दबाये हुए कुछ ले जा रही थी शायद बच्चों के लिए । वो बच्चे उसका इंतजार किये हुए होंगे ….फिर उन बच्चों का क्या हुआ होगा ……। ये सारी बातें आज भी मुझे व्यथित कर जाती थीं । बार बार सोचता था प्रभु मेरा यह पाप कैसे उतरेगा । मन में विचार आने लगे शायद भगवान ने मुझे प्रायश्चित करने का अवसर दिया है । अचानक तन्द्रा टूटी और पत्नी का ख़याल आया । वह आधात्मिक विचारधारा से युक्त है जीवों के लिए दया भाव तो है पर … Read more