नया साल , नयी उम्मीदें नए सपने , नयी आशाएं ,नए संकल्प और नए संघर्ष भी | नए साल पर प्रस्तुत हैं पाँच कवितायें … “साल बदला है , हम भी बदलें” “नया साल “HAPPY NEW YEAR नया साल आने वाला है सब खुश है सबने तैयारी कर ली हैइस उम्मीद के साथशायदजाग जाये सोया भाग्य उसने भी जिसने आपने फटे बस्ते में रखी फटी किताब को सिल लिया है इस उम्मीद के साथ शायद कर सके काम के साथ विध्याभ्यास उसने भी जिसने असंख्य कीले लगी चप्पल में फिर से ठुकवा ली है नयी कील इस उम्मीद के साथ शायद पहुँच जाए चिर -प्रतिच्छित मंजिल के पास उसने भी जसने ठंडे पड़े चूल्हे और गीली लकड़ियों को पोंछ कर सुखा लिया है इस उम्मीद के साथ शायद इस बार बुझ सके पेट की आग और उन्होंने भी जो बड़े-बड़े होटलों क्लबों में जायेगे पिता-प्रदत्त बड़ी-बड़ी गाड़ियों में सुन्दर बालाओं के साथ नशे में धुत चिंता -मुक्त जोर से चिलायेगे हैप्पी न्यू इयर इस विश्वास के साथ बदल जायेगी अगले साल यह गाडी और यह……. सतत जीवन वो देखो ,सुदूर समय के वृक्ष पर झड़ने ही वाला है पिछले साल का पीला पत्ता और उगने को तैयार है नयी हरी कोंपले झेलने को तैयार धूप , गर्मी और बरसात दिलाती है विश्वास बाकी है अभी कुछ और क्षितज नापने को बाकी है कुछ और ऊँचाइयाँ चढने को बाकी है कुछ और यात्राएं बाकी हैं कुछ और संघर्ष बाकी हैं कुछ और विकास हर अंत के साथ नया जन्म लेता सतत जीवन भी तो अभी बाकी है …. “प्रयास “ फिर शुरू करनी है एक नयी जददोजहद पूस की धुंध मेंसुखानी हैदुखो की चादरजेठ की तपन मेंठंडा करना हैअपूर्ण स्वप्नो कोखौलते मन मेंबारिश की बूंदो मेंअंनबहे आंसुओं कोपी लेना हैगीली आँखों सेहर साल की तरहफिर इस बारकर लेना हैसमय कापुल पारसर पर लिएअतीत कीगठरी का भार ऐ जाते हुए साल ऐ जाते हुए साल तुम्हीं ने सिखाया मुझे की हर साल 31 दिसंबर की रात को ” happy new year ” कह देने से हैप्पी नहीं हो जाता सब कुछ तुम्हीं ने मुझे सिखाया की ” आल इज वेल ” के मखमली कालीन के नीचे छिपे होते हैं नकारात्मकता के कांटे जो कर देते हैं पांवों को लहुलुहान फिर भी रिसते पैरों और टूटी आशाओं के साथ बढ़ना होता है आगे तुम्हीं ने मुझे सिखाया की धुंध के बीच में आकर चुपके से भर देते हो तुम जीवन में धुंध की ३६५पर्वतों के बीच छुपी होती हैं खाइयाँ जहाँ चोटियों पर फतह की मुस्कराहट के साथ मिलते हैं खाइयों में गिरने के घाव भी तुम्हीं ने मुझे सिखाया की हर दिन सूरज का उगना भी नहीं होता एक सामान कभी – कभी रातों की कालिमा होती है इतनी गहरी की कई दिनों तक नहीं होता सूरज उगने का अहसास जब किसी स्याह रात में लिख देते हो तुम अब सब कुछ नहीं होगा पहले जैसा हां ! इतना जरूर है की तुम्हारे लगातार सिखाने समझाने से हर गुज़ारे साल की तरह इस साल भी मैं हो गयी हूँ पहले से बेहतर पहले से मजबूत और पहले से मौन भी सब समझते जानते हुए भी यह तो तय है की इस साल भी जब 31 दिसंबर की रात को ठीक १२ बजे घनघना उठेगी मेरे फोन की घंटी तो उसी तरह उत्साह से भर कर फिर से कहूँगी ” happy new year ” स्वागत में आगत के बिछा दूँगी स्वप्नों के कालीन सजा दूँगी आशाओं के गुलदस्ते और दरवाजे पर टांग दूँगी उम्मीदों के बंदनवार क्योंकि उम्मीदों का जिन्दा रहना मेरे जिन्दा होने का सबूत है साल बदला है , हम भी बदलें आधी रात दबे पाँव आता है नया साल क्योंकि वो जानता है बहुत उम्मीद लगा कर बैठे हैं सब उससे होंगी प्राथनाएं बजेंगी मंदिर में घंटियाँ मस्जिद में होंगीं आजान चर्च में प्रेयर फूटेंगे पटाखे होंगे “ happy new year”के धमाके फिर वो क्या बदल पायेगा दशा भूख से व्याकुल किसानों की सीमा पर निर्दोष मरते जवानों की कि अभी भी लुटी जायेंगीं इज्ज़तें भ्रस्टाचारी लगायेंगे कहकहे बदलेंगे नहीं धर्म भाषा और संस्कृति के नाम पर लड़ते झगड़ते लोग हम बदलेंगें सिर्फ कैलेंडर और डाल देंगे उम्मीदों का सारा भर नए साल पर जश्न पार्टियों और प्रार्थनाओं के शोर में कहाँ सुनते हैं हम समय की आवाज़ को मैं बदल रहा हूँ तुम भी तो बदल जाओ वंदना बाजपेयी आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं happy new year काव्य जगत में पढ़े – एक से बढ़कर एक कवितायें काहे को ब्याही ओ बाबुल मेरे मायके आई हुई बेटियाँ बैसाखियाँ डायरियां आपको कविता “.नए साल पर 5 कवितायें -साल बदला है , हम भी बदलें .“ कैसी लगी | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |