नवल वर्ष में नवल हर्ष में – नव वर्ष की शुभकामनाएँ

नव वर्ष की शुभकामनाएँ

  नया हो या पुराना, हर साल समय का एक टुकड़ा ही तो है l और जाते हुए साल रूपी समय के उस खास टुकड़े का शुक्रिया तो बनता है कि जीवन की धूप, बरसात सर्दी और गर्मी झेलने के बाद खुशियों के पल और दुखों की रातों को काटने के बाद हम आज समय के इस मुहाने पर हैं कि इसे सम्मान पूर्वक विदा कर संभावनाओं के नए कालक्रम में प्रवेश करें l क्योंकि हर संभावना में आशा छिपी है बेहतर परिणामों की l बेशक समय का अगला टुकड़ा भी जीवन के हर मौसम से भरा हो सकता है पर उसे बेहतर तरीके से जी लेने का अनुभव का एक मोती हमारी जीवन माला में और गूँथ गया है l ज्यादा समझदार, ज्यादा परिपककव और ज्यादा बेहतर होने की दिशा में हम आगे बढ़ चुके हैं l प्रार्थना है कि इस नवल वर्ष में ईश्वर आप सब को  जीवन में सुख-शांति, स्नेह, खुशियां स्वास्थ्य और समृद्धि प्रदान करे l नए साल की शुभ कामनाओं के साथ “नवल वर्ष में नवल हर्ष में” एक छोटी सी कविता l नवल वर्ष में नवल हर्ष में – नव वर्ष की शुभकामनाएँ   नवल वर्ष में नवल हर्ष में नव जीवन की ज्योति जलाएँ   आशाओं  से दीप्त उमंगें जीवन रस की सौम्य तरंगें नव लहर संग बढ़ते जाएँ   आरोपों की फुलझड़ियों में रिश्तों की टूटी लड़ियों में नवल प्रेम संगीत बजाएँ   रोग-व्याधि का ताना बाना नैराश्य का छोड़ बहाना नव स्वास्थ्य का संबल पाएँ   मन कारा के भीतर जाकर सभी कलुषता  बैर मिटाकर नवल धवल पावन हो जाएँ   नवल वर्ष में नवल हर्ष में नव जीवन की ज्योति जलाएँ -वंदना बाजपेयी अटूट बंधन से जुड़े सभी मित्रों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ यह भी पढ़ें … कैसे न्यू इयर रेसोल्युशन निभाने में मिले सफलता नए साल पर 21 प्रेरणादायी विचार नए साल पर 5 कवितायें -साल बदला है , हम भी बदलें आपको कविता “नवल वर्ष में नवल हर्ष में – नव वर्ष की शुभकामनाएँ” कैसी लगी ? अपनी राय से हमें अवश्य अवगत कराएँ l  अगर आपको अटूट बंधन की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया साइट को सबस्क्राइब करें व अटूट बंधन फेसबुक पेज लाइक करें l   आप सभी  को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ   

नव वर्ष यानी आपके हाथ में हैं नए 365 दिन

जब भी नव वर्ष  आता है तो अपने साथ लाता है नए 365 दिन | एक नया कोरा पन्ना  …जिसे हम अपने हिसाब से रंग सकते हैं | लेकिन इस रंगने के लिए जरूरी है संकल्प फिर इच्छाशक्ति और फिर मेहनत …जानते हैं कैसे ? नव वर्ष यानी आपके हाथ में हैं नए 365 दिन  सबसे पहले तो मैं आप को सुना रही हूँ …एक प्रेरक कथा | ये कहानी हैं एक साधू और एक नास्तिक की | एक गाँव में एक साधू आये थे | वो रोज शाम को प्रवचन देने | अच्छे बुरे का ज्ञान देते | वो कोई चमत्कार नहीं करते थे | ना ही किसी की बिमारी ठीक करते थे | परन्तु उनकी वाणी में ओज होने के कारण लोग उनकी बाते सुनते थे | वो मुख्यत : लोगो को सोच बदलने की प्रेरणा देते थे | लोगों को उनकी बातें बहुत अच्छी लगतीं | शुरू -शरू में तो उनके पास दो चार आदमी ही बैठते लेकिन धीरे -धीरे भीड़ बढ़ने लगी | शाम को लगभग पूरा गाँव उनको सुनने जाने लगा | दिन में भी उन्हीं के बारे में बातें होती  थी | गाँव में बस एक नास्तिक आदमी था, जो उनके पास नहीं जाता था | उसे उनकी बातें अच्छी नहीं लगती थीं }| वो चाहता था कि गाँव के लोग भी उनकी बातें नहीं सुने |  उसने बहुत बार समझाने का प्रयास भी किया पर वही ढ़ाक  के तीन पात | कोई उस्की बात मानता ही नहीं | आखिरकार उसे एक युक्ति सूझी | उसने सोचा कि इसका इस्तेमाल करके वो साधू को गाँव वालों के सामने झूठा सिद्ध कर देगा | इसके लिए वो एक कबूतर लेकर साधू के पास गया | उसने कबूतर को हल्का सा नशीला पदार्थ खिलाया हुआ था | जिसने कारण कबूतर थोडा सुन्न सा था | उसने कबूतर की गर्दन पकड रखी थी | उसने सोचा था कि वो साधू से पूछेगा कि “ये कबूतर जिन्दा है या नहीं ?” अगर साधू कहेगा जिन्दा है तो वो उसकी गर्दन दबा देगा और कहेगा कि ये तो मरा हुआ है | अगर साधू कहेगा तो वो उसे मक्त कर देगा और जब वो थोड़े पर फडफडायेगा तो कहेगा कि ये तो जिन्दा है | उसकी जीत निश्चित थी | साधू को सबके सामने झूठा सिद्ध करना निश्चित था | वो बहुत मन से गया | और साधू के पास जाकर वही प्रश्न पूछा | साधू ने उसकी तरफ देखा और कहा, ” बेटा ये तेरे हाथ में है | तू चाहे तो जिन्दा है, ना छह तो मृत |” नास्तिक साधू की बात के आगे निरुत्तर हो गया | …………… नए साल पर ये कहानी इसलिए कि हमारे हाथ में ३६५ दिन हैं हम चाहे तो उन्हें आबाद करें …चाहे तो बर्बाद करें | अगर             हर जाता हुआ साल अच्छे-बुरे अनुभवों की एक थाती हमें सौंप जाता है | हर आने वाला साल हमें यह अवसर देता है कि हम उन अनुभवों का लाभ उठाकर पहले से बेहतर बनें, संवेदनशील बने और रचनात्मक बनें | ऐसी ही आशा, उम्मीदों के साथ, एक नए प्रयास की शुरुआत करता ये नया  वर्ष आप सभी को मुबारक हो |  

नए साल पर 5 कवितायें -साल बदला है , हम भी बदलें

नया साल , नयी उम्मीदें नए सपने , नयी आशाएं ,नए संकल्प और नए संघर्ष भी | नए साल पर प्रस्तुत हैं पाँच कवितायें … “साल बदला है , हम भी बदलें”  “नया साल “HAPPY NEW YEAR नया साल आने वाला है सब खुश है सबने तैयारी कर ली हैइस उम्मीद के साथशायदजाग जाये सोया भाग्य उसने भी जिसने आपने फटे बस्ते में रखी फटी किताब को सिल लिया है इस उम्मीद के साथ शायद कर सके काम के साथ विध्याभ्यास उसने भी जिसने असंख्य कीले लगी चप्पल में फिर से ठुकवा ली है नयी कील इस उम्मीद के साथ शायद पहुँच जाए चिर -प्रतिच्छित मंजिल के पास उसने भी जसने ठंडे पड़े चूल्हे और गीली लकड़ियों को पोंछ कर सुखा लिया है इस उम्मीद के साथ शायद इस बार बुझ सके पेट की आग और उन्होंने भी जो बड़े-बड़े होटलों क्लबों में जायेगे पिता-प्रदत्त बड़ी-बड़ी गाड़ियों में सुन्दर बालाओं के साथ नशे में धुत चिंता -मुक्त जोर से चिलायेगे हैप्पी न्यू इयर इस विश्वास के साथ बदल जायेगी अगले साल यह गाडी और यह……. सतत जीवन वो देखो ,सुदूर समय के वृक्ष पर झड़ने ही वाला है पिछले साल का पीला पत्ता और उगने को तैयार है नयी हरी कोंपले झेलने को तैयार धूप , गर्मी और बरसात दिलाती है विश्वास बाकी है अभी कुछ और क्षितज नापने को बाकी है कुछ और ऊँचाइयाँ चढने को बाकी है कुछ और यात्राएं बाकी हैं कुछ और संघर्ष बाकी हैं कुछ और विकास  हर अंत के साथ नया  जन्म लेता सतत जीवन भी तो  अभी बाकी है …. “प्रयास “ फिर शुरू  करनी है एक नयी जददोजहद पूस की धुंध मेंसुखानी हैदुखो की चादरजेठ की तपन मेंठंडा करना हैअपूर्ण स्वप्नो कोखौलते मन मेंबारिश की बूंदो मेंअंनबहे आंसुओं कोपी लेना हैगीली आँखों सेहर साल की तरहफिर इस बारकर लेना हैसमय कापुल पारसर पर लिएअतीत कीगठरी का भार ऐ जाते हुए साल ऐ जाते हुए साल तुम्हीं ने सिखाया मुझे की हर साल 31 दिसंबर की रात को ” happy new year ” कह देने से हैप्पी नहीं हो जाता सब कुछ तुम्हीं ने मुझे सिखाया की ” आल इज वेल ” के मखमली कालीन के नीचे छिपे होते हैं नकारात्मकता के कांटे जो कर देते हैं पांवों को लहुलुहान फिर भी रिसते पैरों और टूटी आशाओं के साथ बढ़ना होता है आगे तुम्हीं ने मुझे सिखाया की धुंध के बीच में आकर चुपके से भर देते हो तुम जीवन में धुंध की ३६५पर्वतों के बीच छुपी होती हैं खाइयाँ जहाँ चोटियों पर फतह की मुस्कराहट के साथ मिलते हैं खाइयों में गिरने के घाव भी तुम्हीं ने मुझे सिखाया की हर दिन सूरज का उगना भी नहीं होता एक सामान कभी – कभी रातों की कालिमा होती है इतनी गहरी की कई दिनों तक नहीं होता सूरज उगने का अहसास जब किसी स्याह रात में लिख देते हो तुम अब सब कुछ नहीं होगा पहले जैसा हां ! इतना जरूर है की तुम्हारे लगातार सिखाने समझाने से हर गुज़ारे साल की तरह इस साल भी मैं हो गयी हूँ पहले से बेहतर पहले से मजबूत और पहले से मौन भी सब समझते जानते हुए भी यह तो तय है की इस साल भी जब 31 दिसंबर की रात को ठीक १२ बजे घनघना उठेगी मेरे फोन की घंटी तो उसी तरह उत्साह से भर कर फिर से कहूँगी ” happy new year ” स्वागत में आगत के बिछा दूँगी स्वप्नों के कालीन सजा दूँगी आशाओं के गुलदस्ते और दरवाजे पर टांग दूँगी उम्मीदों के बंदनवार क्योंकि उम्मीदों का जिन्दा रहना मेरे जिन्दा होने का सबूत है साल बदला है , हम भी बदलें  आधी रात दबे पाँव आता है नया साल क्योंकि वो जानता है बहुत उम्मीद लगा कर बैठे हैं सब उससे  होंगी प्राथनाएं बजेंगी  मंदिर में घंटियाँ मस्जिद में होंगीं आजान चर्च में प्रेयर फूटेंगे पटाखे होंगे “ happy new year”के धमाके फिर वो क्या बदल पायेगा दशा भूख से व्याकुल किसानों की सीमा पर निर्दोष मरते जवानों की कि अभी भी लुटी जायेंगीं इज्ज़तें भ्रस्टाचारी  लगायेंगे कहकहे बदलेंगे नहीं  धर्म भाषा और संस्कृति के नाम पर लड़ते झगड़ते लोग हम बदलेंगें सिर्फ कैलेंडर और डाल देंगे उम्मीदों का सारा भर  नए साल पर जश्न पार्टियों और प्रार्थनाओं  के शोर में कहाँ सुनते हैं हम समय की आवाज़ को मैं बदल रहा हूँ तुम भी तो बदल जाओ  वंदना बाजपेयी   आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं  happy new year काव्य जगत में पढ़े – एक से बढ़कर एक कवितायें काहे को ब्याही ओ बाबुल मेरे मायके आई हुई बेटियाँ बैसाखियाँ डायरियां आपको  कविता  “.नए साल पर 5 कवितायें -साल बदला है , हम भी बदलें .“ कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |