व्यस्त चौराहे

व्यस्त चौराहे

ये कहानी है एक व्यस्त चौराहे की, जो साक्षी बना  दुख -दर्द से जूझती महिला का, जो साक्षी बना अवसाद और मौन का ,जो साक्षी बना इंसानियत का | कितनी भी करुणा उपजे , कितना भी दर्द हो ,पर ये व्यस्त चौराहे कभी खाली नहीं होते .. लोगों की भीड़ से ,वाहनों के शोर से … Read more

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कह -मुकरियाँ

कह मुकरियाँ साहित्य की एक विधा है  | यह शब्दों कह और मुकरियाँ से बनी है  | इसका सीधा सा अर्थ है कही हुई बात से मुकर जाना | ये चार पंक्तियों का बंद  होता है , फिर भी स्पष्ट कुछनहीं  होता | चौथी पंक्ति दो वाक्य भागों में विभक्त होती है | जिसमें पहला वाक्य तीन लाइन … Read more

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ओ री गौरैया !

 कई दिनों से वो गौरैया उस रोशनदान पर घोसला बनाने में लगी थी | वो एक-एक तिनका अपने चोंच में दबा कर लाती और उस रोशनदान में लगाने की कोशिश करती पर उसकी हर कोशिश नाकाम हो जा रही थी कारण ये था कि उसी रोशनदान से डिश का तार कमरे के भीतर आ रहा … Read more

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“एक दिन पिता के नाम “… लघु कथा(याद पापा की ) :मीना पाठक

मीन पाठक

                          “एक दिन पिता के नाम”  याद पापा की — “पापा आप कहाँ चले गये थे मुझे छोड़ कर” अनन्या अपने पापा की उंगुली थामे मचल कर बोली “मैं तारों के पास गया था, अब वही मेरा घर है बेटा” साथ चलते हुए पापा … Read more

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बोझ की तरह

एक स्त्री का जब जन्म होता है तभी से उसके लालन पालन और संस्कारों में स्त्रीयोचित गुण डाले जाने लगते हैं | जैसे-जैसे वो बड़ी होती है, उसके अन्दर वो गुण विकसित होने लगते है | प्रेम, धैर्य, समर्पण, त्याग ये सभी भावनाएं वो किसी के लिए संजोने लगती है और मन ही मन किसी … Read more

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