मोटापा — खोने लगा है आपा ( भाग …3 )
व्यायाम / कसरत / शारीरिक श्रम का विज्ञान ——- आधुनिक जीवन मशीनीकृत जीवन है जो न केवल वर्तमान समय की आवश्यकता है बल्किजिंदगी की बढ़ती भाग दौड़ से सामंजस्य बैठाने के लिए जरुरी भी है . विस्तृत होते कंक्रीट के जंगलों ने चारों दिशाओं में दूरियों को जन्म दे दिया है और इन बढ़ती दूरियों को पाटने के लिए न चाहते हुए भी मशीनो पे हमारी निर्भरता बढ़ गई है . वर्तमान उपभोक्तावादी नूतन भौतिकता से भरपूर जीवन शैली ने हमारे जीवन परिचर्या को सरल तो बनाया है पर हमे स्वयं से दूर भी कर दिया है . अब हम सुबह से शाम तक दौड़ रहे है जीवन को साधन सुविधा संपन्न बनाने के लिए और ऐसे में सबसे ज्यादा अनदेखी होती है स्वयं के शरीर की. ये लिंक क्लिक करें – मोटापा खोने लगा है आपा (1) मोटापा — खोने लगा है आपा ( भाग -2) मोटापा — खोने लगा है आपा ( कड़ी …3 ) न खाने का पता , न सोने का पता और न ही आराम का पता. और ऐसे में बढ़ता थकान का स्तर शरीर को शिथिल बना देता है व शरीर के ऊर्जा स्तर में निरंतर कमी लाता है इस से व्यक्ति शारीरिक श्रम से बचने लगता है क्योकि मानसिक थकान शरीर पर हावी हो जाती है और शिथिल पड़े शरीर में धीरे धीरे जंग लगने लगती है व यही जंग मोटापे की परतों के रूप में शरीर के चारों और लिपटने लगती है क्योकि भोजन के रूप में ऊर्जा की आपूर्ति तो भरपूर होती है पर शरीर में उसकी खपत नही होती | एक बात और आजकल मेनुअल कार्यों को हम हेय दृष्टि से देखने लगे हैं यथा घर का झाड़ू पूछा करना , बर्तन मांजना , कपडे धोना , घर के सामन को व्यवस्थित करना , पास के बाजार तक पैदल चल कर जाना और थैले में सामान लेकर लौटना , बगीचे की साफ सफाई करना , पैदल चलने से बचना और इसी प्रकार के सैकड़ों छोटे छोटे कार्य जिन्हे हमारे पूर्वज मजे से किया करते थे उन सब से बचना और ऐसे कार्यों को खुद के काबिल नही समझना . अब आप ही बताये गर सारा दिन बैठे बैठे दिमागी घोड़े ही दौड़ाएंगे और हाथ पांव जरा भी इधर का उधर नही करेंगे तो वो शरीर में भोजन के रूप में ली हुई ऊर्जा कैसे और किस तरह से काम में आये और जब काम में नही आये तो इकट्ठी होए फिर शरीर के स्टोर में मोटापा बनकर. इसलिए ये आवश्यक है कि व्यक्ति के शरीर की प्रणालियां ठीक से कार्य करे और वह मोटापे का शिकार न हो तो उसे भोजन व नींद की तरह शारीरिक श्रम को भी अपने जीवन का हिस्सा बनाना ही होगा अन्यथा वह कभी भी मोटापे से लड़ ही नही पायेगा . व्यायाम का महत्व व्यायाम को किसी न किसी रूप में जीवन में शामिल करना अनिवार्य है क्योकि ग्रहण की गई ऊर्जा ( भोजन के रूप में ) की जब शरीर में खपत नही होगी तो वह अतिरिक्त ऊर्जा वसा ऊतकों में परिवर्तित हो जाएगी . व्यायाम या कसरत के लिए जिम जाना जरुरी नही है बल्कि शरीर को कार्य करने केलिए उद्दत करना है जिस से शरीर में ऊर्जा की खपत बढे और कार्य करने का आत्मिक संतोष भी प्राप्त हो इसके लिए आज से ही कुछ कार्य स्वयं करना शुरू करे यथा बगीचे की सफाई , कार की धुलाई, घर के साधारण किन्तु महत्वपूर्ण काम , आसपास जाने केलिए दोनों पैरों का भरपूर उपयोग इत्यादि साथ ही एक आदत को नियमित रूप से जीवन का हिस्सा बनाये और वो है मॉर्निंग वॉक या फिर शाम को खाना खाने से पहले की इवनिंग वॉक और भी बहुत ज्यादा नही लगभग आधा घंटा रोज या 3 किलोमीटर रोज़ . और हाँ इसे टालने के लिए कोई भी बहाना नही . जैसे हम साँस लेना नही टाल सकते ठीक वैसे ही इसे जीवन में शामिल कीजिये. बहुत बार कामकाजी महिलाएं या पुरुष जिन्हे सुबह जल्दी निकलना होता है वे गर सुबह नही जा सकते वॉक पे तो शाम को इसे नियमित बनाएं पर इसे न करने का कोई बहाना न तलाशे . समझें शारीरिक श्रम या व्यायाम के विज्ञान को इसलिए शारीरिक श्रम या व्यायाम के विज्ञान को अपनाने के लिए इन तीन बातों को अपनाइये —- ** घर के हर काम को खुश होकर करने की आदत बनाइये इससे दोहरा लाभ होगा . आत्मिक आनंद के साथ साथ मोटापे से मुक्ति ** श्रम से बचने के लिए बहाने बनाना छोड़ दे ….कोई भी बहाना नही (कन्फ्यूशियस ने कहा है कि जिस दिन से हम असफलता के लिए बहाने तलाशने छोड़ देतेहैं सफलता उसी दिन से हमारा दामन थाम लेती है. ) ** स्वयं की अनदेखी ना करें ( क्योकि आप महत्वपूर्ण हैं और आप के साथ बहुत सारे लोगों का जीवन और खुशियां जुडी हुई हैं ) .तनाव का विज्ञान—— आज के जीवन में अगर कुछ है जो सबके साथ जुड़ गया है चाहे बिना चाहे वो है तनाव …तनाव का अपना एक विज्ञान है . हम में से ज्यादातर लोग जीवन में जबरदस्ती तनाव को पाले होते हैं . वास्तव में लोग जिन वजहों से तनावग्रस्त होते हैं , वे महत्वपूर्ण नही होती हैं लेकिन इतनी अधिक प्रभावशाली होती हैं कि उनका हमारे दिमाग, मन एवं शरीर पर जबरदस्त असर होता है वास्तव में देखा जाये तो तनाव हमारे शरीर , दिमाग , संवेदनाओं और उर्जा को व्यवस्थित न कर पाने की अयोग्यता है. अतीत , वर्तमान और भविष्य का चक्र, अधूरे सपनों को पूरा करने की ख्वाहिश व जिन्दगी में संतुलन बनाये रखने की चाहना के वाजिब और सही जवाब को आने से रोकने वाली मानसिक स्थिति ही तनाव है जीवन की भौतिक उपलब्धियों की प्राप्ति, व्यक्तिगत उपलब्धियों की प्राप्ति और इसके लिए परस्पर होड़ा होड़ी से उपजता है अंतर्द्वद जो जन्म देता है तनाव को . तनाव एक ऐसी स्थिति है जिससे बचा नही जा सकता है इसलिए जरुरी है इसका अपेक्षित प्रबंधन क्योकि तनाव मोटापे के मूल में रहता है . तनाव शरीर की ऐसी अवस्था जब व्यक्ति सोचते हुए थकने लग कर दिशाहीन हो जाता है और उसका भोजन … Read more