रितु गुलाटी
पालने में पूत के पैर
यूँ तो ये एक कहावत ही है कि पूत के पाँव पालने में ही दिख जाते हैं , अर्थात नन्हा नाजुक सा बच्चा बड़ा हो कर कैसे स्वाभाव वाला बनेगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है | हम सब अपने जीवन में कभी न कभी ऐसे बच्चों से जरूर रूबरू हुए होंगे जिनकी सफलता के … Read more
मेरी दुल्हन
लाली -लाली डोलिया में लाली रे दुल्हनिया … नयी नयी दुल्हन का क्रेज ही कुछ ज्यादा होता है | सोचने की बात ये हैं कि जब घर परिवार को इतना होता है तो दुल्हे मियाँ को कितना होता होगा, पर ये लम्बी -लंबी उबाऊ परम्पराएं ..आखिर धीरज रहे भी तो कैसे ? कहानी –मेरी दुल्हन … Read more
मीठा अहसास
यूँ तो हमारे हर रिश्ते भावनाओं से जुड़े होते हैं परन्तु संतान के साथ रिश्ते के मीठे अहसास की तुलना किसी और रिश्ते से नहीं की जा सकती | इसी अहसास के कारण तो माता -पिता वो कर जाते हैं अपनी संतान के लिए जिसका अहसास उन्हें खुद नहीं होता | ऐसी ही एक लघु … Read more
वास्तु दोष
किसी घर में शांति क्यों नहीं रहती … क्या इसका कारण महज वास्तु दोष होता है या उन लोगों के स्वाभाव में कुछ ऐसा होता है जो एक अच्छे -भले घर को अशांत कर देता है | पढ़िए वास्तु दोष के आधुनिक चलन पर प्रहार करती रीतू गुलाटी जी की सशक्त कहानी …. वास्तु दोष … Read more
रीतू गुलाटी की पांच कवितायेँ
कविता मन के भाव हैं , कब ये भाव शब्द के रूप में आकर ले कर पन्ने पर उतर जाते हैं कवि भी नहीं जानता | आइये आज ऐसे ही रीतू जी के कविता के रूप में ढलते कुछ भावों में डूब जाए … रीतू गुलाटी की पांच कवितायेँ जीवन का लेखा-जोखा जीवन के इस … Read more
पेशंन का हक
सरकार की पेंशन योजना बुजुर्गों के स्वाभिमान की रक्षा करती है | लेकिन क्या केवल योजना बना देने से बुजुर्गों की समस्याएं दूर हो सकती हैं | क्या ये जरूरी नहीं कि सरकार ये भी सुनिश्चित करे कि अपनी पेंशन निकलने में में उन्हें कोई दिक्कत न हो | पेशंन का हक उस दिन पेशन … Read more