विवाहेतर रिश्तों में सिर्फ पुरुष ही दोषी क्यों ?

                                दो व्यस्क लोग जब मिल कर एक गुनाह करते हैं तो सजा सिर्फ एक को क्यों ? ये प्रश्न उठता तो हमेशा से रहा है परन्तु  इस सामजिक प्रश्न  की न्यायलय में कोई सुनवाई नहीं थी | ये सच … Read more

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बिगड़ते रिश्तों को संभालता है पॉज बटन

                                              हम सब चाहते है की हमारे रिश्ते अच्छे चले और इसके लिए हम प्रयास भी करते हैं | बड़ी मेहनत से रिश्तों के पौधे को सींचते हैं | खाद पानी देते हैं … Read more

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रिश्ते और आध्यात्म – जुड़ाव क्यों बन जाता है उलझन

                                   नीता , मीरा , मुक्ता  व् श्रेया सब एक सहेलियां एक ग्रुप में रहती थी | जब निधि ने कॉलेज ज्वाइन किया |वो भी उन्हीं के ग्रुप में शामिल हो गयी | निधि बहुत जीजिविषा से भरपूर लड़की … Read more

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टूटते रिश्ते – वजह अवास्तविक उम्मीदें तो नहीं

 शादियों का मौसम है | खुशियों का माहौल है | नए जोड़े बन रहे हैं | कितने अरमानों से दो लोग एक दूसरे के जीवन में प्रवेश करते हैं | मांग के साथ तुम्हारा मैंने माग लिया सनसार की धुन पर थिरकता है रिश्ता | फिर क्या होता है की कुछ ही दिनों में आपस … Read more

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क्या आप भी दूसरों की पर्सनालिटी पर टैग लगाते हैं ?

 रुकिए … रुकिए, आप इसे क्यों पढेंगें | आप की तो आदत है फ़िल्मी , मसाला या गॉसिप पढने की | किसी शोध परक आलेख को भला आप क्यों पढेंगे ? आप सोंच रहे होंगे बिना जाने – पहचाने ये कैसा इलज़ाम है | … घबराइये नहीं , ये तो एक उदाहरण था “पर्सनालिटी टैग” … Read more

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रिश्तों में मिठास घोलते फैमिली फंक्शन

भतीजी की दूसरी वर्षगांठ पर अपने मायके बलिया जाने की तैयारी करते हुए पिछले वर्ष के स्मृति वन में खग मन विचरण रहा है ! पिछले वर्ष तीन दिनों के अंदर तीन जगह (  बलिया, जबलपुर, तथा हल्द्वानी ) आने का न्योता मिला था ! तीनों में किसी को भी छोड़ा नहीं जा सकता था! … Read more

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आखिर क्यों 100 % के टेंशन में पिस रहे है बच्चे

अक्सर ही स्त्रियों की  समस्याओं को लेकर परिचर्चा होती रहती है , आये दिन स्त्री विमर्श देखने सुनने तथा पढ़ने को मिल जाता है लेकिन बच्चे जाने अनजाने ही सही अपने अभिभावकों द्वारा सताये जाते हैं इस तरफ़ कम ही लोगों को ध्यान जा पाता है! प्रायः सभी के दिमाग में यह बात बैठा हुआ … Read more

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माता-पिता के झगडे और बच्चे

नन्ही श्रेया अपने बिल्डिंग में नीचे के फ्लोर में रहने वाले श्रीवास्तव जी के घर जाती है और उनका हाथ पकड़ कर कहती है “अंकल मेरे घर में चलो , लाइट जला दो ,पंखा चला दो ,गर्मी लग रही है | श्रीवास्तव जी श्रेया को समझाते हुए कहते हैं “बेटे मम्मी को कहो वो चला … Read more

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चलो मेरी गुइंयाँ – रिश्ता सहेलियों का

चलो मेरी गुइंया  चलो लाल फीता बांध  और सफेद घेर वाली फ्रॉक पहन कर  फिर से चलें  उसी मेले में  जहाँ जाते थे बचपन में  जहाँ खाते थे कंपट की खट्टी – मीठी गोलियां  जहाँ उतरती थी परियाँ  धरती पर  और हम सपनों के झूलों में बैठ  करते थे आसमान से बातें  सुनो ,  चुपके … Read more

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किशोर बच्चों में अपराधिक मानसिकता :जिम्मेदार कौन ?

किशोरावस्था यानि उम्र का वो पड़ाव जिसमें उम्र बचपन व् युवास्था के बीच थोडा सा विश्राम लेती है | या यूँ कहें  न बचपन की मासूमियत है न बड़ों की सी समझ और ऊपर से ढेर सारे शरीरिक व् मानसिक और हार्मोनल परिवर्तनों का दवाब | शुरू से ही किशोरावाथा “ हैंडल विथ केयर “की … Read more

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