मुझे मिला वो, मेरा नसीब है

मुझे मिला वो, मेरा नसीब है  वही सुकून जहां वो करीब है  मैं और क्या भला चाहूंगी  जब प्यार से उसके भर गई । उसने जो कहा मैंने मान ली  नज़र की हरकतें पहचान ली  जिस राह उसके कदम बढ़े  बनी फूल और मैं बिखर गई । वह मोड़ जहां टकराए हम बने जिस्म, जिस्म … Read more

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लघु कहानी — कब तक ?

     कल एक बहुत ही खूबसूरत विचार पढ़ा … “यह हमारे ऊपर है कि हम पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही अनुचित परम्पराओं को तोड़े ….जब वो कहते हैं कि हमारे परिवार में ऐसा ही होता आया है …तो आप उनसे कहिये कि यही वो बिंदु (स्थान) है जहाँ इसे परिवार से बाहर हो … Read more

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किताबें

ऑनलाइन पढने में और किताब हाथ लेकर पढने में वहीँ अंतर है जो किसी मित्र से रूबरू मिलने और फोन पर बात करने में है | ऑनलाइन रीडिंग की सुविधाओं के साथ कुछ तो है जो अनछुआ रह जाता हैं | एक तरफ हम  उन भावों की कमी से जूझते रहते हैं , दूसरी तरफ … Read more

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टूटते तारे से मिन्नतें

कहते हैं टूटते तारे से जो मानगो वो मिल जाता है | इसलिए जब भी कोई टूटता तारा दिखता है हाथ खुद ब खुद दुआ के लिए जुड़ जाते हैं |लेकिन किसी विरहणी  की मिन्नतें कुछ अलग ही होती हैं ….  कविता -टूटते तारे से मिन्नतें  हर टूटते तारे से मिन्नतें करती हूँ  हर ऊंचे … Read more

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सपने

कितने मासूम होते हैं सपने जो आँखों में चले आते हैं  कहीं दूर आसमानों से , पल भर को सब कुछ हरा लगने लगता हैं …. कितने बेदर्द होते हैं सपने , जो पल भर में टूट जाते हैं नाजुक काँच से और ताउम्र चुभती रहती हैं उनकी किरचे |  कविता -सपने  सपनें प्राय: टूटते … Read more

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कच्ची नींद का ख्वाब

ख्वाबों की पूरी अपनी एक अलग ही दुनिया होती है | वो हकीकत की दुनिया से भले ही मेल न खाती हो पर दिल को तो सुकून देती है | ऐसे में जब कच्ची नींद के ख्वाब में प्रियतम खुद प्रियतमा के पास आ जाए तो मौसम कैसे न रंगीन हो जाए |  हिंदी कविता … Read more

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अब चैन से सोऊंगी

तुम्हारा आना तुम्हारा होना मेरा पूर्णता का द्योतक  तुम प्रेम हो इससे इतर  मैं सम्मान क्या जोहूंगी | कियें अास सब तूने पूरे  …विश्वास मेरा जीता  हुआ मेरा सांस-सांस तेरा   तेरी उम्मीद मैं बोऊंगी |  अब  तरंग है, उमंग है , रास-रंग है ये जीवन  एक तुझे पाकर जो पाया है,    तुझे खोकर ना … Read more

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जाने कितनी सारी बातें मैं कहते कहते रह जाती हूँ

लफ्जों को समझदारी में लपेट कर निगल जाती हूँ  जाने कितनी सारी बातें मैं कहते कहते रह जाती हूँ ।  और तुम ये समझते हो ,मै कुछ समझ नही पाती हूँ  है प्यार तुमको जितना मुझसे , मै समझ जाती हँ ।  बड़ी मुश्किल से मुहाने पर रोकती हूँ …बेचैनी को  और इस तरह अपना … Read more

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डायरी के पन्नों में छुपा तो लूँ.

तुम्हें अपने शब्दों में ढाल कर अपनी डायरी के पन्नों में छुपा तो लूँ…  पर उन शब्दों में निहित भाव तुम्हें यकीनन नागवार गुजरेंगे ।  मेरे जुबान बेशक चुप रहते है  पर मेरे मन में जाने कितने सवाल टीस बनकर चुभतें है । मै वृक्ष सी कब तक तिराहे पर चौराहा बनकर निस्तब्ध पड़ी रहूंगी… … Read more

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ये इन्तज़ार के लम्हें

अनजान बेचैनियों में लिपटे,   मेरे ये इन्तज़ार के लम्हें  तुम्हें आवाज़ देना चाहते हैं..   पर मेरा मन सहम जाता है । तुम जानते हो क्यों?   फिर सवाल…   तुम हंस पड़ोगे , या तुम्हारे पास कोई लम्बी सी दलील होगी , लाज़मी है …  और तब भी मेरे लब खामोश ही होंगे , … Read more

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