क्या आप भी दूसरों की पर्सनालिटी पर टैग लगाते हैं ?
रुकिए … रुकिए, आप इसे क्यों पढेंगें | आप की तो आदत है फ़िल्मी , मसाला या गॉसिप पढने की | किसी शोध परक आलेख को भला आप क्यों पढेंगे ? आप सोंच रहे होंगे बिना जाने – पहचाने ये कैसा इलज़ाम है | … घबराइये नहीं , ये तो एक उदाहरण था “पर्सनालिटी टैग” का जिसके बारे में मैं आज विस्तार से बात करने वाली हूँ | अगर आपको लगता है की जाने अनजाने आप भी ऐसे ही दूसरों की पर्सनालिटी पर टैग लगाते रहते हैं तो इस लेख को जरा ध्यान से पढ़िए | हम सब की आदत होती है की किसी की एक , दो बात पसंद नहीं आई तो उसकी पूरी पर्सनालिटी पर ही टैग लगा देते हैं | बॉस ने कुछ कह दिया … अरे वो तो है ही खडूस , टीचर की क्लास में पढ़ाते समय दो – तीन बार जुबान फिसल गयी | हमने टैग लगा दिया उन्हें तो इंग्लिश/हिंदी बोलना ही नहीं आता | कौन , वही देसाई मैम जिनको इंग्लिश/हिंदी नहीं आती | भाई पिछले दो साल से रक्षा बंधन पर नहीं आ पाया … टैग लगा दिया वो बेपरवाह है | उसे रिश्तों की फ़िक्र नहीं | ऐसे आये दिन हम हर किसी पर कोई न कोई टैग लगाते रहते हैं | दाग अच्छे हैं पर पर्सनालिटी पर टैग नहीं आज इस विषय पर बात करते समय जो सबसे अच्छा उदहारण मेरे जेहन में आ रहा है वो है एक विज्ञापन का | जी हाँ ! बहुत समय पहले एक वाशिंग पाउडर का ऐड देखा था | उसमें एक ऑफिस में काम करने वाली लड़की बहुत मेहनती थी | क्योंकि वो ऑफिस का सारा काम टाइम से पहले ही पूरा कर देती थी | लिहाज़ा वह बॉस की फेवरिट भी थी | जहाँ बॉस सबको छुट्टी देने में आना-कानी करता उसको झट से छुट्टी दे देता | ऑफिस के लोगों को उसकी मेहनत नहीं दिखती | दिखती तो बस बॉस द्वारा की गयी उसकी प्रशंसा व् जब तब दी गयी छुट्टियां | अब लोगों ने उसके ऊपर टैग लगा दिया , बॉस की चमची , जरूर बॉस से कुछ चक्कर चल रहा है , चरित्रहीन | एक दिन वो लड़की ऑफिस नहीं आई | बॉस ने ऑफिस की एक जरूरी फ़ाइल उस के घर तक दे आने व् उससे एक फ़ाइल लाने का काम दूसरी लड़की को दे दिया | दूसरी लड़की बॉस को तो मना नहीं कर सकी पर सारे रास्ते यही सोंचती रही की बॉस की चमची ने तो मुझे भी अपना नौकर बना दिया | अब मुझे उसके घर फ़ाइल पहुँचाने , लाने जाना पड़ेगा | इन सब ख्यालों के बीच वो उसके घर पहुंची और कॉल बेल दबाई | थोड़ी देर बीत गयी कोई गेट खोलने नहीं आया | उसने फिर बेल दबाई | फिर भी कोई नहीं आया | अब तो उसे बहुत गुस्सा आने लगा | वाह बॉस की चमची सो रहीं होंगी और मैं नौकर बनी घंटियाँ बजा रही हूँ | गुस्से में उसने दरवाज़ा भडभडाया | दरवाज़ा केवल लुढका था इसलिए खुल गया | वो लड़की बडबडाते हुए अंदर गयी | सामने के कमरे में एक औरत व्हील चेयर में बैठी थी | उसने धीमी आवाज़ में कहा ,” आओ बेटी , मैं कह रही थी की दरवाज़ा खुला है पर शायद मेरी आवाज़ तुम तक नहीं पहुंची | मेरी बेटी बता गयी थी की तुम फ़ाइल देने आओगी | ये वाली फ़ाइल लेती जाना | बहुत मेहनत करती है मेरी बेटी | ऑफिस का काम , घर का काम , ऊपर से मेरी बिमारी में डॉक्टर से दूसरे डॉक्टर तक की भाग –दौड़ |पर उसकी मेहनत के कारण ही उसके बॉस जब जरूरत पड़ती है उसे छुट्टी दे देते हैं | अब आज ही सुबह चक्कर आ गया | ब्लड टेस्ट करवाया |रिपोर्ट डॉक्टर को दिखाने गयी है | इसलिए तुम्हें आना पड़ा | जो लड़की फ़ाइल देने आई थी | जो उसे अभी तक बॉस की चमची कह कर बुलाये जा रही थी बहुत लज्जित महसूस करने लगी | अरे , बेचारी इतनी तकलीफ में रह कर भी ऑफिस में हम सब से ज्यादा काम करती है | हम सब तो घर में हुक्म चलाते हैं | उसे तो बीमार आपहिज माँ की सेवा करनी पड़ती है | अपनी उहापोह में वो लौटने लगी |तभी उसे उस लड़की की माँ का स्वर सुनाई दिया ,” बेटा दरवाज़ा बंद करती जाना | और हां , एक बात और हो सकता है यहाँ आने से पहले तुम भी औरों की तरह मेरी बेटी को गलत समझती होगी | उसे तरह – तरह के नाम देती होगी | पर यहाँ आने के बाद सारी परिस्थिति देख कर तुम्हारी राय बदली होगी | इसलिए आगे से किसी की पर टैग लगाने से पहले सोंचना | क्योंकि दाग मिट सकते हैं पर टैग नहीं कहने को यह एक विज्ञापन था | पर इस विज्ञापन को बनाने वाले ने मानव मन की कमी को व्यापकता से समझा था | की हम अक्सर हर किसी पर टैग लगाते फिरते हैं | ये जाने बिना की पर्सनालिटी पर लगे टैग आसानी से नहीं मिटते | पर्सनालिटी टैग हमारी प्रतिभा को सीमित कर देते हैं आपको याद होगा की अमिताभ बच्चन ने फिल्म अग्निपथ में अपनी आवाज़ बदली थी | जिस कारण लोगों ने फिल्म को अस्वीकार कर दिया | गोविंदा को सीरियस रोल में लोगों ने अस्वीकार कर दिया | राखी सावंत को आइटम नंबर के अतिरिक्त कोई किसी रूपमें देखना ही नहीं चाहता | एक कलाकार, कलाकार होता है | पर वो अपने ही किसी करेक्टर में इस कदर कैद हो जाता है | की उसके विकास के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं | यह हर कला के साथ होता है | चाहे साहित्यकार हो , चित्रकार या कोई अन्य कला | साहित्य से संबंध रखने के कारण मैंने अक्सर देखा है की एक साहित्यकार को आम बातों पर बोलने से लोग खफा हो जाते हैं |क्योंकि वो उसे उसी परिधि में देखना चाहते हैं | स्त्री विमर्श की लेखिकाएं के अन्य विषयों पर लिखे गए लेख पढ़े जाने का आंकड़ा कम है | … Read more