विद्या सिन्हा – करे फिर उसकी याद छोटी-छोटी सी बात …
फोटो क्रेडिट -इंडियन एक्सप्रेस ना जाने क्यों होता है ये जिन्दगी के साथ , अचानक ये मन किसी के जाने के बाद , करे फिर उसकी याद छोटी-छोटी सी बात … ये गीत फिल्म ‘छोटी सी बात’ में विद्या सिन्हा पर फिल्माया गया था | विद्या सिन्हा के अभिनय की तरह ये गीत भी मुझे बहुत पसंद था | बरसों पहले अक्सर ये गीत गुनगुनाया भी करती थी | फिर जैसे -जैसे विद्या सिन्हा ने फिल्मों से दूरी बना ली वैसे -वैसे मैंने भी इस गीत से दूरी बना ली | परन्तु आज जैसे ही विध्या सिन्हा की मृत्यु की खबर आई … ये गीत किसी सुर लय ताल में नहीं , एक सत्य की तरह मेरे मन में उतरने लगा और विद्या सिन्हा की फिल्में उनसे जुडी तमाम छोटी बड़ी बातें स्मृति पटल पर अंकित होने लगीं | विद्या सिन्हा – करे फिर उसकी याद छोटी-छोटी सी बात … साधारण शक्ल सूरत लेकिन भावप्रवण अभिनय वाली विद्या सिन्हा ने ‘रजनीगंधा फिल्म से अपन फ़िल्मी कैरियर शुरू किया | ये फिल्म मन्नू भंडारी जी की कहानी ‘यही सच है ‘पर आधारित थी | ये कहानी एक ऐसी पढ़ी -लिखी शालीन लड़की की कहानी है जो अपने भूतपूर्व और वर्तमान प्रेमियों में से किसी एक को चुनने के मानसिक अंतर्द्वंद में फंसी हुई है | बासु दा निर्देशित इस कहानी में विद्या सिन्हा ने अपने अभिनय से प्राण फूंक दिए | उन पर फिल्माया हुआ गीत ‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे महके जैसे आँगन में / यूँही महके प्रीत पिया की मेरे अनुरागी मन में “बहुत लोकप्रिय हुआ | उनकी सादगी ने दरशकों को मोहित कर दिया | उसके बाद उन्होंने कई फिल्में करीं | ज्यादातर फिल्मों में उन्होंने ग्लैमर की जगह सादगी और भावप्रवण अभिनय पर ध्यान केन्द्रित किया | शीघ्र ही उनकी पहचान एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में होंने लगीं | उन्होंने ज्यादातर सेमी आर्ट फिल्मों में अपना योगदान दिया | फिर भी छोटी सी बात और पति पत्नी और वो की लड़की सायकल वाली को कौन भूल सकता है | फ़िल्मी जीवन उनका चाहें जैसरह हो पर निजी जीवन बेहद दुखद था | जिसका असर फ़िल्मी जीवन पर भी पड़ा | और उन्होंने निराशा में बहुत जल्दी फिल्मों से दूरी बना ली | अभी हाल में वो फिर से एक्टिव हुईं थी पर ईश्वर ने उन्हें तमाम साइन प्रेमियों से छीन कर अपने पास बुला लिया | उनका जन्म 15 नवम्बर १९४७ में हुआ था | उन्हें जन्म देते ही उनकी माँ की मृत्यु हो गयी | उनके पिता एस .मान सिंह प्रसिद्द सहायक निर्देशक थे | पर माके बिना उनका लालन -पालन उनके नाना मोहन सिन्हा के याहन हुआ जो प्रसिद्द निर्देशक थे | मोहन सिन्हा को ही मधुबालाको सुनहरे परदे पर लाने का श्रेय जाता है | विद्या सिन्हा का एक्टिंग को कैरियर बनाने का इरादा नहीं था परतु उनकी एक आंटी ने उन्हें मिस बॉम्बे प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मना लिया | उन्होंने १७ वर्ष की आयु में इस प्रतियोगिता को जीता | उसके बाद उनका मोड्लिंग का सफ़र शुरू हो गया १८ वर्ष की आयु तक वो कई मैगजींस के कवर पर आ चुकी थीं | उसी समय उनकी मुलाकात वेंकेटश्वरन अय्यर से हुई | ये मुलाकात प्रेम में बदली और उन्होंने १९६८ में उनसे विवाह कर लिया | विवाह के बाद भी वो मोडलिंग करती रहीं | बासु दा ने उन्हें एक मैगजीन के कवर पर देख कर अपनी फिल्म के लिए उनसे कांटेक्ट किया | १९७४ में उन्होंने रजनीगंधा में काम किया जो बहुत हित फिल्म साबित हुई उसके बाद बासु दा उनके मेंटर और शुभचिंतक के रूप में उनका साथ देने लगे | १२ साल तक उन्होंने अभिनय क्षेत्र की ऊँचाइयों को छुआ | फिर उन्होंने एक बच्ची जाह्नवी को गोद लिया और उसकी परवरिश के लिए उस समय फ़िल्मी दुनिया को विदा कह दिया जब उनका कैरियर पीक पर था | अपने पति और बच्ची के साथ उन्होंने थोडा सा ही जीवन शांति से गुज़ार पाया होगा कि उनके पति की मृत्यु (1996 ) हो गयी | उसके बाद वो अपनी बेटी के साथ (2001)ऑस्ट्रेलिया चली गयीं ताकि इन दर्दनाक यादों से दूर रह कर अपनी बेटी की अच्छी परवरिश कर सकें | यहीं पर उनकी मुलाक़ात भीमराव शालुंके से हुई |कुछ समय बाद दोनों ने शादी कर ली | शालुंके का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था | शारीरिक व् मानसिक प्रताड़ना से तंग आकर उन्होंने (२००९ ) में तलाक ले लिया | जिसके खिलाफ उन्होंने FIR भी दर्ज की थी | बेटी के समझाने पर उन्होंने फिर से अभिनय की दुनिया में कदम रखा | 2004 में एकता कपूर के सीरियल काव्यांजलि से उन्होंने टीवी में अभिनय की शुरुआत की | हालांकि अभिनय उन्होंने इक्का दुक्का फिल्मों और सीरियल में ही किया | वो काफी समय से वो वेंटिलेटर पर थी और आज १५ अगस्त 2019 को ७१ वर्ष की आयु में उन्होंने अपने इस जीवन के चरित्र का अभिनय पूरा कर उस लोक में प्रस्थान किया | भले ही आज वो हमारे बीच नहीं है पर अपने सादगी भरे अभिनय के माध्यम से वो अपने चाहने वालों के बीच में सदा रहेंगी | *सत्यम शिवम् सुन्दरम में पहले रूपा का रोल उन्हें ही ऑफर किया गया था जिसे उन्होंने यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि वो कम कपड़ों में सहज महसूस नहीं करती | यह भी पढ़ें … हैरी पॉटर की लेखिका जे के रॉलिंग का अंधेरों से उजालों का सफ़र लोकमाता अहिल्या बाई होलकर डॉ .अब्दुल कलाम -शिक्षा को समर्पित थी उनकी जीवनी स्टीफन हॉकिंग -हिम्मत वालें कभी हारते नहीं आपको फिल्म समीक्षा “विद्या सिन्हा – करे फिर उसकी याद छोटी-छोटी सी बात …“ कैसी लगी | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें filed under -vidya sinha … Read more