फिर से कैसे जोड़े दोस्ती के टूटे धागे
हमारे तमाम रिश्तों में दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जिसे हम खुद चुनते हैं , इसलिए इसे हमें खुद ही संभालना होता है | फिर भी कई बार दो पक्के दोस्तों के बीच में किसी कारण से गलतफहमी हो जाती है और दोनों दोस्त दूर हो जाते हैं | ऐसा ही हुआ निखिल और सुमेर के बीच में | निखिल और सुमेर बचपन के दोस्त थे …. साथ पढ़ते , खाते –पीते , खेलते | कोलेज के ज़माने तक साथ थे | एक दिन किसी बात पर दोनों में बहस हो गयी | बहस ने गलतफहमी का रूप ले लिया और दोनों में बातचीत बंद हो गयी | भले ही दोनों अन्दर अंदर सोचते रहे की बातचीत शुरू हो पर पहल कौन करे …. अहंकार आड़े आ जाता , दोनों को लगता वो सही हैं या कम से कम वो गलत तो बिलकुल नहीं हैं …और देखते ही देखते चार साल बीत गए | फिर से कैसे जोड़े दोस्ती के टूटे धागे जब दो लोग एक दूसरे की जिन्दगी में बहुत मायने रखते हैं तो वो भले ही एक दूसरे से दूर हो जाएँ , उनमें बातचीत बंद हो जाए पर वो दिल से दूर नहीं हो पाते | एक दूसरे की कमी उनकी जिन्दगी में वो खालीपन उत्त्पन्न करती है जो किसी दूसरे रिश्ते से भरा नहीं जा सकता | एक दिन अचानक से निखिल का मेसेज सुमेर के पास आया की “वो उससे मिलना चाहता है |” सुमेर की आँखों में से आंसू बहने लगे | ये आँसू ख़ुशी और गम दोनों के थे | उसे लग रहा था कि ये पहल उसने क्यों नहीं की | वो दोनों निश्चित स्थान पर मिले …. गले लगे रोये , समय जैसे थम गया , लगा ही नहीं की चार लंबे लंबे साल बीत चुके हैं | उनके दिल तो अभी भी एक लय पर नृत्य कर रहे थे | हालांकि कुछ समय उन्होंने जरूर लिया , फिर दोस्ती वैसे ही गाढ़ी हो गयी जैसे की वो कभी टूटी ही नहीं थी | जिंदगी के सफ़र में न जाने कितने दोस्त बनते हैं पर कुछ ही ऐसे होते हैं जिनसे हम आत्मा के स्तर तक जुड़े होते हैं पर न जाने क्यों उनके बीच भी गलतफहमी हो जाती है … दूरियाँ बन जाती हैं | फिर जिंदगी आगे बढती तो है पर अधूरी अधूरी सी | अगर आप का भी ऐसा कोई दोस्त है जिससे दूरियाँ बढ़ गयीं हैं तो आज के दिन उससे मिलिए , फोन करिए ,या एक छोटा सा मेसेज ही कर दीजिये ….. देखिएगा दोस्ती की फसल फिर से लहलहाने लगेगी और खुशियों की भी | अगर आप को उस दोस्ती को फिर से शुरू करने में दिक्कत आ रही है तो आप इस लेख की मदद ले सकते हैं। … सबसे पहले इंतज़ार करिए रेत के बैठने का अगर आप का झगडा अभी हाल में हुआ है तो आप जाहिर तौर पर आप दोनों ने एक दूसरे को बहुत बुरा –भला कहा होगा | आप दोनों के मन में मनोवैज्ञानिक घाव होंगे | अगर आप अपने मन से वो बाते निकल भी दें तो जरूरी नहीं कि आप का दोस्त भी उसी मानसिक स्थिति में हो | हो सकता है वो आभी उन घावों का बहुत दर्द महसूस कर रहा हो | मेरे नानाजी कहा करते थे “रोटी ठंडी कर के खाओ “ अर्थात जब थोडा समय बीत जाए तब बात करो | आज की भाषा में आप इसे “ कुलिंग टाइम “ कह सकते हैं | यकीन मानिए अगर बिना खुद को ठंडा किये आप ने बात चीत शुरू कर दी तो ये पक्का है कि उसी बात पर आप दुबारा उतने ही उग्र हो कर झगड़ पड़ेंगे | अपने गुस्से को संभालना सीखिए जिस समय आपकी अपने प्रिय दोस्त के साथ अनबन होती है , आप के अन्दर बहुत गुस्सा भरा होता है | आप को लगता है आप जोर –जोर से चिल्ला कर उसके बारे में कुछ कहें या कोई ऐसा हो जिसके सामने आप अपने मन का हर दर्द कह कर खाली हो जाए | ये एक नैसर्गिक मांग है | पर यहाँ मैं ये कहना चाहती हूँ , “ आप को जितना मर्जी आये आप अपने दोस्त के बारे में कहिये , जो मन आये कहिये , आने को खाली करिए पर हर किसी के सामने नहीं | मामला आप दोनों के बीच था बीच में ही रहना चाहिए | कई बार गलती ये हो जाती है कि खुद को खाली करने के चक्कर में हम अपने दोस्त के बारे में अंट शंट कुछ भी दूसरों से बोल देते हैं | जबकि हमारा इंटेंशन नहीं होता | अभी भी हमारे दिल में उस दोस्त के प्रति नफरत नहीं होती बस हम अपने आप को खाली करना चाहते हैं , इसलिए अपने मन की भड़ास किसी एक व्यक्ति के सामने निकालिए जिस पर आप विश्वास कर सकते हैं कि वो आप की बात अपने तक ही रखेगा | अब जैसे सुनिधि और नेहा को ही देख लें | जब नेहा को पता चला की सुनिधि सब को उसके बारे में बता रही है वो सुनिधि से हंमेशा के लिए दूर हो गयी | मैं ऐसी स्थिति में अपने पति या दीदी से बात करती हूँ | कई बार ये लोग मेरी गलती भी दिखा देते हैं | जो भी हो ऐसा करने से दोस्ती के बंधन को पुनः मजबूत करने की डोर आपके हाथ में रहती है | आलोचना , आंकलन और शिकायत से दूर रहे जब किसी की दोस्ती टूटती है या यूँ कहें की उसमें पॉज आ जाता है तो जो चीज उन्हें आगे बढ़ने से रोकती है वो है हमारा ईगो यानी अहंकार | अहंकार एक छद्म आवरण है , हमारा अहंकार हमें वैसे रहने पर मजबूर करता है जैसे हम दुनिया को दिखाना चाहते है कि देखो हम ऐसे हैं | पहल करने का अर्थ ये लगता है कि अगला कहीं हमें कमजोर न समझ ले या लोग मुझे ही गलत कहेंगे | इसलिए दोबारा जुड़ने से पहले अपने “ शुद्ध रूप “ को समझिये | जो आप वास्तव में है इस आवरण के बिना … Read more