फेसबुक पर लाइक कमेंट की मित्रता
दोस्त यूँ ही नहीं बनते | दो लोगों के जुड़ने के बीच कुछ कारण होता है | ये कारण उस दोस्ती को थामे रखता है | दोस्ती को जिन्दा रखने के लिए उस कारण का बने रहना बहुत जरूरी है | ऐसी ही तो है फेसबुक की मित्रता भी …जिसकी प्राण -वायु है लाइक और कमेंट फेसबुक पर लाइक कमेंट की मित्रता फेसबुक की इस अनजान दुनिया में तमाम परायों के बीच अपनापन खोजते हुए मैंने ही तो भेजा था तुम्हें मित्रता निवेदन जिसे स्वीकार किया था तुमने बड़ी ही जिन्दादिली से और मेरी वाल पर चस्पा कर दी थी अपनी पोस्ट स्वागत है आपका झूम गयी थी उस दिन मन ही मन और एक तरफ़ा प्रेम में डूबी मैं तुम्हारी हर पोस्ट पर लगाती रही लाइक और कमेंट की मोहर और खुश होती रही अपनी मित्रता की इस उपलब्द्धि पर महीनों की मेहनत के बाद तुम्हारी भी कुछ लाइक चमकने लगीं मेरी पोस्ट पर और उस दिन समझा था मैंने खुद को दुनिया का सबसे धनी फिर फोन नंबर की हुई अदला -बदली और कभी -कभी मुलाकाते भी अचानक तुमने मेरी पोस्ट आना छोड़ दिया कुछ खटका सा मेरे मन में हालांकि फोन पर थीं तुम उतनी ही सहज मिलने के दौरान भी लगता था सब ठीक फिर भी तुम्हारी हर पोस्ट पर मेरी लाइक -कमेंट के बाद नहीं आने लगीं तुम्हारी लाइक मेरी किसी भी पोस्ट पर इस बीच बढ़ गए थे हमारे मित्रों की संख्या पर उन सबके बीच मैं हमेशा खोजती रही तुम्हारी लाइक और होती रही निराश अन्तत :न्यूटन का थर्ड लॉ अपनाते हुए धीरे -धीरे तुम्हारी पोस्टों पर कम होने लगे मेरे भी कमेंट फिर लाइक भी अब हमारी फोन पर बातें भी नहीं होतीं मुलाकातें तो बिलकुल भी नहीं और फेसबुक की हजारों दोस्तियों की तरह हमारी -तुम्हारी दोस्ती भी जो लाइक -कमेंट से शुरू हुई थी लाइक -कमेंट की प्राण वायु के आभाव में खत्म हो गयी नीलम गुप्ता यह भी पढ़ें … मैं माँ की गुडिया ,दादी की परी नहीं … बस एक खबर थी कच्ची नींद का ख्वाबकिताबें कतरा कतरा पिघल रहा है आपको “फेसबुक पर लाइक कमेंट की मित्रता “कैसे लगी अपनी राय से हमें अवगत कराइए | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | filed under- poem in Hindi, Hindi poetry, facebook, facebook friends