खरगांव का चौक -उपन्यास अंश

खरगांव का चौक

विदर्भ के किसानों की जीवंत दास्तान आशा पाण्डेय का उपन्यास ‘खरगाँव का चौक’ विदर्भ  के किसानों की जिजीविषा, सपनों, अपने जीवन को बेहतरी की ओर ले जाने के उनके प्रयासों और सामूहिकता व सहकारिता के मूल्यों को लेकर लिखा गया हमारे समय का एक महत्वपूर्ण उपन्यास है। आशा पाण्डेय ने अपने इस उपन्यास में विदर्भ … Read more

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डेढ़ सेर चाँदी

डेढ़ सेर चाँदी

  अंत हीन दुख, निराशा, पीड़ा अवसाद की ओर धकेलते हैं और अगर घनघोर निराशा की बीच आस की अंतिम किरण भी डूब जाए तो व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन कैसे संभाले l नईका के साथ भी यही हुआ l मैं बात कर रही हूँ अभी हाल में घोषित हुए रमाकांत स्मृति पुरुस्कार से सम्मानित आशा … Read more

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उर्मिला शुक्ल के उपन्यास बिन ड्योढ़ी का घर भाग – तीन का अंश

बिन ड्योढ़ी का घर भाग -3

यूँ  तो अटूट बंधन आगामी पुस्तकों  के अंश प्रस्तुत करता रहा है l इसी क्रम में आज हम आगामी पुस्तक मेले में में लोकार्पित एक ऐसे उपन्यास का अंश प्रस्तुत करने जा रहे हैं, जो हिन्दी साहित्य जगत में एक इतिहास बना रहा है l ये है एक उपन्यास का तीन भागों  का आना l  … Read more

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पूर्वा- कहानी किरण सिंह

“जिस घर में भाई नहीं होते उस घर कि लड़कियाँ मनबढ़ होती हैंl” उपन्यासिक कलेवर समेटे चर्चित साहित्यकार किरण सिंह जी की  कहानी ‘पूर्वा’  आम जिंदगी के माध्यम से रूढ़ियों की टूटती बेड़ियों की बड़ी बात कह जाती है l वहीं  बिना माँ की बेटी अपूर्व सुंदरी पूर्वा का जीवन एक के बाद एक दर्द … Read more

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दीपक शर्मा की कहानी एवज़ी

  वरिष्ठ लेखिका दीपक शर्मा जी की कहानियाँ पढ़ते हुए बिहारी का ये दोहा अनायास ही जुबान पर आ जाता है l सतसइया के दोहरे ज्यों नावक के तीर, देखन में छोटे लगें घाव करे गंभीर, छोटी सी कहानी ‘एवजी’ भी मरीजों, बुजुर्गों, बच्चों की सेवा टहल के लिए अपनी सेवाएँ देने वालों के ऊपर … Read more

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निर्मल वर्मा की कहानी – डेढ़ इंच ऊपर

निर्मल वर्मा की कहानी - डेढ़ इंच ऊपर

  अगर आप बुरा न मानें तो मैं एक और बिअर लूँगा। कुछ देर में यह पब बन्द हो जाएगी और फिर सारे शहर में सुबह तक एक बूंद भी दिखाई नहीं देगी। आप डरिए नहीं … मैं पीने की अपनी सीमा जानता हूँ … आदमी को ज़मीन से करीब डेढ़ इंच ऊपर उठ जाना … Read more

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काकी का करवाचौथ

हमेशा की तरह करवाचौथ से एक दिन पहले काकी करवाचौथ का सारा सामान ले आयीं| वो रंग बिरंगे करवे, चूड़ी, बिंदी …सब कुछ लायी थीं और हमेशा की तरह सबको हुलस –हुलस कर दे रही थी | मुझे देते हुए बोलीं, “ये लो दिव्या तुम्हारे करवे, अच्छे से पूजा करना, तुम्हारी और दीपेश की जोड़ी … Read more

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शोकपर्व-चमत्कार के मनोविज्ञान पर निधि अग्रवाल की कहानी

निधि अगवाल की की कहानी शोकपर्व

  आज हर जगह चमत्कार और चमत्कारियों की चर्चा है l कहीं चमत्कार  को नमस्कार है तो कहीं चमत्कार पर प्रहार है l लेकिन ये बात केवल आज की नहीं है, वो कौन सा दौर था या होगा या कौन सा धर्म था/ होगा जहाँ चमत्कारी लोगों का अस्तित्व नहीं रहा ?  क्यों भीड़ की … Read more

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प्रियंका ओम की कहानी बाज मर्तबा जिंदगी

बाज मर्तबा जिंदगी

सोशल मीडिया एक खिड़की खोलता है अपने विचारों की अभिव्यक्ति की l ये स्वतंत्रता अपने साथ कुछ जिम्मेदारियाँ भी ले कर आती है l ये जिम्मेदारी केवल हम क्या लिख रहे हैं कि नहीं होती, ये जिम्मेदारी होती है है असहमति से सम्मान पूर्वक सहमत होने की l ये भी जिम्मेदारी होती है कि किसी … Read more

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रोज़- अज्ञेय की कालजयी कहानी

रोज- अज्ञेय की कालजयी कहानी

रोज रोज वही काम l हर रोज सुबह से लेकर शाम तक एक आम गृहिणी की जिंदगी में वही काम और उससे उपजी एकरसता जनित निराश कुछ ऐसे हावी हो जाती है कि उसके जीवन के सारे रंग ही कुम्हला जाते हैंl स्त्री मन के गहन कदराओं में परेवेश करती है साहित्य में क्रान्तिकारी परिवर्तन … Read more

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