“गतांक से आगे” डिजिटल जवाब
विधि के नाम अभी -अभी एक मैगजीन आई थी, मेलबर्न से प्रकाशित। संपादक प्रसून गुप्ता , उसके एक अच्छे मित्र, जिनसे उसकी भावनाएं जुड़ने लगी थी।पर विधि हतप्रभ थी, प्रसून की कहानी पढ़कर। प्रसून ने बोला था वो उसे सरप्राइज देगा, पर वो ऐसा सरप्राइज होगा , उसे विश्वास न हो रहा था। अपने और प्रसून के बीच हुई मधुर मीठी बातों, समस्याओं, हंसी मजाक को, प्रसून ने अलग रंग दे, उसमे अश्लील वार्तालाप भी सम्मलित कर दिए थे। सिर्फ विधि का नाम बदल दिया था।”डिजिटल प्रेम” नाम की इस कथा ने, कुछ पलों के लिए विधि के होश उड़ा दिए। इतना क्रूर ,घिनौना मज़ाक? सिर्फ नाम बदलने से क्या? उनकी दोस्ती फेसबुक पर अनजानी न थी। क्या मित्रता स्वस्थ नही हुआ करती? क्या सब लोग नाम बदलने से ही समझ न जाएंगे, कि कौन है, इस कहानी की हीरोइन—- आंख में आंसू आते जा रहे थे,और दिमाग विचार शून्य हो चला था। पति जिसे वो छोड़ आई थी, उसको छोड़ने का निर्णय सही होते हुए भी गलत लगने लगा था। कुछ सोचकर विधि ने चेहरे पर ठंडे पानी के छींटे मारे सर पर भी पानी—, और गर्म कॉफ़ी बना, लॉन में टहलते हुए पीने लगी । अब दिमाग थोड़ा प्रकृतिस्थ होने लगा था। विचार करने लायक।उसने अपना मोबाइल खोल व्हाट्स एप खोला। गनीमत उसने अपने और प्रसून के वार्तालाप डिलीट नही किये थे। कुछ सोच वो मैगज़ीन उठा,पड़ोस में रहने वाली अपनी सखी के यहां चली। मधु उसे देखते ही बोली, आओ मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रही थी।पढ़ ली है, कहानी, तेरी परेशानी भी समझ रही हूँ,पर विधि क्या तुझे नही लगता, तुम एक फालतू की कहानी को बेवजह ही तूल दे रही हो? भावनात्मक लगाव होना कोई अनहोनी बात नही है,पर गलत है तो अंध विश्वास। हर रिश्ते के बीच मर्यादा का एक महीन सा तार होता है, बस उसे बनाये रखो। और रहा तेरी परेशानी का हल—- मधु मुस्कुराई,उसका भी हल देख लेना। फिलहाल तो ये रहे प्रसून गुप्ता के खास रिश्तेदारों और मित्रों की सूची। ऐसा कर इन सब को इस मैगज़ीन की एक एक प्रति भेज, ताकि उन्हें पता चले कि उनका भांजा, भतीजा, बेटा, दोस्त किस तरह के अश्लील साहित्य का सृजन कर रहा है। और भी सुन IPC की धारा 292, 293,294 में इस तरह के साहित्य, CD आदि के खिलाफ,सजा का प्रावधान है। कभी पुराने पति के पास लौटने की मत सोचना। वो तेरा दूसरा गलत कदम होगा। अगले दिन पत्रिका की मेल में सैकड़ों चिट्ठियां पहुंची थी। प्रसून गुप्ता की उस कहानी की निंदा करते हुए। और प्रसून जोशी का एक प्रकार का सामाजिक बहिष्कार शुरू हो गया था। विधि अपनी छोटी सी बगिया में फूलों को पानी देते हुए उन्मुक्त भाव से मुस्कुरा रही थी।——/ रश्मि सिन्हा यह भी पढ़ें … मास्टर जी ऑटिस्टिक बच्चे की कहानी – लाटा आपको रश्मि सिन्हा जी की कहानी ““गतांक से आगे” डिजिटल जवाब कैसी लगी | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें