वो प्यार था या कुछ और था
जो मैं ऐसा जानती कि प्रीत किये दुःख होय , नगर ढिंढोरा पीटती , की प्रीत न करियो कोय प्रेम , यानि हौले से मन के ऊपर दी गयी एक दस्तक और … Read more
जो मैं ऐसा जानती कि प्रीत किये दुःख होय , नगर ढिंढोरा पीटती , की प्रीत न करियो कोय प्रेम , यानि हौले से मन के ऊपर दी गयी एक दस्तक और … Read more
फिर पद चाप सुनाई पड़ रहे वसंत ऋतु के आगमन के जब वसुंधरा बदलेगी स्वेत साडी करेगी श्रृंगार उल्लसित वातावरण में झूमने लगेंगे मदन -रति और अखिल विश्व करने लगेगा मादक नृत्य सजने लगेंगे बाजार अस्तित्व में आयेगे अदृश्य तराजू जो फिर से तोलने लगेंगे प्रेम जैसे विराट शब्द को उपहारों में अधिकार भाव में आकर्षण … Read more