मातृ दिवस पर- एक माँ के अपने बच्चों ( बेटे और बेटी ) के नाम पत्र

                                      आज इन दो पत्रों को पढ़ते हुए फिल्म कभी ख़ुशी कभी गम का एक डायलाग याद आ गया | पिता भले ही अपने स्नेह को व्यक्त करे न करे  बच्चों के साथ खुल कर बात करे … Read more

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मदर्स डे : माँ और बेटी को पत्र

मेरी प्यारी बेटीकैसी हो?कितने दिन हो गए तुम्हें अपने गले से लगाए हुए। कहाँ तो एक दिन भी तुम्हें याद किए बिना बीतता नहीं था मेरा। पर अब कितनी विवश हूँ मैं। याद रोज़ करती हूँ, रोज़ अपनी अश्रुपूर्ण आँखों से तुम्हारे पापा के साथ उन रूपों के बीच निहारती हूँ तुम्हें, जिनमेँ जब-तब हमें … Read more

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ऐसे थे हमारे कल्लू भैया

अजय कुमार श्रीवास्तव (दीपू)लखनऊ बात 1986 की है मैं उस समय हाईस्कूल का छात्र हुआ करता था। मेरी दोस्ती हुई राजीव मिश्रा नाम के एक सहपाठी के साथ। प्यार से उन्हें लोग टिल्लू भाई पुकारा करते थे। टिल्लू के साथ दोस्ती के बाद मैंने उनकी दो आदतों को अपनी आदतों में शामिल कर लिया। एक … Read more

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” मेरी बेटी….मेरी वैलेंटाइन “

            कहते हैं कि बेटियाँ माँ की परछाई होती है। एक-दूसरे की प्राण होती हैं। एक जन्म देकर माँ बनती है तो दूसरी जन्म पाकर बेटी। दोनों एक-दूसरे को पाकर पूर्ण होती हैं, इसी से एक-दूसरे की पूरक बन जाती है। बिना कहे समझ जाती हैं दिल की बात, आवाज़ … Read more

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शिक्षक दिवस पर विशेष :मैं जानता था बेटी….( संस्मरण )

     डॉ . भारती वर्मा ‘बौड़ाई ‘   ये तब की बात है जब मैं पांचवीं कक्षा में पढ़ती थी। एक सप्ताह में संस्कृत विषय के नौ पीरियड हुआ करते थे। मध्याह्न के तीन पीरियड में संस्कृत के गुरु जी सबकी लिखाई अच्छी हो, इसके लिए वे पुस्तक का एक पूरा पाठ लिखवा कर देखा … Read more

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अटल रहे सुहाग : मैं आ रहा हूँ…..डॉ भारती वर्मा बौड़ाई

       मैं सदा उन अंकल-आंटी को साथ-साथ देखा करती थी। सब्जी लानी हो, डॉक्टर के पास जाना हो, पोस्टऑफिस, बैंक, बाज़ार जाना हो या अपनी बेटी के यहाँ जाना हो……हर जगह दोनों साथ जाते थे।उन्हें देख कर लगता था मानो एक प्राण दो शरीर हों। आज के भौतिकवादी समय को देखते हुए विश्वास नहीं होता … Read more

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इंजिनियर का वीकेंड और खुद्दार छोटू

आज कल हम आईटी. वालो को भले ही दिहाड़ी मजदूर जैसे तख्ते ताज़ो से नवाज़ा जाता है लेकिन इस घनचक्कर आईटी जॉब का एक बहुत बड़ा फ़ायदा  है,हमारा वीकेंड 2 दिन का होता है , जिसमे शुक्रवार की रात हमारी वैसे ही निकलती है जैसी स्कूल की गर्मी की छुट्टियों के पहले का आखरी दिन … Read more

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शिक्षक दिवस : जब टीचर की प्रेरणा से पढने में लगा मन

नीलम गुप्ता  शिक्षक दिवस अपने शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त करने का दिन है |क्यों न हो आखिर उन्हीं ने तो हमें ज्ञान का मार्ग दिखाया है  ऐसे में अपनी एक टीचर के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आपसे अपने जीवन का एक महत्वपूर्ण किस्सा शेयर करना चाहती हूँ |            … Read more

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“एक दिन पिता के नाम “………मेरे पापा ( संस्मरण -संध्या तिवारी )

आंगन के कोने में खडे तुलसी वृक्ष पर मौसमी फल लगे ही रहते थे ।कभी अमरूद, कभी आम , कभी जामुन , कभी अंगूर ,,,,,,,,,, मै जब भी सो कर उठती मुझे तुलसी में लगा कोई न कोई फल मिलता और मै खुशी से उछल पडती । एक दिन मैं जागी और कोई फल न … Read more

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“एक दिन पिता के नाम “….कुछ भूली बिसरी यादें (संस्मरण -अशोक के.परुथी

“त्वदीयवस्तुयोगींद्र,  तुम्यमेवसम्पर्य               धर्मप्रेमी, नियमनिष्ठ, साहित्यरसिक!” पिता-दिवस सभी को मुबारक। वह सभी लोग खुशनसीब हैं जिनके सिर पर उनके पिता का साया है और उन्हें उनका आशीर्वाद प्राप्त है! पिता का वर्ष में सिर्फ एक ही दिन क्यूँ, बल्कि  हर दिन आदर और सत्कार होना चाहिये।          व्याखान की … Read more

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