“एक दिन पिता के नाम ” —-वो २२ दिन ( संस्मरण -वंदना गुप्ता )

                                          “एक  दिन  पिता के नाम  “ आपकी ज़िन्दगी  आपकी साँसें  जब तक रहेंगी  तब तक  हर दिन पिता को समर्पित होगा  वो हैं तो तुम हो  उनके होने से ही  तुम अस्तित्व में आये  … Read more

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मेरी माँ , प्यारी माँ , मम्मा .

                                                मेरी माँ , प्यारी माँ , मम्मा ..      माँ की ममता को कौन नहीं जानता और कोई परिभाषित भी नहीं कर पाया है। सभी को माँ प्यारी लगती है … Read more

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भुलक्कडपन

वंदना बाजपेयी  पहले मैं अक्सर रास्ते भूल जाया करती थी,क्योंकि अकेले ज्यादा इधर -उधर जाने की आदत थी नहीं स्कूल -कॉलेज और घर ………बस  बात तब की है जब पति के साथ मायके गयी थी ,हमारी बेटी 6 महीने की थी ,किसी ने बताया की वहाँ एक बहुत अच्छे वैध है ,मैंने बेटी की खांसी … Read more

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