कैसे आत्मसुझाव की शक्ति से बदलें जीवन
How to use power of autosuggestion in hindi क्या आप को नहीं लगता की काश आपके पास कोइ ऐसी जादू की छड़ी होती जिससे आप अपने जीवन में सफलता खुशियाँ , अच्छे रिश्ते या जो कुछ चाहिए सब मिल जाये | जरूर आपका उत्तर हां ही होगा | लेकिन अगर मैं कहूँ की ये जादू की छड़ी आपके पास है जो रातों रात आपकी किस्मत बदल दे , बस आप उसका इस्तेमाल करना नहीं जानते हैं |तो मित्रों आज मैं आपका उसी जादू की छड़ी से परिचय करा रही हूँ जो आपके जीवन को बदल देगी | उस जादू की छड़ी का नाम है “आत्म सुझाव या autosuggestion” | आत्म सुझाव जैसा की शब्द से ही प्रतीत हो रहा है कि यह खुद को दिया जाने वाला सकारात्मक सुझाव है |आप्केमन में प्रश्न जरूर उठेगा की क्या खुद को सुझाव देकर भी अपनी जिन्दगी को बदला जा सकता है | मेरा जवाब होगा जी हाँ , बिलकुल बदला जा सकता है | दरसल autosuggestion या आत्म सुझाव personality development की एक बहुत पावरफुल टेक्नीक है जिसके द्वारा हम स्वयं को instructions देकर अपनी जिन्दगी को बदल सकते हैं | इसका सम्बन्ध हमारे subconscious mind से हैं | जो हमारे ही सुझावों सच मान लेता है और उन्हें हकीकत में बदलने लगता है | आत्मसुझाव द्वारा खुद को बदलने की पारुल की कहानी पारुल के परिवार में सब का रंग उजला दूध की तरह गोरा था | पर पारुल का रंग गहरा साँवला | अकसर भाई – बहन झगडे में उसे कल्लो कह कर चिढाते | कभी – कभी पिताजी माँ से हँसते हुए कहते कि खर्चा कम करो , बिटिया काली है इसकी शादी नें बहुत दहेज़ देना पड़ेगा | समाज में भी सब उसको उसकी बहनों के साथ देख कर ताना मारते ,” लगता ही नहीं ये दोनों सगी बहनें है | भगवान् भी कितना भेदभाव करते हैं | ये सारी इन्फोर्मेशन पारुल के दिमाग में इस तरह इकट्ठी हो गयी | जिसका निष्कर्ष ये निकला की वो काली और बदसूरत है जिस कारण उसके जीवन में हमेशा उपहास का पात्र बनना पड़ेगा , उसके जीवन में कभी खुशियाँ नहीं आ पाएंगी | पारुल बाहर से सामान्य होते हुए भी अंदर ही अन्दर एक गहरी निराशा पाले थी | जिसका असर उसके जीवन के हर क्षेत्र पर दिखने लगा | वो पढाई में भी पिछड़ने लगी | पारुल टेंथ में थी जब उसे ऑटोसजेशन टेक्नीक के बारे में पता चला | उसने खुद को सुझाव देना शुरू किया कि साँवला होना बदसूरत होना नहीं है | वह चमकदार त्वचा , लम्बाई व् वजन के हिसाब से परफेक्ट है | इसलिए वो खूबसूरत है | उसने उन रंगों को पहनना शुरू किया जिनसे वो परहेज करती थी | किसी ने मजाक भी उड़ाया तो उसने केवल इसे उनका नजरिया ही माना | धीरे – धीरे उसे विश्वास हो गया की वो वाकई सुन्दर है | आश्चर्य की बात है की अब लोग भी उसे सुन्दर कहने लगे | उसका आत्मविश्वास बढ़ा | उसके नंबर अच्छे आने लगे | आज पारुल बैंक में P.O. है | अपनी शिक्षा व् अपने व्यक्तित्व के कारण आज उसकी हर कोई तारीफ करता है | पारुल अपनी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट उस समय को कहती है | जब उसने ऑटोसजेशन की टेक्नीक अपनाई | पारुल की जिंदगी तो सुधर गयी पर आज भी कई लडकियां फेयर नेस क्रीम और गोर रंग के जाल में फंसी हीन भावना महसूस कर रही हैं |सिर्फ रंग या सुन्दरता ही क्यों हम सब कहीं न कहीं कोई न कोई लेवल अपने ऊपर लगा लेते हैं और उसी के जाल में फंस कर अपने जीवन में आ सकने वाली सारी सफलताओं , खुशियों के दरवाजे खुद ही बंद कर देते हैं | मेरा इस लेख को लिखने का उद्देश्य यही है की ज्यादा से ज्यादा लोग इस टेक्नीक को समझें और इसका फायदा उठा कर अपने जीवन में सेहत , सफलता और खुशियाँ लायें | हालांकि ऑटोसजेशन सब पर काम करता है पर वो चमत्कार तभी दिखाता है जब आप को अपने किसी बिलीफ को बदलने की प्रबल इच्छा हो | आत्मसुझाव क्या है ? आत्मसुझाव एक मनोवैज्ञानिक तकनीक है | जिसे emile coue’ने २०th सेंचुरी में विकसित किया था | इसमें बार – बार अपने मन वो वो बोलना , सोंचना व् देखना है जो हम अपनी जिंदगी में चाहते हैं | दरसल बार – बार बोलने , देखने , सोंचने से हमारा अवचेतन मन इस बात में अंतर नहीं कर पाता की हम ऐसा चाहते हैं या ऐसा ही है | वो उस बात को ही सच मान लेता है जो उससे कही जा रही है | भगवद गीता में कहा गया है ,” यथा दृष्टि तथा सृष्टि … आप जैसा सोंचते हो दुनिया वैसी ही है | जैसे किसी को स्टेज पर बोलने से डर लगता है | यह डर उसकी मेमोरी में स्टोर है | जिसकी वजह कुछ वजह ये भी हो सकती है कि बचपन में उसने या उसके किसी दोस्त ने स्टेज पर कुछ गलत बोल दिया हो जिसका बहुत मजाक उड़ा हो | या फिर उसके घर में उसे बात – बात पर टोंका जाता हो |यह डर वो निकाल नहीं पा रहा है | इसलिए वो स्टेज पर बोलने के मौके छोड़ देता है या घबरा जाता है | उसे लगता है सब लोग उसका मजाक उड़ाने वाले हैं | लेकिन अगर उसे स्टेज पर बोलना है तो उसे अपने को बार – बार कहना पड़ेगा कि वह स्टेज पर बहुत अच्छा बोलता है | उसका बोला हुआ लोग सुनते हैं | तालियाँ बजाते हैं | जानिए कैसे आत्मसुझाव से बदला जा सकता है जीवन autosuggestion को समझने के लिए हमें conscious और sub conscious mind और उसकी कार्यविधि को समझना पड़ेगा | हमारा दिमाग जो हमारे सारे विचारों का केंद्र हैं जो हमें देखने , सुनने , समझने , चयन करने की क्षमता देता हैं | … Read more