एक लेखक की दास्तान …..
प्रामाणिकता की जंग भारत देश में लेखकों की कमी है। यह बात मुझे तब पता चली, जब हूबहू मेरी ही रचना एक प्रतिष्ठित पत्रिका में किसी और के नाम से छपी। आश्चर्यमिश्रित सदमे से मैं बेहाल हो गया। सोचने-समझने की शक्ति का बुरा हाल हो गया। दिन बहुत हो चुके … Read more