कृष्ण की गीता और मैं
सत्या शर्मा ‘कीर्ति ‘ और फिर न्याय की देवी के समक्ष वकिल साहिबा ने कहा — गीता पर हाथ रख कर कसम खाइये…………… मैंने भी तत्क्षण हाथ रख खा ली कसम । पर क्या मैनें जाना कभी गीता को ? कभी पढ़ा कि गीता के अंदर क्या है ? कौन से गूढ़ रहस्य हैं उसके श्लोकों में ? कब जिज्ञासा जागी थी कि आखिर रण भूमि में ही श्री कृष्ण को क्यों अपने पार्थ को देना पड़ा था साक्षात् ब्रह्म ज्ञान का दर्शन ? श्लोक 12 में क्या है ? क्यों उसके बाद अर्जुन मोहमाया से मुक्त हो गए ? पर , खाली मैंने कसम । डबडबा गयी थी न्याय की देवी की आँखे ।अपने महाग्रन्थ के साथ अन्याय होते देख कर ।पट्टियों से बंद आँखें भी रक्तिम हो चुकी थी । अचानक वकील साहिबा ने पूछ बैठा —-श्री कृष्ण को जानते हैं ? मैंने दंभ में भर कर कहा क्यों नही — जिनके जन्मदिन पर दही हांडी फोड़ते हैं । जिन्होंने अपने बाल्यकाल में नटखटपन से सबक दिल जीत लिया था । जिन्होंने कई असुरों का बध किया। जिन्होंने भरी सभा में द्रौपदी की लाज बचाई। जिन्होंने गोपियों संग रास रचाया। और गीता ……. एक ऐसा धर्मग्रन्थ जिस पर हाथ रख भरी अदालत में कसम खाते हैं कह कर मैंने सर झुका ली । फिर अपने झुके सर से देखा मैंने न्याय की देवी के आँखों से बहते रक्त के आसूँ बह रहे हैं | फोटो क्रेडिट –wikimedia org रिलेटेड पोस्ट … भूमिका गुमनाम नया नियम अनावृत्त