सीमा सिंह की लघुकथाएं

नशा कभी बाएं कभी दायें डोलती सी तेज गति से आती  अनियंत्रित गाड़ी मोड पर पलट गई. भीड़ जमा हो गई आसपास किसी तरह से गाड़ी में सवार दोनों युवकों को बाहर निकाला गया. उफ़…ये क्या दोनों नशे में धुत थे.. पुलिसवाला होने के नाते मेरा फ़र्ज़ था कि ड्यूटी पर न होते हुए भी … Read more

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मीना पाण्डेय की लघुकथाएं

लघु कथाएँ लेखन की वह विधा है जिसमें कम शब्दों के माध्यम से पूरी बात कह दी जाए | इसमें जहाँ एक ओर कसाव जरूरी है वहीं उसका अंत चौकाने वाला होता है | मीना पाण्डेय जी इस कला में सिद्धहस्त हैं | आज हम अटूट बंधन ब्लॉग पर मीना पाण्डेय जी की तीन लघु … Read more

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“एक दिन पिता के नाम “… लघु कथा(याद पापा की ) :मीना पाठक

मीन पाठक

                          “एक दिन पिता के नाम”  याद पापा की — “पापा आप कहाँ चले गये थे मुझे छोड़ कर” अनन्या अपने पापा की उंगुली थामे मचल कर बोली “मैं तारों के पास गया था, अब वही मेरा घर है बेटा” साथ चलते हुए पापा … Read more

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टिफिन

                                            टिफिन बात २० वर्ष पहले की है जब मेरी नई-नई नौकरी लगी थी, पेशे से इंजिनियर होने के कारण नौकरी लगी इंडस्ट्रियल एरिया में , जो कि उस समय शहर से १५ किलोमीटर दूर था वहाँ तक … Read more

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तुम याद आती हो माँ

                                     तुम याद आती हो माँ बात एक माह पहले की है जब मेरी माँ मुझे एवं पिताजी को छोड़ एवं मेरी छोटी बहिन को लेकर गर्मी की छुट्टियों में अपने मायके चली गयी । मैं माँ को … Read more

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फैसला

                                                               “माँ सीरियस है जल्दी आ जाओ।” भैया के ये शब्द बार बार कानों में गूंज रहे थे मगर आँखों और दिमाग में कुछ और ही … Read more

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चार बेटों की माँ

चार बेटों की माँ                                                                राधिका जी से सब पडोसने ईर्ष्या  करती थीं । उनके चार बेटे जो थे । और राधिका जी … उनके तो पांव जमीन … Read more

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पोलिश

                                     ********* विवेक ने मुस्कुराते हुए निधि कीआँखों पट्टी खोलते हुए कहा “देखिये मैडम अपना फ्लैट …. अपना ताजमहल , अपना घर … जो कुछ भी कहिये निधि फ्लैट देख कर ख़ुशी से चिहुकने लगी “वाह विवेक ,कितना … Read more

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“यूरेका ” की मौत

                               बूढ़ा आर्किमिडिज़ …जो अब 80 साल का हो गया है। …. सफ़ेद लम्बी दाढ़ी , झुर्रीदार चेहरा , ठीक से चला नहीं जाता ,पर मन में अभी भी विज्ञानं के लिए , मानव समाज के लिए बहुत कुछ करने की … Read more

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दोगलापन (लघुकहानी)

सविता मिश्रा =============“कुछ पुन्य कर्म भी कर लिया करो भाग्यवान, सोसायटी की सारी औरतें कन्या जिमाती है, और तू है कि कोई धर्म कर्म है ही नहीं|”“देखिये जी लोग क्या कहते है, करते है इससे हमसे कोई मतलब ……”बात को बीच में काटते हुए रमेश बोले- “हाँ हाँ मालुम है तू तो दूसरे ही लोक से … Read more

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