महाशिवरात्रि -एक रात ” इनर इंजिनीयरिंग” के नाम
शिव नाम अपने आप में मन्त्र हैं | शिव अर्थात जो नहीं है | जो नहीं है वो असीम है | क्योंकि वहीं कुछ नया प्रस्फुटित होने की सम्भावना है | इस बात में जितना विरोधाभास नज़र आता है उतना ही विरोधाभाव स्वयं शिव में हैं | जो आध्यात्म के मार्ग की ओर अग्रसर हैं वो जानते हैं कि जिसने शिव को जान लिया, नहीं होने में होने को जान लिया , अज्ञानता में ज्ञान को जान लिया उसके व्यक्तित्व में संतुलन आ गया | शिव का व्यक्तित्व सात्विक गुण और तमो गुण दोनों को समेटे हुआ है | वो सदाशिव हैं स्थिर , शांत अविचल और रौद्र रूप रखने वाले भी जो संसार को नष्ट करते हैं | वो योगी भी हैं और परिवार से अतिशय प्रेम करने वाले भी, वो महा पवित्र हैं और अघोरी भी , मनुष्य , देवता और दानव सभी शिव की पूजा करते हैं क्योंकि शिव के लिए कुछ भी अनछुआ नहीं है | जब हम शिव को अपना लेते हैं तो हम समग्र जीवन को अपना लेते है | यहाँ अच्छे और बुरे में चयन बंद हो जाता हैं | ये चयन बुद्धि करती है | बुद्धि से परे सहज रूप से जीवन को स्वीकारना , असीम को स्वीकारना अंत: चेतना के सीमाओं से परे जाने पर ही संभव है | महाशिवरात्रि -एक रात ” इनर इंजिनीयरिंग” के नाम महाशिवरात्रि की रात हमें अपनी अंत: चेतना को असीम उर्जा से जोड़ने का अवसर देती है | इसे ऐसे समझा जा सकता है कि इस बाह्य जगत में जितनी चीजे इंजीनीयरों ने बनायीं उन सब को चलाने के लिए ऊर्जा की जरूरत थी | वो उर्जा प्रकृति में थी , उसे बस वहाँ से लिया है | जब हम उस उर्जा को जो हमारे अंत: जगत में है उसे असीम उर्जा से जोड़ देते हैं तो हमारा ये शरीर दिव्य हो जाता है , जहाँ शक्ति असीम है पर जीवन सहज है , शांत है | वैदिक कथाओं में ऋषि – मुनि इस ज्ञान को जानते थे | असीम उर्जा को अपने अन्दर समाहित करके वो ऐसे काम कर पाते थे जो सामान्य मनुष्यों के बस के नहीं थे | इसी आधार पर तमाम मंत्रों का सृजन हुआ जो लोक कल्याणकारी हैं | महा शिवरात्रि की रात एक ऐसी ही अनुपम रात्रि है जब आम मानव को इस उर्जा को अपने अन्दर प्रविष्ट कराने का और असीम से जुड़ने का अवसर मिलता है | अर्थात ये रात्रि “इनर इंजिनीयरिंग “की रात्रि है | महाशिवरात्रि और उर्जा का उर्ध्वगमन आप की जानकारी के लिए बता दें कि हर महीने चंद्रमास के चौदहवें दिन और आमवस्या से एक दिन पहले शिवरात्रि होती है | इस दिन इंसानी प्रकृति का ऐसा विधान है कि उर्जा ऊपर की ओर बढती है | फरवरी मार्च के महीने में पड़ने वाली शिवरात्रि को महा शिवरात्री कहा गया है | प्रकृति का ऐसा विधान है की इस दिन यह उर्जा बढाने में सहायता करती है | जब कोई भी आध्यात्मिक प्रक्रिया की जाती है चाहे वो शस्त्रीय नृत्य हो , गायन , योग या ध्यान सब का उद्देश्य उर्जा को ऊपर की और ले जाना होता है | महाशिवरात्रि की रात प्रकृति स्वयं ही इसमें सहयोग करती हैं | अगर आप चाहते हैं कि आप चेतना के दूसरे स्तर तक पहुंचे तो आप को इस रात का विशेष लाभ उठाना चाहिए | महाशिवरात्रि कि तैयारी कुछ दिन पहले से करें अगर आप आम गृहस्थ भाव महाशिवरात्रि को शिव-पार्वती के विवाह के रूप में मनाना चाहते हैं , तो ये एक अच्छा अवसर है जब आप शिव पर अपनी तमाम बुराइयों को अर्पित कर दें व् शिव कृपा हासिल करे | | शिव को चढ़ाई जाने वाली तमाम वस्तुएं नकारात्मकता को सोखती हैं | विधान ऐसा बना दिया गया है कि प्रेम भाव से शिव पर अर्पित करने के बाद आपके जीवन की नकारत्मकता में कमी आये | महत्वाकांक्षी लोग इसे उस दिन के तौर पर मानते हैं जब शिव ने अपने विरोधियों पर विजय प्राप्त की | यह बात उनको उर्जा से भर देती है | वहीं योगियों के अनुसार यह वो रात है जब शिव कैलाश में स्थिर हो गए थे | जीवन में स्थिरता , आनंद और शांति चाहने वाले इसे इसी रूप में मनाते हैं | आप किसी भी रूप में इसे मनाएं , अगर आप चेतना के दूसरे स्तर पर जाना चाहते हैं तो आप को इस रात का प्रयोग करना होगा | लेकिन उसकी तैयारी कुछ दिन पहले से करनी होगी | महाशिवरात्रि से पहले क्या तैयारी करें – महाशिवरात्रि से २ या ३ दिन पहले से शुरू कर दें | 1)हल्का भोजन लें | 2) ॐ नम: शिवाय मन्त्र का जप प्रारम्भ करें 3) महाशिव रात्रि के दिन अपनी रीढ़ की हड्डी को जितना संभव हो सीधा रखे | मूल से ऊपर की और उर्जा का चढ़ना ही चेतना के अलग स्तरों तक पहुंचना है | 4) रात्रि जागरण करें | 5) अगर नहीं जागते हैं तो सामानांतर या क्षैतिज न सोये | 6) पंचाक्षरी मन्त्र का जाप् करने के साथ पंचभूतों की सेवा का संकल्प लें | पंचभूत यानि वो तत्व जिनसे हमारा शरीर बना हैं | ऊर्जा के उर्ध्वगमन से आपके जीवन में क्या अंतर आएगा जैसे -जैसे उर्जा ऊपर के चक्रों की ओर चलती है , मन शांत होने लगता है , कई बार आपने महसूस किया होगा कि अच्छी जॉब व् तनख्वाह के बाद भी मन शांत नहीं रहता , ऐसा उर्जा चक्रों में बाधा के कारण होता है | जीवन को सहज भाव से लेना आ जाता है | ख़ुशी की जगह आनंद की भावना आने लगती है | यहाँ ये ध्यान देना है कि ख़ुशी किसी चीज को पाने में है वो अल्पकालिक है जबकि आनंद मन की अवस्था है वो बहुत देर तक स्थायी भाव में रहता है | इसके बाद सुख -दुःख को संभव से लेना आ जाता है | महाशिवरात्रि की रात आप इनर इंजिनीयरिंग करके स्वयं को ज्यादा शांत , स्थिर व् आनन्दमय बना सकते हैं | आप सभी को महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं वंदना बाजपेयी यह भी पढ़ें – मनसा वाचा कर्मणा … Read more