सिर्फ प्रतिभा होना सफलता की गारंटी नहीं

सफलता की गारंटी

आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा, “ देखो दोनों में प्रतिभा तो बराबर है पर एक कहाँ पहुँच गया और दूसरा ….|दरअसल हम प्रतिभा और सफलता को एक की पलड़े पर रखते हैं और आकलन उसी आधार पर करते हैं जबकि मेनेजमेंट की भाषा में कहें तो ये सही नहीं है |आइये जाने मेनेजमेंट की भाषा के अनुसार …   सिर्फ प्रतिभा होना सफलता की गारंटी नहीं मेनेजमेंट के अनुसार प्रतिभा यानी पर्सनल स्किल (यहाँ पर भाग्य का हस्तेक्षेप, जोड  तोड़ की राजनीति, चापलूसी आदि की बात नहीं हो रही है ) ये सफलता के लिए जरूरी है पर ये पहली पायदान ही है | अगर किसी में प्रतिभा नहीं है तो वो उस क्षेत्र में कॉम्पटीशन के लायक ही नहीं है |प्रतिभा से शुरुआत होती है | सेलेक्शन होता है, नौकरी मिलती है , काम मिलता है | मेहनत उसके बाद दूसरा गुण है मेहनत का | अगर प्रतिभा है भी और मेहनत नहीं है तो दूसरा कदम जल्दी तय नहीं होता | न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः का श्लोक तो सुना ही होगा | सिंह कंपास दौड़ कर शिकार करने की क्षमता तो है पर अगर वो सोता ही रहे तो क्या वो शिकार कर सकता है | नहीं ना ! इसी तरह से एक बच्चे का आई क्यू बहुत ज्यादा है | पर वो किताबों को हाथ भी नहीं लगता तो क्या उसक आई आई टी में चयन हो जाएगा या फिर गला बहुत सुरीला है पर रियाज करना ही नहीं तो क्या स्टेज परफोर्मेंस उससे बेहतर हो सकती है जो रोज रियाज करता हो | नहीं ना | कहानी लिखने की बहुत प्रतिभा है पर लिखने का मन ही नहीं होता तो क्या मात्र चार कहानियों से वो हमेशा चर्चित रहेंगे/रहेंगी जो बीसियों कहानी लिखते हैं | सच्चाई ये है कि कई बार मेहनत करने वाले प्रतिभाशाली लोगों से भी आगे निकल जाते हैं | टीम स्किल तीसरा है टीम स्किल | कितनी भी प्रतिभा है पर टीम के साथ सामंजस्य करना नहीं आता है | तो गाड़ी  तीसरे ही कदम पर रूक जायेगी | क्योंकि जायदातर काम टीम वर्क ही होते हैं | अक्सर बहुत मेहनती बहुत  प्रतिभाशाली व्यक्ति भी जो टीम के साथ सामंजस्य बना कर नहीं चलते कम्पनी में उनका प्रोमोशन नहीं होता | कोई कम्पनी नहीं चाहती कोई ऐसा व्यक्ति किसी बड़े पद पर हो जो टीम के साथ सामंजस्य नहीं बना पाता और रोज झगडे हो रहे हों | वहीँ कुछ कम प्रतिभाशाली टीम के साथ कुशलता से सामंजस्य बना कर जल्दी जल्दी प्रोमोशन पा जाते हैं | निर्णय क्षमता   इसके बाद आती है दूरदर्ष्टि के आधार पर निर्णय लेने की क्षमता | दूरदृष्टि के आधार पर फैसले लेने की क्षमता नहीं है तो जिन्दगी इसी पद पर बीत जायेगी |महाभारत के युद्ध में अर्जुन की प्रतिभा में कोई कमी नहीं थी | उनके तरकश में एक से बढ़कर एक दिव्यास्त्र थे पर वो युद्ध शुरू होते ही अनिर्णय की स्थिति में आ गए | ऐसे में क्या वो युद्ध जीत पाते ? उत्तर फिर से नहीं है | रमेश जी का अच्छा कपड़ों का व्यापार है पर उनमें निर्णय की क्षमता नहीं है तो व्यापर बस वहीँ पर अटका हुआ है और आगे नहीं बढ़ रहा | वहीँ उनके पड़ोसी सुरेश जी ने समय और अवसर को देखते हुए अलग अलग शहरों में शो रूम खोल दिए | आज रमेश जी केवल अपने शहर की एक दूकान के मालिक हैं और सुरेश जी की क्लॉथ चेन है | ये अंतर सही समय पर सही निर्णय से आया |   पीपल स्किल आखिर में आती है पीपल स्किल | जो इंसान जितने ज्यादा लोगों के साथ सामंजस्य बना कर चलता है उसकी सफलता उतनी ही ज्यादा होती है |लोग हमारी ताकत होते हैं | एक कहावत है कि जिसके साथ जनता, उसकी दुनिया  सुनता” | यहाँ अपना काम टीम से सामंजस्य, इन्वेस्टर्स को विश्वास में लेना और ग्राहकों को सही सुविधा देना आता है |जो जितने ज्यादा क्षेत्रों को संभाल सकता है उसकी सफलता उतनी ही होती है | अब सोचने वाली बात ये है कि दो व्यक्ति जिनमें बराबर की प्रतिभा थी एक कम्पनी के टॉप पर बैठा है और दूसरा तीसरे पायदान पर ही अटका है | ऐसे में क्या ये कहा जा सकता है कि दो लोगों में प्रतिभा बराबर है तो सफलता भी बराबर होगी ? निश्चित तौर पर नहीं क्योंकि सफलता केवल प्रतिभा का होना नहीं है वो कई गुणों का मिश्रण है | हालांकि अगर आप में इनमें से कोई एक गुण नहीं है तो भी निराश होने की जरूरत नहीं क्योंकि इन्हें सीखा जा सकता है | अभी भी देर नहीं हुई है | यह भी पढ़ें … क्या आप  हमेशा  रोते रहते हैं ? स्ट्रेस मेनेजमेंट और माँ का फार्मूला अपने दिन की प्लानिंग कैसे करें समय पर काम शुरू करने का 5 सेकंड रूल   आपको   लेख  “ सिर्फ प्रतिभा होना सफलता की गारंटी नहीं   “  कैसा लगा   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें | filed under: article, positive thinking,  Personality devalopment, talent, success

सफलता के तीन चरण

कभी किसी पहाड़ की चोटी पर चढ़ कर देखा है ? ऐसा कभी नहीं होता कि चोटी केवल एक बिंदु हो , वाहन  भी एक क्षैतिज धरातल होता है |  चोटी पर जगह कम नहीं होती , कितने मंदिर-मस्जिद , किले इन चोटियों पर बने है | पर पहाड़ के नीचे खड़े लोगों को ये समझ नहीं आता | उन्हें लगता है कि चोटी पर कोई एक व्यक्ति ही पहुँच सकता है और वही विजेता है |  क्षेत्र कोई भी हो , यही बात सफलता के साथ है | आप गिनती कर के देखिये कितने सफल डॉक्टर हैं , कितने सफल इंजीनियर और कितने सफल लेखक , गायक , कलाकार आदि | फिर भी लोगों को लगता है कि किसी दूसरे की सफलता मेरी सफलता में बाधक है | इसलिए वो खुद आगे बढ़ने में मेहनत करने के स्थान पर दूसरे की लकीर छोटी करने और उसे गिराने में लग जाते हैं |आगे बढ़ता व्यक्ति अपनों के इस व्यवहार परिवर्तन से दुखी होता है …कई बार उसका हौसला पस्त हो जाता है और वो  प्रयास छोड़ देता है | फिर वही होता है जो हमें दिखता है …बहुत से व्यक्ति जो सफल हो सकते थे , असफल व्यक्तियों की भीड़ में शामिल हो जाते हैं | अगर हम सफलता के तीन चरणों को समझ लें तो सफल होते -होते अचानक से असफल होने की नौबत नहीं आती | अपना E .Q दुरुस्त रखने के लिए समझिये सफलता के तीन चरण  15 साल की रिया की आवाज़ बचपन से ही ईश्वर  का वरदान थी | यूँ तो उसकी दोनों बहनें ( मिताली और दीपा ) अच्छा गाती थी | पर रिया उनसे अलग ही थी | पर उनका ये गायन शौकिया था , उसमें कैरियर बनाने की उनकी तमन्ना नहीं थी | तीनों पढने में भी होशियार थीं |साथ -साथ गाती , खिलखिलातीं , रियाज करती | आने जाने वाले सभी लोग उनकी प्रशंसा करते | यही वो समय था जब उन्हें लगा कि उन्हें अपनी कला को दूसरों को भी दिखाना चाहिए | तीनों ने यू ट्यूब चैनल बनाए  और उसमें अपने -अपने गानों के वीडियो अपलोड करने लगीं | रिया के फॉलोअर्स व् लाइक तेजी से बढ़ने लगे , फेसबुक पर भी उसका एक अच्छा फैन मेल तैयार हो गया | जबकि मिताली और दीपा को महज कुछ लाइक ही मिलते | फेसबुक पर कुछ  अच्छे स्ट्रगल करके वाले या किसी मुकाम पर पहुँचने वाले गायक /गायिकाओं ने उसेबहुत प्रोमोट किया | उसके वीडियो के शेयर्स बढे और वो लोकप्रिय होने लगी | दोनों बहने भी उसकी इस सफलता  पर खुश होतीं और खुद भी अपने वीडियो उत्त्साह के साथ डालती | करीब एक वर्ष तक यही सब चलता रहा | रिया को पहला काम मिला उसे किसी विज्ञापन की जिंगल गानी थी | वो बहुत खुश थी | बहनों ने बधाई दी | रिया ने घर आकर उसका वीडियो फेसबुक पर अपलोड किया | लाइक कमेंट आये … पर उसकी बहनों ने लाइक नहीं किया | रिया को अच्छा नहीं लगा पर उसने सोचा हो सकता है उसकी बहनें ख़ुशी में भूल गयीं हों | रिया शुरूआती कदम आगे बढ़ने लगे | धीरे -धीरे उसने महसूस किया कि वो सारे नए स्ट्रगल करने वाले , कुछ थोड़े से स्थापित और उसकी बहनें जो उसकी हर पोस्ट पर उत्त्सह्वर्धन करते थे , उसकी पोस्ट से एक दूरी बनाने लगे | आपस में  उनका व्यवहार अभी भी वैसा ही था | मित्रों व् बहनों का ऐसा व्यवहार व् उपेक्षा रिया को अंदर ही अन्दर तोड़ने लगा | उसे समझ नहीं आ रहा था कई उसकी गलती क्या है | वो तो अभी भी पहले की ही तरह है फिर अपने ही उसे क्यों छोड़ रहे हैं | उसका काम से मन हट गया | जो वीडियो वो रोज अपलोड करती अब हफ्ते में और फिर महीने में करने लगी | फैन फॉलोअर्स कम होने लगे | रिया अवसाद में डूबने लगी एक ऐसा अवसाद जिसमें उसे उसके अपनों ने डुबोया था | गाने का उत्साह और मन खत्म हो गया | रिया का अवसाद माँ से छिपा नहीं रह सका | एक दिन बालों में तेल लगाते हुए उन्होंने रिया से पूछा तो वो फफक -फफक कर रो उठी | उसने माँ को सारी  बात बतायी | अनुभवी माँ को बात समझते देर ना लगी | उन्होंने रिया से कहा , ” ठीक है , अपनों ने तुमसे दूरियाँ  बनायीं पर इसके लिए तुमने अपना काम क्यों छोड़ दिया | तुम अपना काम वैसे ही करती रहो , पूरी निष्ठां के साथ | देखना एक दिन सब लौटेंगे , उस दिन , जब तुम्हारी सफलता का तीसरा चरण होगा  | ” रिया ने माँ की बात को गंभीरता से लिया और फिर अपने काम में जुट गयी | उसे फिर से विज्ञापन मिलने लगे और फिर एक दिन वो भी आया जब उसे फिल्म में गीत गाने का अवसर भी मिला | रिया की मेहनत और भाग्य रंग लाया , वो गीत  सुपर हिट  हुआ | रिया के पास काम की झड़ी लग गयी | उसकी अपनी बहने व् मित्र जो उससे दूर हो गए थे उसके पास लौटने लगे | एक सम्मान समारोह में बहनों ने उसकी जमकर तारीफ़ करी | रिया बहुत खुश थी | घर आ कर वो रिया से बोलीं , ” रिया मुझे भी स्टेज पर थोड़ी देर गाने का मौका  दिला देना |” रिया ने हाँ कह दिया | वो अब परिपक्कव हो चुकी थी और समझ चुकी थी कि वो सफलता के दो चरण पार कर तीसरे में आ गयी है जहाँ अब उसकी बहनें व् मित्र वापस लौट आये हैं | मित्रों ये कहानी  भले ही रिया की हो पर आप भी अगर किसी काम में सफलता पाने के लिए मेहनत कर रहे हैं तो आपको भी ये किस्सा अपना लग रहा होगा | दरअसल सफलता के तीन चरण होते हैं | सफलता का पहला चरण – ये वो समय है जब आप शुरुआत करते हैं | उस समय आपके मित्र , नजदीकी लोग आपका उत्साह  वर्धन करते हैं … “क्या गाते हो ? “क्या लिखते हो ?” ” अरे ट्राई … Read more

असफलता से सफलता की ओर

‘           मुंशी प्रेमचंद्र जी लिखते हैं कि सफलता में अतीव सजीवता होती है और विफलता में अत्यंत निर्जीवता | कौन है जो सफल नहीं होना चाहता परन्तु हर कोई सफल नहीं हो पाता , शायद कुछ कमी रह जाती है प्रयास में , जिस कारण सफलता नहीं मिल पाती |अधिकतर लोग असफलता को सहन नहीं कर पाते और निराशा में डूब जाते हैं , और प्रयास करना ही छोड़ देते हैं | यही समय आत्ममुल्यांकन का भी होता है | जो गहरे से असफलता के कारणों पर विचार करके दुबारा प्रयास करता है , वो अवश्य सफल होता है |  आपको ऐसे अनेकों सफल व्यक्तियों के उदाहरण मिल जायेंगे जिन्होंने सफलता से पहले अनेकों असफलताओं का सामना किया है | असफलता की ईटों से अपनी सफलता की नींव रखें                                       सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलु हैं जो जिन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा उन्होंने ढेरों असफलताओं का सामना करके भी सफलता पायी | जिन्होंने प्रयास ही नहीं किया वो असफल लोगों से भी ज्यादा असफल हैं क्योंकि उन्होंने कुछ नया सीखा भी नहीं जो प्रयास के दौरान सीख सकते थे | अगर आप की हिम्मत असफलता के कारण टूट रही है तो याद रखे  इन्हीं असफलता की ईटों से अपनी सफलता की नींव रखनी है |  (1) परीक्षा का रिजल्ट बालक के सम्पूर्ण जीवन का पैमाना नहीं है              स्कूल में बालक की एक वर्ष में क्या प्रगति हुई? इस बात का उल्लेख उसके परीक्षा के रिजल्ट में होता है परन्तु यह रिजल्ट इस बात की कतई गारंटी नहीं देता है कि बालक जीवन में सफल होगा या असफल? हमारा मानना है कि बालक में केवल भौतिक ज्ञान की वृद्धि हो जाये तथा उसका सामाजिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान न्यून हो जाये यह संतुलित स्थिति नहीं है। जीवन में इसी असंतुलन के कारण आगे चलकर बालक का सम्पूर्ण जीवन असफल हो सकता है। पूरे वर्ष मेहनत तथा मनोयोग से पढ़ाई करके स्कूल का रिजल्ट तो अच्छा बनाया जा सकता है परन्तु सफल जीवन तो भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीनों शिक्षाओं के संतुलन का योग है। (2) परीक्षा का रिजल्ट तो केवल विभिन्न विषयों के भौतिक ज्ञान का आईना मात्रः-             आज स्कूल वाले बच्चों की पढ़ाई की तैयारी इस प्रकार से कराते हैं ताकि बालक अच्छे अंकों से परीक्षा में उत्तीर्ण हो जायें। माता-पिता का भी पूरा ध्यान अपने प्रिय बालक के अंकों की ओर ही होता है। समाज के लोग भी मात्र यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि बालक ने सम्बन्धित विषयों में कितने अंक प्राप्त किये हैं। किसी का भी इस बात की ओर ध्यान नहीं जा रहा है कि बालक को सामाजिक एवं आध्यात्मिक गुणों को बाल्यावस्था से ही विकसित करना भी उतना ही आवश्यक है जितना उसको पुस्तकीय ज्ञान देना। मुझे करना है इसलिए मैं कर सकता हूँ। (3) कामयाब व्यक्ति भी अपने जीवन में कभी नाकामयाब हुए थे                           अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन 32 बार छोटे-बड़े चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे थे। वह 33 वीं बार के प्रयास में कामयाब हुए और राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर असीन हुए। वह पूरे विश्व के सबसे लोकप्रिय अमरीका के राष्ट्रपति बने। इंग्लैण्ड के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल अपने स्कूली दिनों में एक बार भी परीक्षा में सफल नहीं रहे। वह परीक्षा में बार-बार फेल होने से कभी भी निराश नहीं हुए और बाद में अपने आत्मविश्वास के बल पर वह इंग्लैण्ड के लोकप्रिय प्रधानमंत्री बने। उन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। किसी ने सही ही कहा है कि असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया। (4) मन के हारे हार है मन की जीते जीत :-             एडिसन बल्ब का आविष्कार करने के दौरान 10,000 बार असफल हुए थे। इसके बावजूद भी एडिसन ने आशा नहीं छोड़ी उन्होंने एक और कोशिश की और इस बार वह बल्ब का आविष्कार करने में सफल हुए। महात्मा गांधी अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान थर्ड डिवीजन में हाई स्कूल परीक्षा पास हुए थे। महात्मा गांधी अपनी मेहनत, लगन एवं ईश्वर पर अटूट विश्वास के बलबूते जीवन में एक कामयाब व्यक्ति बने और अपने जनहित के कार्यो के कारण सदा-सदा के लिए अमर हो गये। लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। (5) असफलता किसी काम को फिर से शुरू करने का मौका देती हैं                 हमेशा बड़ा लक्ष्य लेकर चले और अच्छी बातों का स्मरण करे। सब अच्छा ही होगा। ज्यादातर लोग बहुत सीमित दायरों में रहकर ही सोचते हैं और ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाते। जहाँ तक हो सके अपनी रूचि के अनुसार ही काम चुने क्योंकि ऐसा करने से हम उसमें अपना सौ प्रतिशत समय दे सकते हैं। हमें जीवन में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं जो घर और बाहर दोनों स्तर का हो सकता हैं। ऐसे में हमें चाहिए की हम अपना संतुलन बना के रखे। यही हमारी सफलता का आधार हैं। असफलता किसी काम को फिर से शुरू करने का मौका देती हैं। उसी काम को और भी बेहतर तरीके से किया जाये इसलिए सफलता असफलता की चिंता किये बिना पूरे मन से काम करे। (6) नए विचारों और योजनाओं से डरे नहीं              कुछ लोग लक्ष्य तो तय कर लेते हैं लेकिन उसके अनुसार काम नहीं करते। वास्तव में सफलता पाने के लिए अपने लक्ष्य के अनुसार मेहनत करना चाहिए। आपके जीवन में कई ऐसे लोग आएँगे जिनका व्यवहार आपसे विपरीत होगा। इसके लिए जरूरी हैं की आप उससे दूरी बनाकर रखे और विवादों से सदैव बचने की कोशिश करे। जब भी हम कोई काम करते हैं तो हम अपने आप से बात अवश्य करते हैं। इस समय हमें हमेशा अपनी आत्मा की आवाज सुनकर ही अपने निर्णय पर पहुँचना चाहिए। हमारा मानना है कि नए विचार हमेशा नयी क्रांति को जन्म देते हैं इसलिए विचारों के प्रवाह को रोके नहीं बल्कि मन में अच्छे और नए विचार लाये ताकि योजनाएँ भी उसी के अनुरूप बने। हमारे मन में यह भरोसा जरूर होना … Read more