जानिये प्यार की 5 भाषाओँ के बारे में

    हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू , फ़ारसी , लैटिन या फ्रेंच …. कितनी भी भाषाएँ आती हो मगर , प्यार की भाषा नहीं आती तो रिश्तों के मामले में तो शून्य ही रह जाते हैं | आप सोच सकते हैं कि ऐसा भला कौन हो सकता है जिसे प्यार की भाषा ना आती हो … तो ठहरिये आपको अपनी नहीं जिसे से आप प्यार करते हैं उसकी भाषा समझने की जरूरत है | कैसे ? आज वैलेंटाइन डे पर खास ये रहस्य आपसे साझा कर रहे हैं ………   वैलेंटाइन डे – जानिये प्यार की 5 भाषाओँ के बारे में    अभी कुछ दिन पहले की बात है मैं अपनी सहेली लतिका के साथ दूसरी सहेली प्रिया के घर गयी| प्रिया थोड़ी उदास थी| बातों का सिलसिला शुरू हुआ, तभी मेरी नज़र उसके हाथों की डायमंड रिंग पर गयी | रिंग बहुत खूबसूरत थी | मैंने तारीफ़ करते हुए कहा,” वाह  लगता है जीजाजी ने दी है, कितना प्यार करते हैं आपसे | मेरी बात सुन कर उसकी आँखों में आँसू आ गए, जैसे उनका वर्षों पूराना दर्द बह कर निकल जाना चाहता हो| गला खखार कर बोलीं,” पता नहीं, ये प्यार है या नहीं, नीलेश, महंगे से महंगे गिफ्ट्स दे देते हैं, मेरी नज़र भी अगर दुकान पर किसी चीज पर पड़ जाए तो उसे मिनटों में खरीद कर दे देते हैं, चाहें वो कपड़े हो, गहने हों या श्रृंगार का कोई सामान, पर जब मैं खुश हो कर उसे पहनती हूँ तो कभी झूठे मुँह भी नहीं कहते कि बहुत सुन्दर लग रही हो| पहले मैं पूँछती थी ,” बताओ न, कैसी लग रही हूँ “ , तो हर बार बस वही उत्तर दे देते,  “वैसी  ही जैसी हमेशा लगती हो … अच्छी”| मेरा दिल एकदम टूट कर रह जाता | मैंने कितनी ऐसी औरते देखी हैं जो बिलकुल सुन्दर नहीं हैं, पर उनके पति उन्हें सर पर बिठा कर रखते हैं … परी, हूर , चाँद का टुकड़ा न जाने क्या–क्या कहते हैं, एक तरफ मैं हूँ जिसे दुनिया सुन्दर कहती है उसका पति कभी कुछ नहीं कहता , ये महंगे गिफ्ट्स क्या हैं? … बस अपनी हैसियत का प्रदर्शन हैं | बिना भाव से दिया गया हीरा भी पत्थर से अधिक कुछ नहीं है मेरे लिए | उनका दुःख जान कर मुझे बहुत दुःख हुआ पर मैंने माहौल को हल्का करने के लिए इधर –उधर की बातें करना शुरू किया | हमने हँसते –खिलखिलाते हुए उनके घर से विदा ली |                   रास्ते में लतिका कहने लगी,  “कितनी बेवकूफ है प्रिया, उसे अपने पति का प्यार दिखता ही नहीं | अगर प्यार न करते तो क्या इतने महंगे गिफ्ट्स ला कर देते, एक मेरे पति हैं, मेरी दुनिया भर की तारीफें करते रहेंगे, गीत , ग़ज़ल भी मेरे ऊपर लिख देंगे, मगर मजाल है गिफ्ट के नाम पर एक पैसा भी खर्च करें | बहुत महंगा गिफ्ट तो मैंने चाहा ही नहीं , पर एक गुलाब का फूल तो दे ही सकते हैं |”              घर आ कर मैं प्रिया और लतिका के बारे में सोंचने लगी | दरअसल ये समस्या प्रिया और लतिका की नहीं हम सब की है | हम सब अक्सर इस बात से परेशान रहते हैं कि जिसे हम इतना प्यार करते हैं, वो हमें उतना प्यार नहीं करता, या फिर हम तो अपने प्यार का इजहार बार–बार करते हैं पर वो हमारी  भावनाओं को समझता ही नहीं या उनकी कद्र ही नहीं करता| ये रिश्ता सिर्फ पति –पत्नी या प्रेमी –प्रेमिका का न हो कर कोई भी हो सकता है, जैसे माता–पिता का रिश्ता, भाई बहन का रिश्ता, दो बहनों को का रिश्ता, दो मित्रों का रिश्ता | इन तमाम रिश्तों में प्यार होते हुए भी एक दूरी होने की वजह सिर्फ इतनी होती है कि हम एक दूसरे के प्यार की भाषा नहीं समझ पाते | क्या होती है प्यार की भाषा –                     मान लीजिये आप अपनी किसी सहेली से मिलती हैं, वो आपको अपने तमिलनाडू टूर के बारे में बता रही है कि वो कहाँ–कहाँ गयी, उसने क्या–क्या किया, क्या–क्या खाया वगैरह–वगैरह, पर वो ये सारी  बातें तमिल में बता रही है, और आपको तमिल आती नहीं | अब आप उसे खुश देख कर खुश होने का अभिनय तो करेंगी  पर क्या आप वास्तव में खुश हो पाएंगीं ? नहीं, क्योंकि आपको एक शब्द भी समझ में नहीं आया| अब बताने वाला भले ही फ्रस्टेट हो पर गलती उसी की है, सारी कहानी बताने से पहले उसे पूँछ तो लेना चाहिए था कि आपको तमिल आती है या नहीं ? ठीक उसी तरह प्यार एक खूबसूरत भावना है पर हर किसी को उसे कहने या समझने की भाषा अलग–अलग होती है | अगर लोगों को उसी भाषा में प्यार मिलता है जिस भाषा को वो समझते हैं तो उन्हें प्यार महसूस होता है, अन्यथा उन्हें महसूस ही नहीं होता कि उन्हें अगला प्यार कर रहा है| अलग होती है सबकी प्यार की भाषा                          मनोवैज्ञानिक गैरी चैपमैन के अनुसार प्यार की पाँच भाषाएँ होती हैं और हर कोई अपनी भाषा में व्यक्त  किये गए प्यार को ही शिद्दत से महसूस कर पाता है | अगर आप किसी से उसकी प्यार की भाषा में बात नहीं करेंगे तो आप चाहे जितनी भी कोशिश कर लें वो खुद को प्यार किया हुआ नहीं समझ पाएगा | आपने कई ऐसे लोगों को देखा होगा जिनके बीच में प्यार है, दूसरों को समझ में आता है कि उनमें प्यार है, पर उनमें से एक हमेशा शिकायत करता रहेगा कि अगला उसे प्यार नहीं करता | कारण स्पष्ट है कि अगला उसे उस भाषा में प्यार नहीं करता जिस भाषा में उसे प्यार चाहिए| मनोवैज्ञानिक गैरी चैपमैन ने इसके लिए लव टैंक की अवधारणा प्रस्तुत की थी | जब आप किसी से उस की प्यार की भाषा में बात करते हैं तो उसका लव टैंक भर जाता है और वो खुद को प्यार किया हुआ महसूस करता है , लेकिन अगर आप  उस के प्यार की भाषा में बात नहीं करते … Read more

निराश लोगो के लिए आशा की किरण लेकर आता है वसंत

जनवरी की कडकडाती सर्दी फरवरी में धीरे-धीरे गुलाबी होने लगती है.इसी महीने में ऋतुराज वसंत का आगमन होता है और वासंती हवा जैसे ही तन-मन को स्पर्श करती है,तो समस्त मानवता शीत की ठिठुरी चादर छोड़कर हर्षोल्लास मनाने लगतीहै,क्योंकि जिस तरह से यौवन मानव जीवन का वसंत है,उसी तरह से वसंत इस सृष्टि का यौवन है,इसीलिये वसंत ऋतु का आगमन होते ही प्रकृति सोलह कलाओ में खिल उठती है. पौराणिक कथाओ में वसंत को कामदेव का पुत्र कहा गया है. शायद इसीलिये रूप और सौन्दर्य के देवता कामदेव के पुत्र का स्वागत करने के लिए प्रकृति झूम उठती है.पेड़ उसके लिए नवपल्लव का पालना डालते हैं,फूल वस्त्र पहनाते हैं,पवन झुलाती है और कोयल उसे गीत सुनकर बहलाती है.   वसंत ऋतु निराश लोगो के लिए आशा की किरण लेकर भी आती है.पतझड़ में वृक्षों के पत्तो का गिरना और सृष्टि का पुन नवपल्लवित होकर फिर से निखर जाना निराशा से घिरे हुए मानव को यह सन्देश देता है कि इसी तरह वह भीअपने जीवन में से दुःख और अवसाद के पत्तो को झाड़कर फिर से नवसृजन कर सकता है.जिन्दगी का हर पतझड़ यह इंगित करता है कि पतझड़ के बाद फिर से नए पत्ते आयेंगे,फिर से फल लगेंगे और सुखो की बगिया फिर से लहलहा उठेगी.  फरवरी का दूसरा सप्ताह आते-आते वेलेंटाइन डे का शोर भी मच जाता है.वेलेंटाइन डे के पक्ष-विपक्ष में तर्कों-दलीलों का संग्राम सा छिड़ जाता है.युवाओ का एक वर्ग इसे अपनी आजादी से जोड़कर देखता है,तो वही समाज का एक वर्ग इसे भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात मानता है.कोई इसे आधुनिक संस्कृति कहता है,तो कोई पाश्चात्य विकृति.कुल मिलाकर  भारतीय संस्कृति हो या पाश्चात्य संस्कृति,लेकिन फरवरी माह प्रेमोत्सव से जुड़ा हुआ है. प्रेम शब्द इतना व्यापक है कि इसे पूरी तरह से परिभाषित कर पाना किसी के लिए भी मुश्किल है,लेकिन दुर्भाग्य से मशीनीकरण और बाजारवाद के आज के इस दौर में प्रेम शब्द की व्यापकता धीरे-धीरे संकीर्ण होकर सिमटती जा रही है. महान दार्शनिक ओशो के अनुसार आदमी के व्यक्तित्व के तीन तल हैं: उसका शरीर विज्ञान, उसका शरीर, उसका मनोविज्ञान, उसका मन और उसका अंतरतम या शाश्वत आत्मा। प्रेम इन तीनों तलों पर हो सकता है लेकिन उसकीगुणवत्ताएं अलग होंगी। प्रेम जब सिर्फ शरीर  के तल पर होता है,तो वह प्रेम नहीं महज कामुकता होती है,लेकिन आजकल ज्यादातर इसी दैहिक आकर्षण को ही प्रेम समझा जा रहा है,जिसकी वजह से प्रेम शब्द अपना मूल अर्थ खोता जा रहाहै.प्रेम की वास्तविक परिभाषा उसके मूल स्वरुप पर चर्चा के लिए ही हमने अटूट बंधन का फरवरी अंक प्रेम विशेषांक के रूप में निकालने का निर्णय लिया है.पत्रिका के लिए यह गौरव का विषय है कि अपने तीसरे पड़ाव पर ही पत्रिका का जनवरी अंक देश के प्रमुख महानगरो के 56 बुकस्टालों पर पहुँच गया और फरवरी अंक लगभग 100 से ज्यादा बुकस्टालों पर उपलब्ध रहने की उम्मीद है.हमें पूरी उम्मीद है कि पहले के तीन अंको की तरह ही इस अंक को भी आप सबका अपार स्नेह और आशीर्वाद मिलेगा. ओमकार मणि त्रिपाठी  यह भी पढ़ें …. निराश लोगों के लिए आशा की किरण ले कर आता है वसंत अपरिभाषित है प्रेम प्रेम के रंग हज़ार -जो डूबे  सो हो पार                                                         आई लव यू -यानी जादू की झप्पी आपको  लेख   “निराश लोगो के लिए आशा की किरण लेकर आता  है वसंत ” कैसा लगा    | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें 

अपरिभाषित है प्रेम

संसार में तरह-तरह के व्यक्ति हैं … सभी में अलग अलग कुछ विशेष गुण होते हैं….. जिसे व्यक्तित्व कहते हैं….. कुछ विशेष व्यक्तित्व विशेष व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित करता है….. यही आकर्षण जब एक दूसरे के विचारों में मेल, पाता है….. एक-दूसरे के लिए त्याग का भाव अनुभव करता है , एक-दूसरे के लिए समर्पित हो जाना चाहता है…. एक दूसरे के प्रसन्नता में प्रसन्नता अनुभव करता है….. एक दूसरे का साथ पाकर सुरक्षित तथा प्रसन्न अनुभव करता है……एक दूसरे पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देना चाहता है…. उसका एक दूसरे से सिर्फ सिर्फ़ शारीरिक या मानसिक ही नहीं आत्मा का आत्मा से मिलन हो जाता वही प्रेम है..! , प्रेम हृदय की ऐसी अनुभूति है जो जन्म के साथ ही ईश्वर से उपहार स्वरूप प्राप्त हुआ है..! या यूँ कहें कि माँ के गर्भ में ही प्रेम का भाव पल्लवित एवं पुष्पित हुआ है..! चूंकि संतानें अपने माता-पिता के प्रेम की उपज हैं तो यह भी कहा जा सकता हैं कि माँ के गर्भ में आने से पूर्व ही प्रेम की धारा बह रही होगी जो रक्त में प्रवाहित है…! प्रेम अस्तित्व है.. अवलम्ब है… समर्पण है… निः स्वार्थ भाव से चाहत है…. जिसे हम सिर्फ अनुभव कर सकते हैं..प्रेम अपने आप में ही पूर्ण है..जिसे . शब्दों में अभिव्यक्त करना थोड़ा कठिन है… फिर भी हम अल्प बुद्धि लिखने चले हैं प्रेम की परिभाषा..! प्र और एम का युग्म रुप प्रेम कहलाता है जहां प्र को प्रकारात्मक और एम को पालन कर्ता भी माना जाता है..! प्रेम में लेन देन नहीं होता… प्रेम सिर्फ देकर संतुष्ट होता है…! शरीर , मन और आत्मा प्रेम के सतह हैं…प्रेम किसे किस सतह पर होता है यह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है..! दार्शनिक आत्मा और परमात्मा के प्रेम का वर्णन करते हैं.. तो महा कवियों के संवेदनशील मन ने हृदय की सुन्दरता को महसूस कर प्रेम का चित्रण अपने अंदाज में किया है..! आम तौर पर हर रिश्तों में अलग अलग भाावनाएं जुड़ी होती हैं उन भावनाओं की अनुभूति भी प्रेम के प्रकार हैं..! उम्र के साथ साथ प्रेम का भाव भी बदलता रहता है..! जब व्यक्ति अपने बालपन की दहलीज को लांघ किशोरावस्था के लिए कदम बढ़ाता है तब उसे शारीरिक और मानसिक स्तर पर कई प्रकार के परिवर्तन का सामना करना पड़ता है.. और वह विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होता है…और आकर्षण को जब शरीर मन और आत्मा आत्मसात कर लेता है उसी प्रक्रिया को ही हम प्रेम कह सकते हैं..! प्रेम एक दूसरे को देकर संतुष्ट होता है..! राधा कृष्ण के प्रेम सच्चे प्रेम का उदाहरण है..! आज से पहले हमारे यहाँ प्रेम को खुली छूट नहीं मिली थी लैला मजनू , हीर रांझा के प्रेम को समाज की की मान्यता नहीं मिली और प्रेम के लिए उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी थी ….. वहीं आज प्रेम बहुत ही आसानी से टूट और जुड़ रहे हैं..! आज लोग दिल की अपेक्षा दिमाग से काम ले रहे है.. समाज भी प्रेम को स्वीकार कर रहा है यही वजह है कि आज कल प्रेम विवाह की संख्या तेजी से बढ़ रही है…! आज पश्चिमी सभ्यताका का अन्धानुकरण ने प्रेम का अंदाज ही बदल दिया है..! आजकल का प्रेम जीवन जीवान्तर तक का न होकर कुछ वर्षों में ही टूट और जुड़ रहा है… प्रेमी प्रेमिका बड़ी आसानी से एक-दूसरे के प्रेम बन्धन से मुक्त होकर अन्य प्रेमी प्रेमिका ढूंढ ले रहे हैं…. और बड़ी आसानी से अपने अपने पुराने प्रेमी प्रेमिका को कह देते हैं कि अब हम सिर्फ दोस्त हैं …! कुछ लोग विवाहेत्तर सम्बन्धों को भी प्रेम की संज्ञा देते हैं..उनके अनुसार प्रेम अंधा होता है वह उचित और अनुचित नहीं देखता..सिर्फ़ प्रेम करता है….. अंधा…….. वह अपने तरह-तरह के कुतर्को द्वारा अपने प्रेम को सही साबित करने का प्रयास करता है ! विवाहेत्तर सम्बन्धों का दुष्परिणाम कभी कभी बहुत ही भयावह होता है..! मर्यादित प्रेम यदि जीवन में सुधा की रसधार है तो अमर्यादित प्रेम विष का प्याला..और आग का दरिया है…… इस लिए प्रेम में मर्यादा का होना आवश्यक है..! ****************** किरण सिंह निराश लोगों के लिए आशा की किरण ले कर आता है वसंत                                              नगर ढिढोरा पीटती कि प्रीत न करियो कोय प्रेम के रंग हज़ार -जो डूबे  सो हो पार                                                         आई लव यू -यानी जादू की झप्पी आपको  लेख   “अपरिभाषित है प्रेम ” कैसा लगा    | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें 

प्रेम के रंग हज़ार -डूबे सो हो पार

प्रेम जीवन के विविध रंगों और ढंगों में समाई सघन अनुभूति है…माँ का वात्सल्य से परिपूर्ण प्रेम ,पिता का अव्यक्त कर्म में परिलक्षित प्रेम , बहिन का अनुराग से ओत प्रोत प्रेम , भाई का अनुरक्ति में भीगा प्रेम ,मित्र का अपनत्व भाव में रचा बसा प्रेम और एक स्त्री व पुरुष के बीच प्रस्फुटित होता , पल्लवित होता ,मन को मुक्त करता , हर स्पंदन में खुद को भरता नैसर्गिक प्रेम जो रचता है जीवन को और देता है उसे नये तर्जुमान. प्रेम महज कन्टेंट्स ( विषय वस्तु ) नही है बल्कि यह एक सतत प्रवाहमयी प्रक्रिया है जो निरंतर एक स्थिति से दूसरी स्थिति में परिवर्तित होती रहती है और जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को छूता हुआ निरंतर गतिमान रहता है.प्रेम समय की धुरी पे घूमता हुआ नए नए कलेवर धारण करता है . सृष्टि के सृजन में समाता रहा है खुद को प्रेम प्रेम एक अछूता सा विषय पर हर जीवन को छूता हुआ.जीवन्त करता हुआ सदियों से अनेकानेक प्रतिमानों को,आदर्शों को , काव्यों को श्रृंगारित करता हुआ जीवों के हर रूप को ,ध्वनित करता हुआ हर पुकार को ..निश्छल वात्सल्य से लेकर झुर्रियों के अनुभवों के अनुराग में पलता है प्रेम. प्रेम निर्मल कामना सा , पावन प्रार्थना सा ,उत्कठ भावना सा अंकुरित होता है अंतर्घट की चेतना की जमी से और पल्लवित पुष्पित होता वटवृक्ष सरीखा समाधिस्थ महायोगी सा बन जाने कितने ही पथिकों को अपनी ठंडी छांव देता है. प्रेम ने शिव से गौरी का ,राम से सिया का , कृष्ण से राधा का , गिरधर से मीरा का से लेकर वर्तमान तक ना जाने कितने ही रूपों में खुद को गढ़ा और हर बार एक नया स्वरूप दिया, नया साकार दिया, नये प्रतिमान दिए, नये नाम दिए पर खुद प्रेम बना रहा ज्यूँ का त्यूँ बिना परिवर्तित हुए . प्रेम जब अंतर्मन में जागता है तो सीमान्तो तक अपने बीज रोंप देता है .सघन शाश्वत अनुभूति सा उमड़ता है अंतस के गर्भ से और सतत हिलोरे लेता अनवरत बहता है दरिया सा . सौंदर्य और माधुर्य का अनुपम संगम प्रेम निरंतरता को पुष्ट करता अनादि काल से सृष्टि के सृजन में समाता रहा है खुद को. प्रेम जो जीवन के हर पल में साँस की तरह पलता हुआ हिय की धडकनों को राग रागिनियों से भर देता है ..मानस पटल की चेतना पे जीवन नित नूतन परिभाषाओं को गढ़ देता है , आँखों में पलता है नाज़ुक कमलदल सा, पलकों के तट पे समन्दर खड़े कर देता है. सीपी सा चुनता है स्वाति की बूंद और बन मोती अपनी आभा से हर और उजियारा कर देता है. मन के कोरे केनवास पे इन्द्रधनुषी छटा बन नीर की बूंद और रवि रश्मियों के प्रणय को साक्षात् रच देता है प्रेम. प्रेम जीवन की उर्जा है प्रेम जीवन की उर्जा है जो रोज़मर्रा की यांत्रिकता से हमे बाहर लाकर पुनर्जीवन देता है और पल प्रति पल नव नूतन आयामों के द्वार खोलता चला जाता है जो जीवन को नैसर्गिक आनंद के आह्लाद से भर देता है और रस भीनी अभिव्यक्ति की तरह जीवन में मुखरित होता है. अनाम रहस्मयी दिव्यता से भरा प्रेम जब जागृत और क्रियाशील होता मानव में तो देह से निर्लिप्त पर देह को साकार करता हुआ प्रकृति और सृष्टि के नज़दीक ले जाता हुआ सारे छदम आवरणों को विलोपित कर देता है क्योकि प्रेम देह से देहातीत हो जाता है और शरीर सूक्ष्म से सूक्ष्मतम होता हुआ अदृश्य हो जाता है तब रह जाती है आलौकिक प्रेम भावना और उसकी अभिव्यक्ति का संसार– प्रेम, प्रेम जो आत्मा को थपथपाता है और यही स्थाई होता है ,शाश्वत होता है, चेतन होता है, सत्य होता है क्योकि प्रेम लौकिक स्थूलता को भेदता हुआ आत्मा की ज़द तक पहुँचता है और दो सम्पूर्णताओं के मिलन को पुष्ट करता है. शरीर सेआत्मा तक आते आतेस्थूलता से सूक्ष्मता काबोध हो गयाअंतर्मन का मौनमुखरित होअनकहा सासब कह गया तन कीलकीरों कोउकेरतेबनाते ,सवांरते,पढ़तेमन व भावों कीमूकभाषा कोएक दूजे मेंएकाकार कर गया भरपूर तृप्ति काअहसाससैलाब कीप्रलयता कोस्व में समोनूतन आयामों के साथअबोधआपगा मेंरच बस गया तृप्ति और प्यास कासंतुलननव सृजन काप्रणेता बनकल कल निर्झर साबहताजीवन की जीवन्तता कोपुष्ट कर गयाप्रेम गूंगे का गुड है प्रेम पाने या प्रेम में होने की पहली शर्त है अहम का मिट जाना अर्थात अविभज्यता के भाव का उदय होना ही प्रेम है क्योकि प्रेम ही प्रेम को बाँधता है . अकथ कहानी प्रेम की कुछ कही न जायेगूंगे केरी सरकरा खाय और मुस्काए प्रेम गूंगे का गुड है जिसके स्वाद को फ़क़त महसूस किया जा सकता है बयान नही किया जा सकता है . इसे गूंगे की आँखों और चेहरे पे उमगते भावों से जाना व समझा जा सकता है. प्रेम गुणातीत है अर्थात गुणों के दायरे से परे है .इसे रूप, रंग, रस, गंध के प्रतिमानों में नही पिरोया जा सकता . इसे इन सब रूपों में महसूस किया जा सकता है पर उसका मात्रात्मक आकलन नही किया जा सकता. खलील ज़िब्रान प्रेम के बारे में कहते हैं– प्रेम बंधन मुक्त होता है इसलिए वो सृष्टि के कण कण में धड़कता है और अपने आप को प्रकट करता है. फिर चाहे चट्टान के सीने पे उगता दूब का नवांकुर हो या तपते रेगिस्तान में रोहिड़े की डाली पे तपती हवाओं के बीच खिलता फूल हो. ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होए ये ढाई आखर की ‘प्रेम गठरी’ समेटे हुए है अपने में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जिसमें ग्रह, नक्षत्र, तारे सभी अपनी अपनी धुरी पे एक दूसरे के चारों और नर्तन कर रहे हैं . इस गठरी में रखी हुई है सम्भाल कर खुशबुएँ जो हवाओ पे सवार हुई एक दिशा को दूसरी दिशा का पैगाम देती हैं , इस में रखे हैं संजो के बिरवे जो उगते हुए हरी हरी चादर से कर जाते है उर्वर धरा के अंतस को, इसमें धरी है कुछ निश्छल मुस्काने जो जब जब अधरों पे सजती हैं ईश्वर उतर आता है उन मुस्कानों में , इसमें रखी है चकमक में छुपा के दबी सी आंच जो अपनी गरमी से पकाती है मन की रोटियां धीमे धीमे .और भी न जाने कितने ही अनंत रूप, रस, रंग को समाये हुए है स्व में . … Read more

” मेरी बेटी….मेरी वैलेंटाइन “

            कहते हैं कि बेटियाँ माँ की परछाई होती है। एक-दूसरे की प्राण होती हैं। एक जन्म देकर माँ बनती है तो दूसरी जन्म पाकर बेटी। दोनों एक-दूसरे को पाकर पूर्ण होती हैं, इसी से एक-दूसरे की पूरक बन जाती है। बिना कहे समझ जाती हैं दिल की बात, आवाज़ से ही जान जाती हैं कि दुःख की बदरी सी मन-प्राणों पर छाई है या कोई ख़ुशी छलकी जा रही है। इसका अनुभव अपनी माँ की बेटी बन कर खूब बटोरा, और अब अपनी बेटी की माँ बन कर फिर वही सब जीने का अवसर मिला है। ओस की निर्मल बूँद सी होती हैं बेटियाँ… जो अपने निश्छल प्यार की शीतलता से जीवन में खुशियों का अंबार लगाए रखती हैं, घर को अपनी खिलखिलाहट और चहचहाट से गुँजायमान रखती हैं कि उदासी पसरने ही नहीं पाती। कभी गुनगुनाती हैं, कभी कुछ पकाती हैं, कभी सब उलट-पुलट कर घर को सजाने-सँवारने लगती हैं, तो कभी पूरे घर को आसमान पर उठाए फिरती हैं।सखी-सहेली बनती है तो माँ से बतियाने की कोई सीमा ही नहीं रहती।अतिथि आ जाए तो आतिथ्य की जिम्मेदारी से मुक्त कर स्वयं लग जाती है।          और यही बेटी जब दुल्हन बन, सात फेरे लेकर  अपने ससुराल चली जाती है तो जैसे घर की सारी रौनक, चहल-पहल अपने साथ ही ले जाती है। पर ये रिश्ता माँ-बेटी का ऐसा है कि इसमें दूरियाँ कोई मायने नहीं रखती। बिना कहे, बिना आए एक-दूसरे को अनुभव करती रहती है, एक-दूसरे को अपने हृदय में जीते हुए एक-दूसरे का साहस बनी रहती हैं।      बस इसीलिए मैं अपनी बेटी को अपने एकदम निकट पाती हूँ और सोच की गहराइयों में डूब कर अपनी बेटी को ही ” ” “अपना वैलेंटाइन” पाती हूँ। डॉ . भारती वर्मा ‘बौड़ाई ‘ यह भी पढ़ें  निराश लोगों के लिए आशा की किरण ले कर आता है वसंत अपरिभाषित है प्रेम प्रेम के रंग हज़ार -जो डूबे  सो हो पार                                                         आई लव यू -यानी जादू की झप्पी आपको  लेख   “” मेरी बेटी….मेरी वैलेंटाइन “” कैसा लगा    | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें 

वैलेंटाइन डे पर विशेष – 10 best love quotes

                                           यूँ तो प्रेम की कोई भाषा नहीं होती पर हर भाषा ने प्रेम को परिभाषित करने का प्रयास जरूर किया हैं | वसंत का मौसम प्रेम का मौसम होता है | इसमें हम आपके लिए लाये हैं विभिन्न भाषाओँ में प्रेम पर कहे गए सुविचार वैलेंटाइन डे  विशेष – 10 best love quotes  1 ) हम दूसरों का या तो आकलन कर सकते हैं या प्रेम कर सकते हैं हम आकलन और प्रेम साथ – साथ नहीं कर सकते हैं | २ …. सबसे कीमती तोहफा जो आप अपने अपनों को दे सकते हैं …वो है आप का समय , प्रेम और ध्यान ३ …. प्रेम में एक बार असफल होने का अर्थ जीवन भर के आंसूं नहीं |  दुबारा सपने देखो दुबारा जियो हो सकता है कोई उससे भी बेहतर तुम्हारी प्रतीक्षा कर रहा हो | 4 …………. लम्बी आयु का रहस्य है …हँसना लम्बे समय तक साथ – साथ चलने वाले रिश्तों का रहस्य है साथ – साथ हँसना 5 ……….. दो चीजों के पीछे आपको कभी भागना नहीं पड़ता सच्चे दोस्त और सच्चा प्यार ६ ……………………………… किसी का दिल जीतने के लिए  खुद को मत बदलों   अपने प्रति ईमानदार रहो | एक न एक दिन तुम्हें वो अवश्य मिलेगा  जो तुम्हें इसलिए प्रेम करेगा  क्योंकि तुम … तुम हो  ७….  दूरियाँ दिलों को उतना दूर नहीं करती  जितना शक करता है  8 …………………. अगर आप किसी को प्रेम करते हैं तो  कहने में ज्यादा देर न करिए  क्योंकि दिल अक्सर  अनकहे शब्दों से टूटते हैं   ९………… कभी -कभी आपके मित्रों का दायरा आकार में छोटा होता जाता है  पर  गहराई में बढ़ता जाता है  १०…. किसी से प्रेम तब करो जब तुम मानसिक रूप से तैयार हो न की अकेलेंपन के शिकार हो टीम ABC यह भी पढ़ें ………. निराश लोगों के लिए आशा की किरण ले कर आता है वसंत                                              नगर ढिढोरा पीटती कि प्रीत न करियो कोय प्रेम के रंग हज़ार -जो डूबे  सो हो पार                                                         आई लव यू -यानी जादू की झप्पी आपको  लेख   “वैलेंटाइन डे पर विशेष – 10 best love quotes ” कैसा लगा    | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें 

वैलेंटाइन डे स्पेशल – आई लव यू “यानी जादू की झप्पी

अरे भाई ! वेलेंटाइन डे आ गया | प्यार भरे दिलों की धड़कने तेज़ हो गयीं | आई लव यू “ थोडा सा सकुचाई सी शरमाई सी मन ही मन मुस्कुराते हुए सोचने लगी , “ लो वो दिन भी आ गया जब सब अपने अपने वैलेंटाइन से मनुहार करते हुए मेरा इस्तेमाल करेंगे | मैं इस मुँह से उस मुँह तक सैर करती नज़र आऊँगी | “ बात भी सही है जादू की झप्पी का बुखार एक न उतरने वाला बुखार है | आई लव यू डेंगू की तरह फैलता जा रहा है | यह वाक्य अपने आप में बड़ा मीठा और वजनी है | “ तीन शब्दों से बना ये वाक्य है कमाल काजिसे भी कह दो वो हो जाए आपका “ सही में इस वाक्य का चमत्कार देखिये | दूर बैठे लोग भी आप के हो जायेंगे | पर इस चमत्कारी वाक्य को ले कर लोगों में अलग –अलग धारणाएं और भ्रांतियाँ हैं | कुछ लोग आई लव यू का केवल एक ही मतलब निकालते हैं | वो है पति –पत्नी या प्रेमी प्रेमिका के बीच बोला जाने वाला | अरे भाई ये वो मिठाई है जो हम अपने माता –पिता , भाई बंधू सभी को खिला सकते हैं | आपका वैलेंटाइन कोई भी हो सकता है जिसे आप दिल से चाहते हैं | चाहे वो छोटा हो या बड़ा , रिश्तेदार हो या मित्र | माँ थोड़ी सी रूठ गयी है तो उन्हें जादू की झप्पी डे कर कान में धीरे से कह दो ,” आई लव यू मम्मा “ | माँ प्यार से एक मीठी चपत लगाते हुए कहेगी ,” हट पगले मैं तो यूं ही कह रही थी | नाराज़ थोड़े ही थी | “ पापा के लाल –पीले गुस्से से बचना है झट से कह दो ,” पापा नाराज़ क्यों होते हैं , आई रियली लव यू “| जरा आजमाकर तो देखिये ये वो हथियार है जिसे जहाँ चाहे निकालकर चला दो | इससे लोग मरेंगे नहीं अपितु आप पर जी जान से मरने लगेंगे | आपको इतना चाहने लगेंगे की पूंछो मत |किसी को वशीकरण करना हो तो ये रामबाण वाक्य गुनगुना दो | ये ऐसा जादुई तीर है जो सीधा दिल को भेद दे | कुछ दिन पहले की बात है | कुछ बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे | अचानक उनकी बल घर के शीशे में आकर लगी और शीशा टूट गया | मैं लाल –पीली हो कर दनदनाती हुई नीचे पहुंची और बच्चों को डांटते हुए बोली की वे सामने पार्क में जा कर खेलें | तभी एक बच्चा जो गाडी के पीछे छिपा बैठा था आकर बड़े भोलेपन से बोला ,” नाराज़ क्यों होती हो आंटी जी “| परेशां तो मैं थी ही | उसकी यह बात सुन कर मुझे और गुस्सा आ गया | मैं चिल्लाई ,” बड़ों से ऐसे बात करते हैं ? वह मुस्कुरा कर फ्लाइंग किस देते हुए बोला ,” आंटी आई लव यू “| उसकी इस बात पर मुझे हंसी आ गयी और गुस्सा कपूर की तरह उड़ गया | और मैं ‘ठीक है ,ठीक है कहती हुई ऊपर आ गयी | यह जुमला किसी का मोहताज़ नहीं है | इसे छ : साल के बच्चे से लेकर ७६ साल के बुजुर्ग तक इस्तेमाल करते हैं | मीरा मॉर्निंग वाक पर निकली तो पार्क में बेंच पर बैठे एक दादू जी (बुजुर्ग ) जिनकी उम्र कोई ७० -७५ साल होगी , अपनी धर्मपत्नी से बार –बार आई लव यू कह रहे थे | ऐसा लग रहा था की उनकी श्रीमती जी उनसे अच्छी खासी नाराज़ थी|  श्रीमान जी की मनुहार देख –देख कर मीरा को हंसी आ गयी वो मंद –मंद मुस्कुराते हुए उन लोंगों के पास पहुंची | उसने कहा ,” अब तो मान जाइए आंटी जी , देखिये अंकल कब से मन रहे हैं “| आंटी जी ने जोर का ठहाका लगाया और बोली ,” अरे बेटी मैं तो कबसे माने बैठी हूँ | आज वैलेंटाइन डे है | जरा इन्हें परेशां तो कर लूं |फिर इनको “ दिल धडकने दो” मूवी देखने ले जाउंगी | फिर उन्होंने झट से अपने पति ( दद्दू ) को आई लव यू कहते हुए झप्पी दे दी | मीरा को बड़ा मजा आया और वो मन ही मन यह सोंचती हुई घर चल दी की वाह ! अँगरेज़ भी खूब थे जो इस प्यार भरे जुमले को छोड़ गए | जो आज सभी मौके बेमौके इस्तेमाल कर रहे हैं | आज की युवा पीढ़ी तो इसका ज्वलंत उदाहरण है | इस जुमले का प्रयोग यदि गलत समय गलत जगह या गलत व्यक्ति के साथ किया जाए तो इसका उल्टा असर भी पद सकता है | पर ऐसा कोई बेवकूफ ही कर सकता है | अपनी दिमागी हालत को ठीक –ठाक रखते हुए जिंदगी गुलज़ार करें | जिसे भी आप आई लव यू बोले दिल की गहराई से बोलें और हर दिन को वैलेंटाइन डे बना डाले न की विलेन टाई डे बनाएं | सभी से प्रेम करें | प्रेम न जाने कोई रात –दिनप्रेम न जाने सुबह –शाम‘आई लव यू” की पींग बढाओपूरे होने चारों धाम लेखिका – श्रीमती सरबानी सेनगुप्ता निराश लोगों के लिए आशा की किरण ले कर आता है वसंत                                              नगर ढिढोरा पीटती कि प्रीत न करियो कोय प्रेम के रंग हज़ार -जो डूबे  सो हो पार                                                         आई लव यू -यानी जादू की झप्पी आपको  लेख   “वैलेंटाइन डे स्पेशल – आई लव यू “यानी जादू की झप्पी ” कैसा लगा    | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन“की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें 

वैलेंटाइन डे युवाओं का एक दिवालियापन

                                                                        लेखक:- पंकज प्रखर प्रेम शब्दों का मोहताज़ नही होता प्रेमी की एक नज़र उसकी एक मुस्कुराहट सब बयां कर देती है, प्रेमी के हृदय को तृप्त करने वाला प्रेम ईश्वर का ही रूप है| एक शेर मुझे याद आता है की….                                      “बात आँखों की सुनो दिल में उतर जाती है                                        जुबां का क्या है ये कभी भी मुकर जाती है ||” इस शेर के बाद आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करता हूँ कहते है किसी देश में कोई राजा हुआ जिसने अपनी सेना को सशक्त और मजबूत बनाने के लिए अपने सैनिकों के विवाह करने पर रोक लगा दी थी जिसके कारन समाज में व्यभिचार फैलने लगा सैनिक अपनी शारीरिक आवश्यकताओं को अनैतिक रूप से पूरा करने लगे जिसका समाज पर बुरा प्रभाव पढने लगा ऐसे में उस राज्य में एक व्यक्ति हुआ अब वो संत था या क्या था इसका इतिहास कहीं नही मिला लेकिन हाँ उसने उस समय प्रताड़ित किये गये इन सैनिकों की सहायता की और समाज को नैतिक पतन से बचाने के लिए सैनिकों को चोरी छिपे विवाह करने के लिए उत्साहित किया. उसका  परिणाम ये हुआ की राजा नाराज़ हो गया और उसने उस व्यक्ति की हत्या करवा दी तब से ही पश्चिम के लोग उस मृतात्मा को याद करने के लिए इस दिवस को वलेंतिन डे के रूप में मनाते है . जिसका हमारी तरफ से कोई विरोध नही है लेकिन इस दिवस के नाम पर बाज़ारों में पैसे की जो लूट होती है या कहें भारतीय संस्कारों का पतन होता है, अश्लीलता और फूहड़ता के जो दृश्य उत्पन्न होते है उनसे हमारा विरोध है | अब सोचने वाली बात ये है की भारतीय संस्कृति में ये प्रदुषण आया कैसे हम भारतीय इतने मुर्ख कैसे हो गये की किसी और देश में घटने वाली घटना से सम्बंधित तथाकथित पर्व हमने अपनी संस्कृति में घुस आने दिया | एक ऐसा देश जो राधा और कृष्ण के निर्विकार निश्चल प्रेम का साक्षी रहा हो जिसने समूची सृष्टि को प्रेम के वास्तविक रूप से अवगत कराया हो वहां के युवाओं द्वारा ये वैलेंटाइन डे मनाकर के अपनी संस्कृति का ह्रास करना ,फूहड़ता और अश्लीलता का प्रदर्शन करना कहां तक जायज़ है. हमारी संस्कृति में पहले से ही बसंत पंचमी, होली जैसे सार्थक, उद्देश्यपरक त्यौहार है. जिनमे पूरा समाज मिलजुल कर खुशियाँ मनाता है.जब इस प्रकार के सामूहिक उल्लास के पर्व है तो हमारे युवाओं को उधार के उद्देश्यहीन और अश्लीलता से भरे ये पर्व है न जाने क्यों आकर्षित करते है. लार्ड मैकाले की बड़ी इच्छा थी की वो शरीर से भारतीय और मानसिकता से अंग्रेजी सोच वाले लोगों को तैयार करे उसके इस स्वप्न को आज हमारे युवा साकार करते नजर आते है | सात दिवस पहले से ही बाहों में बाहें डाले फूहड़, बेतुके कपड़े पहने आपको ऐसे बरसाती मेंडक सडकों पर घुमते हुए आसनी से मिल सकते है. जो इन सात दिनों तक एक दूसरे के लिए पागल रहते है और सच मानिए ऐसे दिखावा करने वालो का प्रेम अगले सात दिनों तक भी नही चलता .क्यों ? क्योंकी ये प्रेम के सच्चे स्वरूप को नही जानते एक दूसरे से लिपटना चिपटना प्रेम नही है ये तो केवल हवस और सेक्स है जिसे हमारे युवा प्रेम समझ बैठते है और एक दुसरे के प्रति आकर्षण खत्म हो जाने के बाद ये प्रेम भी तिरोहित हो जाता है बचता है तो तनाव और मानसिक अशांति | प्रेम ईश्वर के होने का एहसास है प्रेम वो भावना है जो हमारे अंदर ईश्वर की उपस्थिति दर्शाती है प्रेम एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम किसी भी व्यक्ति को अपना बना सकते है सच्चे और निर्विकार प्रेम के आगे तो स्वयं भगवान् भी हाथ बांधे अपने प्रेमी के सामने खडे नज़र आते है. आज जिस प्रकार के प्रेम की बात की जाती है और वो अनेको विकृतियों से भरा हुआ है. निश्चित रूप से वो प्रेम की परिभाषा भारत की तो नही हो सकती हम भारतीय इस उधार की संस्कृति को अपनाकर अपने देश की छवि को धूमिल करने में लगे है | भारतीय प्रेम किसी एक दिवस का मोहताज़ नही है भारयीय संस्कृति में हर दिवस ही प्रेम दिवस है . हम आज भी मानसिक रूप से अंग्रेजों के गुलाम है. अफ़सोस की आज़ादी के पहले इतने काले अँगरेज़ नहीं थे जितने आज़ादी के बाद बन गए हैं | क्या आप अपने आपको वैज्ञानिक बुद्धि का कहते हो क्या कभी जानने की कोशिश की के जो कर रहे हैं इसके पीछे का सच क्या है वास्तव में सच ये है की इस प्रकार से भारतीय युवाओं को वैलेंटाइन डे जैसे दिनों के प्रति आकर्षित करके भारत के रूपये पैसे को खीचना है इन साथ दिनों में करोड़ो रूपये विदेशी तिजोरियों में चले जाते है अब एक प्रश्न है भारतीय युवाओं से क्या वो जिस व्यक्ति को प्रेम करते है वो इतना लालची है की इन दिनों जब तक आप उसे कोई उपहार नही देंगे तब तक वो आपके प्रेम को स्वीकार नही करेगा | क्या इन दिनों में विशेष कोई गृह दशा होती  है की इन दिनों ही अपने साथी को चोकलेट खिलाओ, फूल दो, गुड्डा गुडिया दो, तो उसके प्रभाव स्वरुप वो आपके प्रेम को स्वीकार कर लेगा | निश्चित रूप से आप कहेंगे ऐसा नही है फिर ये निराधार  वेलेंटाइन डे का दिवालियापन क्यों ? एक और पक्ष भी है मेरे पास कई तथाकथित बुद्धिजीवी भी इस की प्रशंशा के गीत गाते नज़र आते है उनका कहना ये होता है की इस दिवस को आप इतना गलत तरीके से क्यों लेते हो इस दिवस को आप अपने परिवार अपने माता पिता ,बहन.भाई के साथ मना सकते है तो भाई में ये पूछना चाहता हूँ की जिस घटना का और घटना से सम्बन्धित इतिहास का भारत से कोई लेना देना ही नही है उसे यहाँ मनाने की आवश्यकता ही क्या है इस सप्ताह में एक दिवस आता किस डे (kiss Day) अब मनाओ अपनी माता- बहनों  के साथ कैसे सम्भव है ये अश्लीलता ? भारत के … Read more

रोज डे – गुलाब पर 21 सुविचार

                             गुलाब जो प्रेम का प्रतीक माना जाता है वो किसे पसंद नहीं होगा |  रोज डे पर गुलाबों का देना प्रेम का इज़हार माना जाता है | इस दिन दिए जाने वाले गुलाब भी तीन रंगों के होते हैं | सफ़ेद गुलाब जान पहचान के लिए पीले गुलाब -दोस्ती के लिए लाल गुलाब – प्रेम के लिए                                   यूँ तो गुलाब बहुत खूबसूरत होता है पर उसके साथ कांटे भी होते हैं | काँटों से घिरे हो कर भी खुशबु बिखेरना गुलाब की  खासियत है | आज रोज डे पर हम आपके लिए लाये हैं गुलाब पर सुविचार…  गुलाब पर 21 सुविचार  ये आप पर है की आप शिकायत करें की गुलाब के साथ कांटे होते हैं या ख़ुशी व्यक्त करे की काँटों के साथ गुलाब भी होते हैं | ————————– लाल गुलाब मौन रह कर भी प्रेम की वो भाषा बोलता है जिसे केवल दिल सुन  सकता है | ————————— एक गुलाब की सुन्दरता व् सुंगंध केवल कुछ क्षण ही ठहरती है पर इसकी यादें हमेशा महकती रहती हैं | ———————————– एक गुलाब कभी सूरजमुखी की तरह खूबसूरत नहीं हो सकता न ही एक सूरज मुखी कभी गुलाब की तरह खूबसूरत  दिख सकता है , दोनों की अपनी सुन्दरता है ———————————— जो लोग गुलाब को सच में प्यार करते हैं वो उसे उसके तने पर ही छोड़ देते हैं | _________________________________ गुलाब उतना खूबसूरत नहीं लगता जब एक बार उसके कांटे आप के हाथ में चुभ जाते हैं | ——————————————————————- नाम में क्या रखा है , अगर आप गुलाब को कुछ और कहेंगे तब भी वो उतनी ही खुशबू देगा – शेक्सपीयर  बनना है तो गुलाब की तरह बनो यह उनके हाथों में भी खुशबू छोड़ देता है जो इसे मसल देते हैं | —————————- गुलाब को कभी अपना प्रचार करने की जरूरत नहीं पड़ती | इसकी खुशबू खुद ही सबको खींच कर ले आती है | ——————————— गुलाब उस भाषा में बात करता है जिसे केवल दिल समझ सकता है | ________________________ शब्द गुलाब की तरह होते हैं इन्हें अपनी खुशबु  और सुन्दरता के साथ पूरी दुनिया में बिखेर देने  दो | ————————————– जो गुलाब से प्यार करता है उसमें धैर्य अवश्य होगा और काँटों का सामना करने का साहस भी | _______________________________ मैं अपने गले में हीरों का हार पहनने की अपेक्षा अपनी मेज पर गुलाब के फूल रखना ज्यादा पसंद करुँगी | मित्रता एक खिलता हुआ गुलाब है जिसके हर तह में खुशबु और रंग बसे हुए हैं | गुलाब के कांटे भी उन्हीं के लिए हैं जो उससे प्यार करते हैं | _________________________________ गुलाब और कांटे उसी तरह से जुड़े हुए हैं जैसे खुशियाँ और दुःख | __________________________________________ काँटे कभी गुलाब को नुक्सान नहीं पहुंचाते ये केवल उनको नुक्सान पहुंचाते हैं जो उसकी सुन्दरता हरना  चाहते हैं | ________________________________ गुलाब झड जाते हैं पर कांटे बने रहते हैं | _________________________________________ गुलाब  के खिलने का कोई स्पष्टीकरण नहीं है वो खिलता है , क्योंकि वो खिलता है … क्या ये एक सार्थक सन्देश नहीं है ? __________________________________________ सत्य और गुलाब , दोनों के कांटे की तरह चुभते  हैं | ___________________________________________ गुलाब की तरह अपने गुणों  से  सारे संसार  को जीत लो  गुलाब के झड़ते हुए पत्तों को देख कर दुखी न हो , जिंदगी में दुबारा खिलने के लिए झड़ना ही पड़ता है | _______________________________________ जिंदगी के आखिरी सफ़र का साथी गुलाब ही है | टीम ABC यह भी पढ़ें ……… वैलेंटाइन डे – आई लव यू यानि जादू की झप्पी प्रेम के रंग हज़ार – जो डूबे सो हो पार वैलेंटाइन दिवस को पारिवारिक एकता दिवस के रूप में मनाएं नए साल पर 21 प्रेरणादायी विचार  जीवन सूत्र पर २१ अनमोल विचार  आपको  लेख “ रोज डे – गुलाब पर 21 सुविचार   “ कैसा लगा  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |   

“वैलेन्टाइन दिवस” को” पारिवारिक एकता दिवस “के रूप में मनाये

संत वैलेन्टाइन को सच्ची श्रद्धाजंली देने के लिए 14 फरवरीको “वैलेन्टाइन दिवस” को” पारिवारिक एकता दिवस “के रूप में मनाये (1) ‘वैलेन्टाइन दिवस’ के वास्तविक, पवित्र एवं शुद्ध भावना को समझने की आवश्यकताः- संसार को ‘परिवार बसाने’ एवं ‘पारिवारिक एकता’ का संदेश देने वाले महान संत वैलेन्टाइन के ‘मृत्यु दिवस’ को आज भारतीय समाज में जिस ‘आधुनिक स्वरूप’ में स्वागत किया जा रहा है, उससे हमारी भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता प्रभावित हो रही है। संत वैलेन्टाइन ने तो युवा सैनिकों को विवाह करके परिवार बसाने एवं पारिवारिक एकता की प्रेरणा दी थी। इस कारण अविवाहित युवा पीढ़ी का अपने प्रेम का इजहार करने का ‘वैलेन्टाइन डे’ से कोई लेना-देना ही नहीं है। आज वैलेन्टाइन डे के नाम पर समाज पर बढ़ती हुई अनैतिकता ने हमारे समक्ष काफी असमंज्स्य तथा सामाजिक पतन की स्थिति पैदा कर रखी है। (2) विवाह के पवित्र बन्धन को ‘वैलेन्टाइन दिवस’ पूरी तरह से स्वीकारता एवं मान्यता देता है:- ‘वैलेन्टाइन डे’ विवाह के पवित्र बन्धन को पूरी तरह से स्वीकारता एवं मान्यता देता है। आज महान संत वैलेन्टाइन की मूल, पवित्र एवं शुद्ध भावना को भुला दिए जाने के कारण यह महान दिवस मात्र युवक-युवतियों के बीच रोमांस के विकृत स्वरूप में देखने को मिल रहा है। वैलेन्टाइन डे को मनाने के पीछे की जो कहानी प्रचलित है उसके अनुसार रोमन शासक क्लाडियस (द्वितीय) किसी भी तरह अपने राज्य का विस्तार करना चाहता था। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए वह संसार की सबसे ताकतवर सेना को बनाने के लिए जी-जान से जुटा था। राजा के मन में स्वार्थपूर्ण विचार आया कि विवाहित व्यक्ति अच्छे सैनिक नहीं बन सकते हैं। इस स्वार्थपूर्ण विचार के आधार पर राजा ने तुरन्त राजाज्ञा जारी करके अपने राज्य के सैनिकों के शादी करने पर पाबंदी लगा दी। (3) महान संत वैलेन्टाइन के प्रति सच्ची श्रद्धा प्रकट करने के लिए मनाया जाता था ‘वैलेन्टाइन दिवस’:- रोम के एक चर्च के पादरी महान संत वैलेन्टाइन को सैनिकों के शादी करने पर पाबंदी लगाने संबंधी राजा का यह कानून ईश्वरीय इच्छा के विरुद्ध प्रतीत हुआ। कुछ समय बाद उन्होंने महसूस किया कि युवा सैनिक विवाह के अभाव में अपनी शारीरिक इच्छा की पूर्ति गलत ढंग से कर रहे हैं। सैनिकों को गलत रास्ते पर जाने से रोकने के लिए पादरी वैलेन्टाइन ने रात्रि में चर्च खोलकर सैनिकों को विवाह करने के लिए प्रेरित किया। सम्राट को जब यह पता चला तो उसने पादरी वैलेन्टाइन को गिरफ्तार कर माफी मांगने के लिए कहा अन्यथा राजाज्ञा का उल्लघंन करने के लिए मृत्यु दण्ड देने की धमकी दी। सम्राट की धमकी के आगे संत वैलेन्टाइन नहीं झुके और उन्होंने प्रभु निर्मित समाज को बचाने के लिए मृत्यु दण्ड को स्वीकार कर लिया। संत वैलेन्टाइन की मृत्यु के बाद लोगों ने उनके त्याग एवं बलिदान को महसूस करते हुए प्रतिवर्ष 14 फरवरी को उनके ‘शहीद दिवस’ पर उनकी दिवंगत आत्मा की शान्ति के लिए प्रार्थनायें आयोजित करना प्रारम्भ कर दिया। इसलिए ऐसे महान संत के ‘शहीद दिवस’ पर खुशियां मनाकर उनकी भावनाओं का निरादर करना सही नहीं है। (4) वैलेन्टाइन डे को ‘आधुनिक’ तरीके से मनाना भावी पीढ़ी के प्रति अपराध:- ‘वैलेन्टाइन डे’ मनाने को तेजी से प्रोत्साहित करने के पीछे ‘वैलेन्टाइन डे’ कार्डो एवं महंगे उपहारों की ब्रिकी के लिए एक बड़ा बाजार विकसित करना एवं मंहगे होटलों में डिनर के आयोजनों की प्रवृत्तियों को बढ़ाकर अनैतिक ढंग से अधिक से अधिक लाभ कमाने वाली शक्तियां इसके पीछे सक्रिय हैं। विज्ञापन के आज के युग में वैलेन्टाइन बाजार को भुनाने का अच्छा साधन माना जाता है। मल्टीनेशनल कंपनियां अपने उत्पादों को बेचने के लिए अपना बाजार बढ़ाना चाहती हैं और इसके लिए उन्हें युवाओं से बेहतर ग्राहक कहीं नहीं मिल सकता। अतः ‘वैलेन्टाइन डे’ आधुनिक तरीकांे से मनाने को प्रोत्साहित करना भावी पीढ़ी एवं मानवता के प्रति अपराध है। अन्तिम विश्लेषण यह साफ संकेत देते हैं कि ‘वैलेन्टाइन डे’ के आधुनिक स्वरूप का भारतीय समाज एवं छात्रों में किसी प्रकार का स्वागत नहीं होना चाहिए क्योंकि यह मात्र सस्ती प्रेम भावनाओं को प्रदर्शित करने की छूट कम उम्र में छात्रों को देकर उनकी अनैतिक वृत्ति को बढ़ावा देता है। (5) परिवार, स्कूल एवं समाज को ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित करें:- हम संत वैलेन्टाइन के इन विचारों का पूरी तरह से समर्थन करते हैं कि विवाह के बिना किसी स्त्री-पुरूष में अनैतिक संबंध होने से समाज में नैतिक मूल्यों में गिरावट आ जाएगी और समाज ही भ्रष्ट हो जाएगा। इस समस्या के समाधान का एक मात्र उपाय है, बच्चों को बचपन से ही भौतिक, सामाजिक, मानवीय तथा आध्यात्मिक सभी प्रकार की संतुलित शिक्षा देकर उनका सर्वागीण विकास किया जाए। किसी भी बच्चे के लिए उसका परिवार, स्कूल तथा समाज ये तीन ऐसी पाठशालायें हैं जिनसे ही बालक अपने सम्पूर्ण जीवन को जीने की कला सीखता है। इसलिए यह जरूरी है कि परिवार, स्कूल तथा समाज को ईश्वरीय प्रकाश से प्रकाशित किया जाये। एक स्वच्छ व स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए हमारा कर्तव्य है कि हम विश्व के बच्चों की सुरक्षा व शांति के लिए आवाज उठायें और पूरे विश्व के बच्चों तक संत वैलेन्टाइन के सही विचारों को पहुँचायें जिससे प्रत्येक बालक के हृदय में ईश्वर के प्रति, अपने माता-पिता के प्रति, भाई-बहनों के प्रति और समाज के प्रति भी पवित्र प्रेम की भावना बनी रहे। (6) परिवार, विद्यालय तथा समाज से मिली शिक्षा ही मनुष्य के चरित्र का निर्माण करती हैः- किसी भी मनुष्य के सम्पूर्ण जीवन को तीन प्रकार के चरित्र निर्धारित करते हैं। पहला प्रभु प्रदत्त चरित्र, दूसरा माता-पिता के माध्यम से प्राप्त वांशिक चरित्र तथा तीसरा परिवार, स्कूल तथा समाज से मिले वातावरण से विकसित या अर्जित चरित्र। इसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण चरित्र तीसरा अर्थात् ‘अर्जित चरित्र’ होता है। बालक को जिस प्रकार की शिक्षा परिवार, विद्यालय तथा समाज से मिलती है वैसा ही उसका चरित्र निर्मित हो जाता है। इसलिए आज संसार में बढ़ते अमानवीय कृत्य जैसे हत्या, बलात्कार, चोरी, भ्रष्टाचार, अन्याय आदि शैतानी सभ्यता इन्ही तीनों क्लासरूमों से मिल रही उद्देश्यविहीन शिक्षा के कारण ही है। (7) ‘वैलेन्टाइन डे’ को ‘पारिवारिक एकता दिवस’ के रूप में मनाने की प्रतिज्ञा लें:- आइये, वैलेन्टाइन डे पर हम सभी लोग यह प्रतिज्ञा ले कि हम अपने मस्तिष्क से भेदभाव हटाकर सारी मानवजाति … Read more