बेगम हज़रत महल- एक निम्नवर्ग में जन्मी लड़की से बेगम हज़रत महल बनने तक की संघर्षमय गाथा

बेगम हज़रत महल- एक निम्नवर्ग में जन्मी लड़की से बेगम हज़रत महल बनने तक की संघर्षमय गाथा

  1857 का संग्राम याद आते ही लखनऊ यानी की अवध की बेगम हज़रत महल के योगदान को कौन भूल सकता है l  खासकर तब जब आजादी के अमृत महोत्सव मना रहा देश अपने देश पर जाँ निसार करने वाले वीरों को इतिहास के पीले पन्नों से निकाल कर फिर से उसे समकाल और आज … Read more

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तन्हाँ

जिस तरह से सबके अपनि खुशियाँ मनाने के तरीके अलग -अलग हैं उसी तरह सबके अपने दुःख से निकलने के तरीके अलग हो सकते हैं | पर समाज ये मानना नहीं चाहता | समाज चाहता है कि दुखी व्यक्ति २४ x ७ दुखी दिखे | कई बार वो दुःख से लड़कर निकलने की कोशिश करते … Read more

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आस्थाएं तर्क से तय नहीं होतीं

दुर्गा अष्टमी पर विशेष – आस्थाएं तर्क से तय नहीं होती              आज दुर्गा अष्टमी है | ममतामयी माँ दुर्गा शक्ति स्वरूप हैं | एक तरफ वो भक्तों पर दयालु हैं तो दूसरी तरफ आसुरी प्रवत्तियों का संहार करती हैं | वो जगत माता हैं | माँ ही अपने बच्चों … Read more

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जरूरी है की बचपन जीवित रहे न की बचपना

वंदना बाजपेयी हमारे जीवन का सबसे खूबसूरत हिस्सा  बचपन होता है | पर बचपन की खासियत जब तक समझ में आती है तब तक वो हथेली पर ओस की बूँद की तरह उड़ जाता है | जीवन की आपा धापी  मासूमियत को निगल लेती है | किशोरावस्था और नवयुवावस्था  में हमारा इस ओर ध्यान ही … Read more

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श्राद्ध पक्ष : उस पार जाने वालों के लिए श्रद्धा व्यक्त करने का समय

वंदना बाजपेयी   हिन्दुओं में पितृ पक्ष का बहुत महत्व है | हर साल भद्रपद शुक्लपक्ष पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के काल को श्राद्ध पक्ष कहा जाता है |  पितृ पक्ष के अंतिम दिन या श्राद्ध पक्ष की अमावस्या को  महालया  भी कहा जाता है | इसका बहुत महत्व है| ये दिन … Read more

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क्या सभी टीचर्स को चाइल्ड साइकॉलजी की समझ है ?

Teachers should have basic understanding of child psychology  वंदना बाजपेयी   शिक्षक दिवस -यानी  अपने टीचर के आभार व्यक्त करने का , उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने का | छोटे बड़े हर स्कूल कॉलेज में “टीचर्स डे “ पर कार्यक्रम का आयोजन होता है  | जिसमें बच्चे  कविता ,कहानी  नृत्य के माध्यम से टीचर्स के प्रति … Read more

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घर में बड़ों का रोल निभाते बच्चे

   चिंतन मंथन – घर में बड़ों को हर बात में अपनी बेबाक राय देते बच्चों की भूमिका कितनी सही कितनी गलत  घरों में बड़ों का रोल निभाते बच्चे   विकास की दौड़ती गाड़ी  के साथ हमारे रिश्तों के विकास में बड़ी उथल पुथल हुई है | एक तरफ बड़े ” दिल तो बच्चा है जी’ … Read more

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टफ टाइम : एम्पैथी रखना सबसे बेहतर सलाह है

किसी का दुःख समझने के लिए उस दुःख से होकर गुज़ारना पड़ता है – अज्ञात रामरती देवी कई दिन से बीमार थी | एक तो बुढापे की सौ तकलीफे ऊपर से अकेलापन | दर्द – तकलीफ बांटे तो किससे | डॉक्टर के यहाँ जाने से डर लगता , पता नहीं क्या बिमारी निकाल कर रख … Read more

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sarahah app : कितना खास कितना बकवास

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब फेसबुक पर sarahah एप लांच हुआ और देखते ही देखते कई लोगों ने डाउनलोड करना शुरू कर दिया | मुझे भी अपने कई सहेलियों की वाल पर sarahah एप दिखाई दिया और साथ ही यह मेसेज भी की यह है मेरा एक पता जिसपर आप मुझे कोई भी मेसेज … Read more

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संवेदनाओं का मीडियाकारण: नकारात्मकता से अपने व् अपने बच्चो के रिश्ते कैसे बचाएं ?

– अभी हाल में खबर आई की मुंबई की एक वृद्ध माँ का बेटा जब डेढ़ साल बाद आया तो उसे माँ का कंकाल मिला | खबर बहुत ह्रदय विदारक थी | जाहिर है की उसे पढ़ कर सबको दुःख हुआ होगा | फिर सोशल मीडिया पर ऐसी पोस्टों की बाढ़ सी आ गयी | … Read more

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