फिल्म पद्मावती से रानी पद्मावती तक बढ़ता विवाद
आज संजय लीला भंसाली के कारण रानी पद्मावती व् जौहर व्रत फिर से चर्चा में है | फिल्म पर बहसें जारी हैं | हालाँकि की जब तक फिल्म न देखे तब तक इस विषय में क्या कह सकते हैं ? ये भी सही है की कोई भी फिल्म बिलकुल इतिहास की तरह नहीं होती | थोड़ी बहुत रचनात्मक स्वतंत्रता होती ही है | जहाँ तक संजय लीला भंसाली का प्रश्न है उनकी फिल्में भव्य सेट अच्छे निर्देशन व् गीत संगीत , अभिनय के कारण काफी लोकप्रिय हुई हैं | परन्तु यह भी सच है की वह भारतीय ऐतिहासिक स्त्री चरित्रों को हमेशा से विदेशी चश्मे से देखते रहे | ऐसा उन्होंने अपनी कई फिल्मों में किया है | उम्मीद है इस बार उन्होंने न्याय किया होगा | आज इस लेख को लिखने का मुख्य मुद्दा सोशल मीडिया पर हो रही वह बहस है जिसमें फिल्म पद्मावती के स्थान पर अब रानी पद्मावती को तुलनात्मक रूप से कमतर साबित करने का प्रयास हो रहा है | रानी पद्मावती इतिहास के झरोखे से प्राप्त ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार संझेप मे रानी पद्मावती सिंघल कबीले के राजा गंधर्व और रानी चंपावती की बेटी थी | वो अद्वितीय सुंदरी थीं | कहते हैं की वो इतनी सुन्दर थीं की अगर पानी भी पीती तो उनकी गर्दन से गुज़रता हुआ दिखाई देता |पान खाने से उनका गला तक लाल हो जाता था | जब वो विवाह योग्य हुई तो उनका स्वयंवर रचाया गया | जिसे जीत कर चित्तौड़ के राजा रतन सिंह ने रानी पद्मावती से विवाह किया | और उन्हें ले कर अपने राज्य आ गए | यह १२ वी १३ वी शताब्दी का समय था | उस समय चित्तौड़ पर राजपूत राजा रतन सिंह का राज्य था | जो सिसोदिया वंश के थे | वे अपनी पत्नी पद्मावती से बेहद प्रेम करते थे | कहते हैं उनका एक दरबारी राघव चेतन अपने राजा के खिलाफ हो कर दिल्ली के सुलतान अल्लाउदीन खिलजी के पास गया | वहां जा कर उस ने रानी की सुदरता का वर्णन कुछ इस तरह से किया की सुलतान उसे पाने को बेचैन हो उठा |उसने चित्तौड़ पर चढ़ाई कर दी |राजा रतन सिंह ने किले का दरवाजा बंद करवा दिया | खिलजी की सेना बहुत बड़ी थी | कई दिन तक युद्ध चलता रहा | किले के अन्दर खाने पीने का सामान खत्म होने लगा | तब राजा रतन सिंह ने किले का दरवाजा खोल कर तब तक युद्ध करने का आदेश दिया जब तक शरीर में प्राण रहे | रानी पद्मावती जानती थी की की राजा रतन सिंह की सेना बहुत छोटी है | पराजय निश्चित है | राजपूतों को हरा कर सैनिक उसके साथ दुर्व्यवहार करेंगे | इसलिए उसने जौहर व्रत का आयोजन किया | जिसमें उसने व् किले की समस्त स्त्रियों ने अग्नि कुंड में कूदकर अपने प्राणों का बलिदान किया | जब खिलजी व् उसकी सेना रतन सिंह की सेना को परस्त कर के अन्दर आई तब उसे राख के अतिरिक्त कुछ नहीं मिला | रानी पद्मावती के ऐतिहासिक साक्ष्य रानी पद्मावती के बारे में लिखित ऐतिहासिक साक्ष्य मालिक मुहम्मद जायसी का पद्मावत नामक महा काव्य है | कर्नल टाड ने भी राजस्थान के इतिहास में रानी पद्मावती के बारे में वर्णन किया है | जो जायसी के माहाकव्य से मिलता जुलता है | जिसे उन्होंने जनश्रुतियों के आधार पर तैयार किया | इतिहासवेत्ता साक्ष्यों के आभाव में इसके अस्तित्व पर समय समय पर प्रश्न चिन्ह लगाते रहे हैं | परन्तु एक पराधीन देश में ऐतिहासिक साक्ष्यों का न मिल पाना कोई असंभव बात नहीं है | साक्ष्य नष्ट किये जा सकते हैं पर जनश्रुतियों के आधार पर एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंची सच्चाई नहीं | ये अलग बात है की जनश्रुति के आधार पर आगे बढ़ने के कारण कुछ जोड़ – घटाव हो सकता है | पर इससे न तो रानी पद्मावती के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगता है न ही उसके जौहर व्रत पर … जिसे स्त्री अस्मिता का प्रतीक बनने से कोई रोक नहीं पाया | रानी पद्मावती की सीता व् लक्ष्मी बाई से तुलना आश्चर्य है की फिल्म पद्मावती का पक्ष लेने की कोशिश में सोशल मीडिया व् वेबसाइट्स पर सीता पद्मावती और रानी लक्ष्मी बाई की तुलना करके रानी पद्मावती को कमतर साबित करने का बचकाना काम किया जा रहा है | जहाँ ये दलील दी जा रही है की सीता रावण के राज्य में अकेली होकर भी आत्महत्या नहीं करती है व् रानी लक्ष्मी बाई अकेली हो कर भी अंग्रेजों से लोहा लेती है तो रानी पद्मावती ने आत्महत्या (जौहर ) कर के ऐसा कौन सा आदर्श स्थापित कर दिया जो वह भारतीय स्त्री अस्मिता का प्रतीक बन गयी | हालांकि मैं दो विभिन्न काल खण्डों की स्त्रियों की तुलना के पक्ष में नहीं हूँ | फिर भी यहाँ स्पष्ट करना चाहती हूँ | इन तीनों की स्थिति अलग – अलग थी | जहाँ रावण ने सीता की इच्छा के बिना उन्हें हाथ न लगाने का संकल्प किया था | वो केवल उनका मनोबल तोडना चाहता था | जिसे सीता ने हर विपरीत परिस्थिति में टूटने नहीं दिया | कहीं न कहीं उन्हें विश्वास था की राम उन्हें बचाने अवश्य आयेंगे | वो राम को रावण से युद्ध में परस्त होते हुए देखना चाहती थी | यही इच्छा उनकी शक्ति थी | रानी लक्ष्मी बाई का युद्ध अंग्रेजों के खिलाफ था | अंग्रेज उनका राज्य लेना चाहते थे उन्हें नहीं | इसलिए उन्होंने अंतिम सांस तक युद्ध करने का निर्णय लिया | रानी पद्मावती जानती थी की राजा रतनसिंह युद्ध में परस्त हो जायेंगे | वो भी अंतिम सांस तक युद्ध कर के वीरगति को प्राप्त हो सकती थी | लेकिन अगर वो वीरगति को प्राप्त न होकर अल्लाउदीन खिलजी की सेना द्वारा बंदी बना ली जाती तो ? ये जौहर व्रत अपनी अस्मिता को रक्षा करने का प्रयास था | आत्महत्या नहीं है रानी पद्मावती का जौहर व्रत कई तरह से रानी पद्मावती के जौहर व्रत को आत्महत्या सिद्ध किया जा रहा है | जो स्त्री अस्मिता की प्रतीक रानी पद्मावती व् चित्तौड़ की अन्य महिलाओं को गहराई से न समझ पाने के कारण है … Read more