प्रेरणा में छिपी जलन

जो लोग आप का उत्साह बढाते हैं | आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते दिखते  हैं | क्या वो आप से जल सकते हैं ? यकीनन आपका उत्तर ना ही होगा | लेकिन ऐसा हो भी सकता है , कई बार वर्षों बाद जब आपको पता चलता है कि अमुक व्यक्ति आपसे जलता  रहा है और जिसके प्रेरणादायक शब्दों को सुन कर आप  उसे अपना हितैषी समझ रहे थे, तो सच्चाई सामने आने पर आप के पैरों तले जमीन खिसकना स्वाभाविक है | आखिर कैसे पहचाने उन लोगों को जिनकी प्रेरणा में जलन छिपी हो …. How to know if someone is secretly jealous of you  जरा इस उदाहरण पर ध्यान दीजिये …ये बातचीत है मिश्रा जी की और मिताली की हाँ तो क्या रिजल्ट रहा ?पड़ोस के मिश्रा जी ने पान चबाते हुए पूछा बड़ी ख़ुशी के साथ मिताली ने  रिजल्ट   उनके हाथ में पकड़ा दिया | मिताली को मिश्रा अंकल बहुत अच्छे लगते थे | वो उसकी पढाई -लिखाई में इतनी रूचि जो लेते थे | उनके शब्दों से उसे बहुत प्रेरणा मिलती थी |  रिजल्ट लेते ही उन्होंने मुँह थोड़ा बिचकाकर पान का रस अंदर की ओर गुटकते  हुए कहा ,  ” अरेरेरे ! क्लास में थर्ड , भई ये तो अच्छा नहीं लगा , फर्स्ट आओ  तब कोई बात होगी , हमें तो तभी ख़ुशी होगी , अभी और मेहनत करो और … ————————— ठीक है , ठीक है  , फर्स्ट तो आई हो पर ये गणित /हिंदी /विज्ञान में नंबर कुछ कम है , भी जब गणित में सौ में सौ नंबर आयेंगे तो ख़ुशी होगी |  ——————— ये स्कूल तो खासा नामी नहीं है , अरे फलाना स्कूल में पढ़ातीं तब कुछ ख़ुशी की बात होती | कोशिश करती रहो …करती रहो | ————————- अच्छा -अच्छा लिखने लगी हो ?( यहाँ आप किसी भी कला , प्रतिभा को ले सकते हैं )  कहाँ छप कहाँ रही हो ? ओह , ठीक है अच्छी बात है , तुम्हें बड़ी लेखिका , तब मानेगे जब नेशनल पत्रिकाओं में छ्पोगी …फिर शिकायत नहीं रहेगी कि हमने तारीफ़ नहीं करी |  मिताली क्लास में फर्स्ट भी आ गयी , गणित में १०० में १०० नंबर नंबर भी , अच्छे स्कूल में पढ़ाने  लगी और बड़ी पत्रिकाओं में छपने भी लगी |  लेकिन मिश्रा जी खुश नहीं हुए …इस बार उन्होंने ख़ुशी को आगे सरकाया भी नहीं , पर उनके निराश चेहरे ने उनके अतीत के सभी वाक्यों की पोल खोल दी | अब बारी मिताली के चौंकने की थी |  क्या आप ने देखे हैं ऐसे लोग ? पहचानिए प्रेरणादायक शब्दों के पीछे छिपी जलन की भावना को  जब बच्चा पहला कदम रखता है तो माता -पिता की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहता | वो हर कदम पर उसे प्रोत्साहित करते हैं ,सँभालते हैं , गिरने पर पैरों की मालिश कर उसे फिर से दुरुस्त करते हैं |  जब बच्चा चलने लगता है , दौड़ने लगता है तो उसे इस की जरूरत ही नहीं रहती | हमारे आस -पास हमारे अपनों में बहुत से ऐसे लोग होते हैं , जो हमारे किसी क्षेत्र में पहले कदम पर ताली नहीं बजाते , गिरने पर सँभालते भी नहीं , हाँ ये जरूर कहते हैं कि , “ठीक है कोशिश कर रही/रहे हो अच्छा है लेकिन जब ‘वो’ …प्राप्त करोगी /करोगे तब हमें ख़ुशी होगी | अक्सर हम इस बात को मोटिवेशनल समझने की व्  उन्हें अपना हितैषी समझने की  भूल कर जाते हैं | लेकिन जब हम गिरते, लडखडाते  संभलते , तथाकथित ”वो” स्थान  प्राप्त कर लेते हैं , तब असली चेहरा सामने आता …क्योंकि तब भी वो खुश नहीं होते | मोटिवेशन और इर्ष्या में अंतर अक्सर लोग नहीं समझ पाते हैं | जो व्यक्ति वास्तव में आप को प्रेरणा देना चाहता है वो हर कदम पर आपके साथ होगा | वो पहले कदम के बाद दूसरा कदम रखने की जुगत बतायेगा | लेकिन जो व्यक्ति इर्ष्या करता है वो पहले कदम के बाद ये कह कर तारीफ़ नहीं करेगा ….वो देखों वो है चाँद …जो वहां तक नहीं गया , समझो वो चला ही नहीं | जब व्यक्ति पहले ही कदम पर चाँद को देखता है तो उसका मनोबल टूट जाता है | अरे इतनी लम्बी यात्रा कैसे होगी , वो चलने से डर  जाता है और दूसरा कदम ही नहीं रख पाता | दरअसल पहले कदम पर ताली बजा कर हौसला अफजाई की जरूरत होती है ….चलने की अधिकतम सीमा बताने की नहीं | अगर आप के आस -पास के कोई व्यक्ति ऐसा कर रहे हैं तो उनके मन में आप के लिए प्रशंसा का भाव कम इर्ष्या का भाव ज्यादा है | वो आपकी छोटी से छोटी गलतियों पर ध्यान दिलाएंगे अगर आप सफल हैं और अपने क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं तो ऐसी लोग आप की छोटी से छोटी गलती पर  ध्यान दिलाएंगे | मान लीजिये अगर आप  थोड़ा  सा असफल होते हैं तो उनका पहला शब्द होगा , ” देखा मैंने तो कहा था |” ऐसा कह के वो अपने को थोड़ा सा उंचा महसूस करते हैं | आपका उतरा चहेरा उनकी तसल्ली होती है | यहाँ पर कुछ अन्य लक्ष्ण दे रही हूँ ताकि आप अपने करीबी लोगों की छुपी हुई जलन को पहचान सकें  वो आपको नज़र अंदाज  करेंगे                          जब आप सफल होंगे तब उनका व्यवहार आप के प्रति बदल जाएगा | वो आपके लिए कभी समय नहीं निकालेंगे | जब भी आप उनके मिलने बात करने की इच्छा रखेंगे वो मैं व्यस्त हूँ कह कर बात खत्म कर देंगे | दोस्तों की महफ़िल में वो आप को नज़र अंदाज कर देंगे | आप देखेंगे कि जिस समय आप की उपस्थिति में वो आप को नज़रअंदाज कर रहे हैं …ठीक उसी समय वो किसी अन्य मित्र या व्यक्ति के आने पर अपना पूरसमी देकर खुल कर बात करेंगे | उल्टा चक्र                      दुनिया का नियम है कि  जब आप सफल हैं तो लोग आपस जुड़ते हैं और असफलता मिलते ही दूर होने लगते हैं | कहा भी … Read more

असफलता से सफलता की ओर

‘           मुंशी प्रेमचंद्र जी लिखते हैं कि सफलता में अतीव सजीवता होती है और विफलता में अत्यंत निर्जीवता | कौन है जो सफल नहीं होना चाहता परन्तु हर कोई सफल नहीं हो पाता , शायद कुछ कमी रह जाती है प्रयास में , जिस कारण सफलता नहीं मिल पाती |अधिकतर लोग असफलता को सहन नहीं कर पाते और निराशा में डूब जाते हैं , और प्रयास करना ही छोड़ देते हैं | यही समय आत्ममुल्यांकन का भी होता है | जो गहरे से असफलता के कारणों पर विचार करके दुबारा प्रयास करता है , वो अवश्य सफल होता है |  आपको ऐसे अनेकों सफल व्यक्तियों के उदाहरण मिल जायेंगे जिन्होंने सफलता से पहले अनेकों असफलताओं का सामना किया है | असफलता की ईटों से अपनी सफलता की नींव रखें                                       सफलता और असफलता एक ही सिक्के के दो पहलु हैं जो जिन्होंने प्रयास नहीं छोड़ा उन्होंने ढेरों असफलताओं का सामना करके भी सफलता पायी | जिन्होंने प्रयास ही नहीं किया वो असफल लोगों से भी ज्यादा असफल हैं क्योंकि उन्होंने कुछ नया सीखा भी नहीं जो प्रयास के दौरान सीख सकते थे | अगर आप की हिम्मत असफलता के कारण टूट रही है तो याद रखे  इन्हीं असफलता की ईटों से अपनी सफलता की नींव रखनी है |  (1) परीक्षा का रिजल्ट बालक के सम्पूर्ण जीवन का पैमाना नहीं है              स्कूल में बालक की एक वर्ष में क्या प्रगति हुई? इस बात का उल्लेख उसके परीक्षा के रिजल्ट में होता है परन्तु यह रिजल्ट इस बात की कतई गारंटी नहीं देता है कि बालक जीवन में सफल होगा या असफल? हमारा मानना है कि बालक में केवल भौतिक ज्ञान की वृद्धि हो जाये तथा उसका सामाजिक तथा आध्यात्मिक ज्ञान न्यून हो जाये यह संतुलित स्थिति नहीं है। जीवन में इसी असंतुलन के कारण आगे चलकर बालक का सम्पूर्ण जीवन असफल हो सकता है। पूरे वर्ष मेहनत तथा मनोयोग से पढ़ाई करके स्कूल का रिजल्ट तो अच्छा बनाया जा सकता है परन्तु सफल जीवन तो भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीनों शिक्षाओं के संतुलन का योग है। (2) परीक्षा का रिजल्ट तो केवल विभिन्न विषयों के भौतिक ज्ञान का आईना मात्रः-             आज स्कूल वाले बच्चों की पढ़ाई की तैयारी इस प्रकार से कराते हैं ताकि बालक अच्छे अंकों से परीक्षा में उत्तीर्ण हो जायें। माता-पिता का भी पूरा ध्यान अपने प्रिय बालक के अंकों की ओर ही होता है। समाज के लोग भी मात्र यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि बालक ने सम्बन्धित विषयों में कितने अंक प्राप्त किये हैं। किसी का भी इस बात की ओर ध्यान नहीं जा रहा है कि बालक को सामाजिक एवं आध्यात्मिक गुणों को बाल्यावस्था से ही विकसित करना भी उतना ही आवश्यक है जितना उसको पुस्तकीय ज्ञान देना। मुझे करना है इसलिए मैं कर सकता हूँ। (3) कामयाब व्यक्ति भी अपने जीवन में कभी नाकामयाब हुए थे                           अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन 32 बार छोटे-बड़े चुनाव जीतने में नाकामयाब रहे थे। वह 33 वीं बार के प्रयास में कामयाब हुए और राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद पर असीन हुए। वह पूरे विश्व के सबसे लोकप्रिय अमरीका के राष्ट्रपति बने। इंग्लैण्ड के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल अपने स्कूली दिनों में एक बार भी परीक्षा में सफल नहीं रहे। वह परीक्षा में बार-बार फेल होने से कभी भी निराश नहीं हुए और बाद में अपने आत्मविश्वास के बल पर वह इंग्लैण्ड के लोकप्रिय प्रधानमंत्री बने। उन्हें साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार भी प्राप्त हुआ। किसी ने सही ही कहा है कि असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मन से नहीं किया गया। (4) मन के हारे हार है मन की जीते जीत :-             एडिसन बल्ब का आविष्कार करने के दौरान 10,000 बार असफल हुए थे। इसके बावजूद भी एडिसन ने आशा नहीं छोड़ी उन्होंने एक और कोशिश की और इस बार वह बल्ब का आविष्कार करने में सफल हुए। महात्मा गांधी अपनी स्कूली पढ़ाई के दौरान थर्ड डिवीजन में हाई स्कूल परीक्षा पास हुए थे। महात्मा गांधी अपनी मेहनत, लगन एवं ईश्वर पर अटूट विश्वास के बलबूते जीवन में एक कामयाब व्यक्ति बने और अपने जनहित के कार्यो के कारण सदा-सदा के लिए अमर हो गये। लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। (5) असफलता किसी काम को फिर से शुरू करने का मौका देती हैं                 हमेशा बड़ा लक्ष्य लेकर चले और अच्छी बातों का स्मरण करे। सब अच्छा ही होगा। ज्यादातर लोग बहुत सीमित दायरों में रहकर ही सोचते हैं और ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाते। जहाँ तक हो सके अपनी रूचि के अनुसार ही काम चुने क्योंकि ऐसा करने से हम उसमें अपना सौ प्रतिशत समय दे सकते हैं। हमें जीवन में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं जो घर और बाहर दोनों स्तर का हो सकता हैं। ऐसे में हमें चाहिए की हम अपना संतुलन बना के रखे। यही हमारी सफलता का आधार हैं। असफलता किसी काम को फिर से शुरू करने का मौका देती हैं। उसी काम को और भी बेहतर तरीके से किया जाये इसलिए सफलता असफलता की चिंता किये बिना पूरे मन से काम करे। (6) नए विचारों और योजनाओं से डरे नहीं              कुछ लोग लक्ष्य तो तय कर लेते हैं लेकिन उसके अनुसार काम नहीं करते। वास्तव में सफलता पाने के लिए अपने लक्ष्य के अनुसार मेहनत करना चाहिए। आपके जीवन में कई ऐसे लोग आएँगे जिनका व्यवहार आपसे विपरीत होगा। इसके लिए जरूरी हैं की आप उससे दूरी बनाकर रखे और विवादों से सदैव बचने की कोशिश करे। जब भी हम कोई काम करते हैं तो हम अपने आप से बात अवश्य करते हैं। इस समय हमें हमेशा अपनी आत्मा की आवाज सुनकर ही अपने निर्णय पर पहुँचना चाहिए। हमारा मानना है कि नए विचार हमेशा नयी क्रांति को जन्म देते हैं इसलिए विचारों के प्रवाह को रोके नहीं बल्कि मन में अच्छे और नए विचार लाये ताकि योजनाएँ भी उसी के अनुरूप बने। हमारे मन में यह भरोसा जरूर होना … Read more

5 मिनट रूल – दूर करें काम को टालने की आदत

               राहुल के हाथ में निधि की शादी का कार्ड था और उसकी आँखों में आँसू | राहुल और निधि एक ही कॉलेज में पढ़े थे | कब उसे निधि भाने लगी, कि वो उसे जीवनसाथी बनाने के सपने देखने लगा उसे पता ही नहीं चला| निधि एक अंतर्मुखी स्वयं में सिमिटी रहने वाली लड़की थी| फिर भी उसकी बातों से राहुल को अंदाजा था कि निधि भी उसे पसंद करती हैं | पर वो उससे कह नहीं सका | वो हर रोज सोंचता कि वो निधि से मिलेगा तब कह देगा , पर हर रोज आने वाले कल पर बात टाल देता और नतीजा निधि की शादी किसी और से हो रही है | अब जरा इन उदाहरणों पर भी गौर करें … कल से पक्का अपना स्टडी टाइम टेबल फॉलो करूँगा | आज तो नहीं हो पाया पर कल से जरूर वाक पर जाना है , आखिर सेहत का ध्यान  तो रखने ही चाहिए| रोज देर से उठने से सुबह की भागमभाग बहुत परेशान  करती है , तय कर लिया है मैंने कल से जरूर 5 बजे उठूँगा ताकि हर काम समय पर हो | आज पार्टी है , जानता हूँ डॉक्टर ने मना किया है पर आज और समोसा खा लेता हूँ , एक दिन में कुछ हर्ज थोड़ी न हो जाएगा , कल से तय कर लिया है डॉक्टर के डाएट  प्लान पर ही चलूँगा|  कल से थोडा सा वक्त परिवार और बच्चो के लिए भी निकालूँगा , हर समय बिजनिस ही ठीक नहीं |                               पढाई हो कोई जरूरी काम हो , किसी से रिश्ते बिगड़े रिश्ते बनाने हो , कोई बुरी आदत छोडनी हो या प्रेम-मुहब्बत का चक्कर हो , अगर आप की काम को टालने( procrastination) की आदत है तो प्रतिभा क्षमता होते हुए भी अंत में आप के हाथ में कुछ नहीं लगता |     मेरी सलाह है जो आज कर सकते हो उसे कल पर मत छोड़ो , टालने की आदत समय का चोर है -चार्ल्स डिकेंस     टाल-मटोल की आदत से कैसे बचें  –How to overcome Procrastination                                                                   भले ही हम  बचपन से “TOMORROW NEVER COMES” पढ़ते आये हों | पर आँकड़े कहते हैं कि कामों को टालने की आदत 95% लोंगों  होती है | ये आदत उनमें नाम मात्र  या ज्यादा हो सकती है, पर होती जरूर है| अब अंदाजा लागाइये की सिर्फ 5 % लोग ही successful क्यों होते हैं ?जाहिर है उनमें काम को टालने की आदत नहीं होती |  Laziness और Procrastination में अंतर है                                                          अक्सर लोग आलसी या टाल-मटोल करने वालों को तराजू के एक ही पलड़े में रखते हैं | ये सही नहीं है | आलसी व्यक्ति में काम करने की इच्छा ही नहीं होती जबकि टाल-मटोल करने वाले की उस काम को करने की बहुत इच्छा होती है, फिर भी वो नहीं करता| वो जानता है की उसके लिए ये काम टॉप प्रायोरिटी का है पर वो उसे न करके कम प्रायोरिटी वाले कामों में उलझा रहता है |  आखिर क्यों करते हैं हम काम में टाल-मटोल                                           जरूरी काम है ये जानते हुए भी उस के प्रति टाल -मटोल करने के पीछे कई कारण होते हैं |  1) असफलता का भय –लोगों को लगता है कि अगर सफल नहीं हुए तो , खुद को उस बुरी वाली फीलिंग से बचाने के लिए लोग काम को टालते हैं |  2)अपनी कम्फर्ट ज़ोन छोड़ने में असुविधा – एक ढर्रे  में जीते हुए उससे अलग हट कर कुछ भी करने से हम बचना चाहते हैं|  3) सफलता का भय – आश्चर्य है लेकिन असफलता की तरह सफलता का भी भय होता है , लोग जानते हैं कि वो काम करने के बाद वो सफल हो जायेंगे,लेकिन उन्हें डर लगता है की क्या वो सफलता संभाल पायेंगे | सफलता बहुत डिमांडिंग होती है, और आपका पूरा रूटीन बदल देती है| 4) स्ट्रेस से बचना – किसी भी ऐसी काम को जिसे हम टाल रहे हैं उसे करने में स्ट्रेस होता है, हम उस स्ट्रेस से बचना चाहते हैं| मान लीजिये आपके किसी रिश्तेदार से संबंध खराब चल रहे हैं, आप उससे फोन पर बात करना चाहते हैं परन्तु आप ये सोंच कर नहीं करते क्योंकि आपको लगता है कि वो न जाने क्या बुरा बोल दे,  स्ट्रेस और न बढ़ जाए, बात और बिगड़ जाए |  5) प्लानिंग सही नहीं – पहले भी हमने Atootbandhann.com पर ” अपने दिन की प्लानिंग कैसे करें एक लेख प्रकाशित किया था|  दरसल काम की टाल-मटोल का कारण सही प्लानिंग न होना होता है | जैसे राकेश जी यही सोंचते रहे की बिजनिस और परिवार में संतुलन बना कर रखेंगे पर २० साल तक कर नहीं पाए , बच्चे बड़े हो गए , अब उन्हें पिता के साथ उतना वक्त बिताने की जरूरत नहीं रही |  अगर वो प्लानिंग सही तरीके से करते तो  वो बच्चों के साथ वक्त बिता पाते| 6) बोरिंग काम –आप समझते हैं कि वो काम जरूरी है पर आपको बोरिंग लगता है | कुछ बातें जो काम को टालने के बारे में समझिये                        अगर आपको भी टाल–मटोल करने की आदत है और आप उसे छोड़ना चाहते हैं तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा ..वो कहते हैं ना एक अच्छी शुरुआत ही अच्छे अंजाम तक पहुंचती है | 1 ) स्वीकार करिए– स्वीकार करिए कि आपको काम को टालने की आदत है | जब आप स्वीकार करेंगे तभी आप अगला स्टेप ले आयेंगे जो उसे ठीक करने की दिशा में होगा | 2)रियलिस्टिक बनिए – अगर आप को सुबह देर से उठने की आदत है और आप पढाई या वाक् पर जाने का सुबह … Read more

क्या आप जानते हैं सफलता के इको के बारे में ?

ओमकार मणि त्रिपाठी  ( पूर्व प्रकाशित )  मैं समुद्र के किनारे बैठा हुआ था  | लहरे आ रही हैं जा रही थीं  | बड़ा ही मनोरम दृश्य था  | पास में कुछ बच्चे खेल रहे थे  | एक बच्चे के हाथ से नारियल छूट कर गिर गया  | लहरें उसे दूर ले गयीं  | बच्चा रोने लगा  | तभी लहरे पलट कर आयीं , शायद बच्चे का नायियल वापस करने , वो नारियल वापस कर फिर अपनी राह  लौट गयीं  | माँ बच्चे को गोद में उठा कर बोली , “ देखो तुमने समुद्र को नारियल दिया था तो उसने भी तुम्हें नारियल दिया | रोया न करो , अपनी चीज बांटोगे तो दूसरा भी अपनी चीज देगा |   ऐसे ही एक कहानी मुझे माँ बचपन में अक्सर सुनाया करती थीं | कहानी इस प्रकार है ….                         एक  माँ, अपने नन्हें पुत्र की साथ पर्वत की चढ़ाई कर रही थी, अचानक पुत्र का पैर फिसल गया और वो गिर पड़ा। चोट लगते ही वो जोर से चिल्लाया- आह… ह.ह.ह.ह…..माँ.…।  पुत्र चौंक पड़ा क्योंकि पहाड़ से ठीक वैसी ही आवाज लौटकर आई। अचम्भा से उसने प्रश्न किया- कौन हो तुम? पहाड़ों से फिर से आवाज आई- कौन हो तुम? पुत्र चिल्लाया- मैं तुम्हारा मित्र हूँ! आवाज आई- मैं तुम्हारा मित्र हूँ! किसी को सामने न पाते हुए पुत्र गुस्से से चिल्लाया- तुम डरपोंक हो! आवाज लौटी- तुम डरपोंक हो! पुत्र आश्चर्य में पड़ गया, उसने अपनी माँ से पूछा- ये क्या हो रहा है? वो जोर से चिल्लाई- तुम एक चैम्पियन हो, और एक अच्छे बेटे! पहाड़ों से आवाज लौटी- तुम एक चैम्पियन हो, और एक अच्छे बेटे! उन्होंने दोबारा चिल्लाया- हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं। आवाज लौटी- हम तुमसे बहुत प्यार करते हैं। बच्चा ने दोबारा वही पुछा- ये क्या हो रहा है? तभी माँ ने उसे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाते  हुए कहा- बेटा, आम शब्दों में लोग इसे इको कहते हैं लेकिन असल में यही जिंदगी है।  जिंदगी में आपको जो कुछ भी मिलता है, वो आपका ही कहा या फिर किया हुआ होता है।  जिंदगी तो सिर्फ हमारे कार्यों का आईना होती है। यदि हमें अपनी टीम से श्रेष्ठता की उम्मीद रखना है, तो हमें खुद में श्रेष्ठता लाना होगा। यदि हम दूसरों से प्यार की उम्मीद करते हैं, तो हमें दूसरों से दिल खोलकर प्यार करना होगा।  आखिर में, जिंदगी हमें हर वो चीज लौटाती है, जो हमने दिया है।,  ऐसा ही एक उदाहरण और है | वो उदाहरण एक खेल का है | उस खेल का नाम है बुमरेग | ये एक ऐसा खेल है जिसमें हम बुमेरैंग को जितनी तेजी से फेंकते हैं | यह उतनी ही तेजी से हमारे पास पलट कर आता है | अगर विज्ञानं की भाषा में कहें तो यह न्यूटन का थर्ड लॉ फॉलो करती है वही क्रिया प्रतिक्रिया का | क्या यही हमारी जिंदगी भी नहीं है ?    गौर से सोंचिये ये तीनों उदाहरण यही बताते हैं की हम जो भी शब्द  दूसरों के लिए प्रयोग  करते हैं, वो एकदिन घूमकर हमारे पास आता ही है। हम जो भी इस दुनिया को देते हैं, एक दिन वह कई गुना होकर हमारे पास लौट आता है।        समुद्र हो , पहाड़ हो , नदी हो या प्रकृति का कोई अन्य हिस्सा , सब के सब मौन होते हुए भी हमें बहुत कुछ समझाते हैं |  इसी को हमारे पूर्वजों ने बहुत पहले ही प्रकृति से समझ कर एक सूत्र वाक्य में पिरो दिया था “ जैसी करनी वैसी भरनी “ |  जो दोगे वही मिलेगा |  जीवन का सबसे बड़ा सिद्धांत यही है, कि आप जो बोयेंगे, एकदिन वही आपको काटना पड़ेगा।  जो भी चीजें आप अपने लिए सबसे ज्यादा चाहते हैं, उसे सबसे ज्यादा बाँटिये। यदि आप दूसरों से सम्मान पाना चाहते हैं, तो आपको दिल खोलकर दूसरों का सम्मान करना होगा।  लेकिन यदि आप दूसरों का तिरस्कार करेंगे तो बदले में आपको भी वही मिलेगा।यदि आप चाहते हैं कि मुश्किल परिस्थितियों में दूसरे आपका साथ दें, तो आप उनकी मुश्किलों में उनके साथ खड़े रहिये। यदि आप प्रशंसा करेंगे, तो वही आपको मिलेगा।  यही तो जीने का नियम है,  हमारे पूर्वज धर्मिक संस्कार के रूप में हमें इसे मानना सिखा भी गए हैं | तभी तो हम  अन्न  प्राप्ति कि इच्छा  के लिए अन्न  दान , धन प्राप्ति कि इच्छा   के लिए अर्थ दान करते हैं |   पर जब बात सफलता कि आती है तो हम यह कहने से नहीं  चूकते कि आज कि अआज़ की गला काट प्रतिस्पर्धा के युग में किसी कि नीचे गिराए बिना आप ऊपर चढ़ नहीं सकते | युद्ध , प्रेम और सफलता के मार्ग में सब जायज है का नारा लागाते हुए हम दूसरे कि सफलता को देख कर मन में यह भाव पाल लेते हैं की अगर वह सफल है तो मैं सफल नहीं हो सकता | यही से इर्ष्या कि भावना पनपने लगती है जो अनेकों नकारात्मक विचारों का मूल है |                           डेल  कार्नेगी के अनुसार,  “जीतने का सबसे सरल रास्ता है कि आप दूसरों को उनकी जीत में मदद करें।यदि आप जीतना चाहते हैं, तो दूसरों की सफलता के हितैषी बनिए। जो आप देंगे वो कई गुना लौटकर आपके पास आएगा।”                   यह अलिखित नियम है कि अगर हम किसी कि  सफलता के बारे में नकारात्मक विचार रखेंगे तो सदा असफल ही होएंगे | इसका कारण यह भी है कि जब आप किसी सफल व्यक्ति से ईर्ष्या करते हैं तो आप का ध्यान  अपने काम में नहीं लगता बल्कि दूसरे को नीचा दिखाने  में लगा रहता है | सफलता तभी संभव है जब हम किसी काम में बिना आगा पीछा सोचे पूरी तरह से डूब जाए | ऐसा वही लोग कर पाते हैं जिन्हें अपने काम से प्यार होता है | इस प्यार का प्रतिशत जितना ज्यादा होता है व्यक्ति उतना ही सफल होता है | क्योंकि हम जिससे प्यार करते हैं हर हाल में उसकी  भलाई देखते हैं |  मान लीजिये जब आप चित्रकारी या लेखन से वास्तव में प्यार करतें है तो आप किसी दूसरे का चित्र या लेख देख पढ़ कर प्रसन्न होने कि वाह कितना अच्छा  काम किया जा रहा है इस क्षेत्र में | आप उसकी बारीकियों पर गौर कर उसे सराहेंगे | यह सराहना आप को और अच्छा काम करने कि प्रेरणा देगी |आप अपने क्षेत्र में … Read more