अब तो बेलि फैल गई- जीवन के पछतावे को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की कथा

अब तो बेलि फैल गई- जीवन के पछतावे को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की कथा

  जिन दरवाज़ों को खुला होना चाहिए था स्वागत के लिए, जिन खिड़कियों से आती रहनी चाहिए थी ताज़गी भरी बयार, उनके बंद होने पर जीवन में कितनी घुटन और बासीपन भर जाता है इसका अनुमान सिर्फ वही लगा सकते हैं जिन्होंने अपने आसपास ऐसा देखा, सुना या महसूस किया हो। रिक्तता सदैव ही स्वयं … Read more

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