सोहम या सोऽहं ध्यान साधना-विधि व् लाभ
आज के तनाव युक्त जीवन में हम बहुत कम आयु में ही तमाम मनोशारीरिक रोगों का शिकार हो रहे हैं | एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ तनाव , जीवनशैली में बदलाव आदि इसके कारण हैं | ऐसे में जरूरी है कि शुरू से ही इस ओर ध्यान दिया जाए | ध्यान या मेडिटेशन के द्वारा हम अपने मनोभावों को नियंत्रित कर सकते हैं व् तनाव रहित बेहतर जिन्दगी जी सकते हैं | सोहम या सोsहं साधना ध्यान की एक ऐसी ही विधि है | सोहम या सोऽहं ध्यान साधना जब हम प्राण शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो हमारा सबसे पहले ध्यान साँसों पर जाता है | सांस अन्दर लेने और बाहर निकालने की प्रक्रिया ही जीवन है | सांस लेना छोड़ते ही व्यक्ति मृत हो जाता है | जीवन जीने के लिए साँसों का बहुत महत्व है और इन्हीं साँसों का इस्तेमाल हम सोहम या सोऽहं ध्यान साधना में करते हैं | सबसे पहले तो हमें ये समझना होगा कि ध्यान का अर्थ है अपने को या अपनी असीमित उर्जा को पहचानना | जिस तरह से मानुष का बच्चा मनुष्य , घोड़े का बच्चा घोडा , गाय का बच्चा गाय ही होता है उसी तरह से परमात्मा जिसे हम परमपिता भी कहते हैं की संतान हमारी आत्मा भी बिलकुल उन्हीं की तरह है यानि परमात्मा की तरह ही हमारी आत्मा भी सर्वशक्तिमान है पर हम उसे पहचान नहीं पाते हैं क्योंकि हम अपनी शारीरिक पहचान में खोये रहते हैं | ध्यान के द्वारा हम अपनी असली पहचान को जान पाते हैं | हम जान पाते हैं कि हम सब अमर व् असीमित उर्जा स्वरुप परमात्मा हैं …सोऽहं जैसा वो वैसे ही हम |अगर विज्ञानं की भाषा में कहें तो ये कुछ breathing techniques हैं , जिसके द्वारा हम अपनी साँसों को नियंत्रित करते हैं | कैसे करते हैं सोहम या सोऽहं ध्यान साधना सोहम या सोऽहं ध्यान साधना में अपनी साँसों पर ध्यान देना है | प्रकृति में हर चीज में एक ध्वनि है चाहें वो हमें सुनाई दे या ना दे | एक छोटे से इलेक्ट्रान और भूकंप की ध्वनि को भले ही हम ना सुन पाए पर हम सब जानते हैं कि उसका अस्तित्व है | कहते हैं कि ॐ एक ऐसे ध्वनि है जिस पर पूरा ब्रह्माण्ड कम्पन कर रहा है , इसे अंतर्नाद भी कहते हैं | हमारी सासों में भी एक ध्वनि है जो उसी ब्रह्मांडीय ध्वनि का एक रूप है | जब हम अपनी साँसों पर ध्यान केन्द्रित करते हैं तो हमें महसूस होता है कि हम सां लेते समय सो अ अ अ अ की धवनि होती है अ अ अ की ध्वनि जब वायु का आदान प्रदान हमारे फेफड़े के कोशों के बीच में हो रहा हो तब होता है | वायु के निकलते समय हं कि ध्वनि होती है | जैसे जैसे ध्यान गहरा होता जाता है ये साफ़ -साफ़ सुनाई देने लगती है | सोहम या सोऽहं ध्यान साधना की विधि वैसे तो आप इसे किसी भी समय कर सकते हैं पर सूर्योदय का समय सबसे अच्छा रहता है .. १ ) सूर्योदय के समय किसी खुले स्थान पर बैठ जाएँ |अगर पद्मासन में नहीं बैठ पा रहे हैं तो कुर्सी पर बैठ जाएँ और पैरों से क्रॉस बनाएं , हाथों की उँगलियों को आपस में फंसा कर रखें | सुनिश्चित करें की आप एक आरामदायक अवस्था में बैठे हैं और आपका सारा शरीर मन , दिमाग सुकून में है , तभी आप् साँसों पर ध्यान केन्द्रित कर पाएंगे | २) अपनी रीढ़ की हड्डी सीढ़ी रखें | इससे पेल्विस, फेफड़े और सर एक सीढ़ी रेखा में आ जाते हैं और साँस निर्विघ्न व् दिमाग ज्यादा चेतन और रिलैक्स अवस्था में रहता है | 3) सांस अंदर लें और सो s s की ध्वनि पर ध्यान केन्द्रित करें | 4) सांस थोड़ी देर रोकें | 5) सांस बाहर करते हुए हं कि ध्वनि पर ध्यान केन्द्रित करें | 6) सोहम या सोsहं मतलब जो तुम हो वाही हम हैं … सांस लेते समय महसूस करें की सांस के साथ ईश्वर आपके अन्दर प्रवेश कर रहा है और जो निकल रहा है वो आप हैं … दोनों में अंतर नहीं है , आप ही ईश्वर का रूप हैं | सोहम या सोSहं ध्यान साधना के लाभ सोहम ध्यान साधना मन मष्तिष्क और शरीर तीनों के लिए लाभप्रद है | आइये जानते हैं इसके विभिन्न लाभों के बारे में … आध्यात्मिक लाभ आज का जीवन तनाव युक्त जीवन है | सोहम ध्यान साधना मन व् विचारों को थामती है जिससे तनाव कम हो जाता है , गुस्सा कम आने लगता है व् मन शांत रहने लगता है | एक बार ब्रह्मकुमारी शिवानी ने अपने प्रवचन में कहा था कि आश्रम में आपका मन क्यों शांत रहता है ? लोगों का उत्तर था क्योंकि यहाँ तनाव पैदा करने वाले कारक नहीं होते | शिवानी जी ने कहा , नहीं यहाँ हम ध्यान द्वारा मन को संयमित करना करते हैं , तो कारक हावी नहीं हो पाते , बाहर जा कर करक हावी हो जाते हैं | इस कारण ध्यान जरूरी है चाहें आश्रम में रहे या बाहर | खून का सही प्रवाह जिन लोगों को भी कमर या घुटने के दर्द की तकलीफ है उन्होंने महसूस किया होगा कि जब वो तनाव करते हैं तो दर्द बढ़ जाता है | दर्द बढ़ने का कारण मांस पेशियों में तनाव के कारण हुआ खिंचाव है | सोहम ध्यान विधि से सांस पूरी और सही तरीके से जाती है , सुबह की खुली हवा में प्रयाप्त ओक्सिजन मिलती है , मन के रिलैक्स होते ही खून का प्रवाह सही होता है , मांस-पेशियों का तनाव भी कम होता है जिस कारण दर्द में आराम मिलता है | दिमाग व् शरीर के मध्य समन्वय … Read more