love की हैप्पी ending -चटपटी हास्य कथाएं

love की हैप्पी ending -चटपटी हास्य कथाएं

ऐ मौसम तुमने हमे क्या-क्या गम ना दिए .. ये तो भला हो हमारी भुल्लों बुआ यानि अर्चना चतुर्वेदी जी का जिन्होंने इस गर्मी में जब पसीने बहाते और पानी -पानी की पुकार लगाते हुए लोग एक दूसरे से सात गज की दूरी बना कर चलते हैं, उन्होंने लव की हैप्पी एन्डिंग करा कर पाठको को ही नहीं प्रेम को भी जीवन दान दे दिया | मौसम की मार, कोरोना की चौथी लहर की बेसुरी दस्तक की खबर, रूस और यूक्रेन युद्ध की भयावाह तस्वीरें और उस पर महंगाई की मार ने माहौल कुछ ऐसा बना दिया है की आप चीख -चिल्ला सकते हैं, गुस्सा कर सकते हैं, चाहें तो रो भी सकते हैं पर हँसी बहुत जल्दी विलुप्त प्रजाति में जा रही है | नासा ( नासा जोड़ देने से बौद्धिकता की लू की चपेट में पाठक जल्दी आता है) की रिपोर्ट में कहा गए है की आज कल हाल हुए बच्चे भी पहले टेंशन करना सीखते हैं बाद में मुसकुराना सीखते हैं | ऐसे समय में व्यंग्यकार लोग बिना किसी सरकारी सहायता के हँसी की फसलों को फिर से हरियाते हुए देखेने का प्रयास कर रहे हैं | ये किसी पुण्य से कम नहीं है | और हमारी प्यारी व्यंग्यकार अर्चना जी ने भावना प्रकाशन से प्रकाशित अपनी नई किताब “ love की हैप्पी ending” के माध्यम से हँसी मुक्त होते हुए भरत को फिरसे “हँसी युक्त भरत बनाने का संकल्प लिया है | अब किताब के नाम को ही देखिए, “मतलब आप हिंदी और अंग्रेजी दोनों सीख सकते हैं | वैसे भी लोगों को रुलाने की अपेक्षा हँसाना कठिन काम है | रोने को तो जैसे आदमी तैयार ही बैठा है | क्योंकि किसी की दुख भरी दास्तान सुन कर कौन कब अपना भूला दुख याद कर रो पड़ा, सुनाने वाला भी नहीं जान पाता | पर हँसने के लिए विशुद्ध अपना कारण होना चाहिए, और नया भी | इंसान एक ही दुख पर सौ बार रो सकता है पर हँसने के लिए उसे हर बार नया चाहिए | love की हैप्पी ending -चटपटी हास्य कथाएं देश की सुपरिचित व्यंग्यकारा अर्चना जी अपने मन की बात में लिखती हैं की उन्होंने कोरोना के समय की उदासी को दूर करने के लिए व्यंग्य लिखे जिससे पहले तो वो खुद हँसी और बाद में उनके पाठक भी हँस रहे हैं | और माहौल थोड़ा सकारात्मक हो रहा है | अर्चना जी की हास्य कहानियों की खास बात ये होती है वो अपने आस -पास के चरित्र लेती हैं, और बोली बानी , हाव -भाव से बिल्कुल वैसा उतार देती हैं की पढ़ने वाले को लगे अरे वही पड़ोस वाले मिश्रा जी की बात हो रही है, राधा काकी तो ऐसी ही बोलती हैं, हमारे चाचा के समधी के जीजा तो बिल्कुल ऐसी ही हैं | जब पाठक चरित्र से खुद को जोड़ लेता है तो जो हँसी की कली होंठों पर खिल रही थी वो बत्तीसी फाड़ कर दर्शन देती है | अब गुल्लू मियां को ही लें आज के फास्ट फूड जमाने में बाबा आदम के जमाने का प्रेम पाले हैं, वो भी उससे जो देखने सुनने में भी उनसे कमतर है पर कहा गया है न, “दिल लगा सड़ी से तो परी क्या चीज है |” अपनी भी शादी की उम्र निकल गई और लड़की की निकलवा दी .. क्या क्या तरीके आजमा के | देर से ही सही पर जब किस्मत का सितारा चमका तो जो हड़बड़ी मचाई की “लव की हैप्पी एन्डिंग” भले ही हो गई हो पर सात पुश्ते उनकी ये कहानी याद करेंगी | “हाउस हेल्प बनाम हाउस वाइफ” में कामवाली लगाने की जिद पर अड़े मिस्टर वर्मा को लेने के देने तब पड़ गए जब कामवाली उन पर कुछ ज्यादा ही नजरे इनायत करने लगी | बकौल वर्मा जी, “ क्या मुसीबत रख ली है जिधर जाता हूँ उधर ही घूमती है | इसकी वजह से बाथरूम से ही कपड़े पहन कर आने लगा हूँ | कमबख्त ऐसे घूरती है मानो इज्जत लूट लेगी |” अब जब हाउस हेल्प जब हाउस वाइफ बनने के के सपने पालने लगे तो क्या क्या होता हिय या क्या -क्या हो सकता है .. कुछ इश्क कहीं दर्ज नहीं होते, उन पर कोई फिल्में नहीं बनती,लोग किससे नहीं सुनाते पर वो इश्क, वाकई में इश्क होता है | ऐसा ही एक इश्क होता है एक लड़की का दहेज में मायके से दी गई गोदरेज की अलमारी का.. बाकी आप “हमारी सच्ची मुहब्बत” में जान जाएंगे | वो जमाना गया जब बच्चे बड़ों की नकल करते थे, अब बड़े बच्चों की नकल करते हैं | जैसी की “बाबूजी का हनीमून” में दादाजी करना चाहते हैं | बढ़ते हुए दहेज को देखते हुए मन्नों सही तो कह रही हैं “दरकार है, एक चायनीज दूल्हे की” अब यहाँ के लोग तो दहेज के बिना शादी करने को तैयार नहीं तो क्यों ना सस्ते दूल्हे चाइना से ही लिए जाए | ये अलग बात है की चाइना का माल टिकाऊ नहीं होता पर यहाँ के रिश्ते ही कौन से टिकाऊ हैं | बुआ की बात वाकई गौर करने लायक है क्योंकि हे लड़के वालों चाइना की जनसंख्या भी बहुत है अगर देश की लड़कियाँ “मेड इन चाइना” दूल्हा माँगने लगीं तो आपके बेटे का तो नंबर ही नहीं आएगा | आया है सो जाएगा राजा रंक फकीर कोई वसीयत कर मरे कोई मरे अधीर वैसे यूँ तो कोई मरना नहीं चाहता और ना ही अपनी कमाई का एक पैसा कौड़ी भी किसी को देना चाहता है |पर मरना तो पड़ता ही है और जो कमाया है वो दे कर भी जाना पड़ता है | इसलिए लंबा -नाटा, पतला-मोटा, पैसे वाला और सम्मान वाला हर व्यक्ति मरने से पहले अपनी वसीयत करना चाहता है | अब लेखक क्या वसीयत करेगा | येन -केन प्रकारेण जुटाए गए सम्मान के साथ मिली शॉल और श्रीफल का क्या करेगा ? जिसमें पत्नी की रुचि नहीं, किताबें खुद के बच्चों ने भी नहीं पढ़ीं | ये तो आप पढ़ कर ही जान पायेगे पर साहित्य की दुनिया पर जबरदस्त तंज है | अकेले औरत का सफर हाय रब्बा”हो या रज्जो बुआ या फिर गाँव … Read more

अभी तो में जवान हूँ

अभी तो मैं जवान हूँ

जब पचपन के घरघाट भयन, तब देखुआ आये बड़े – बड़े। हम सादी से इनकार कीन, सबका लौटारा खड़े – खड़े॥ कविता का ये अंश अवधि के लोकप्रिय कवि रमई काका (1925-1982)की कविता “बुढ़ऊ का ब्याह” से लिया है | कविता भले ही पुरानी हो पर बुढ़ापे में जवान दिखने की खवाईश आज भी उतनी ही ताज़ा है | ऐसे ही है बिसन चाचा.. जिनके सर पर जवान दिखने का भूत कुछ इस तरह सवार हुआ कि .. आइए पढ़ें  आज के समय की बेहद  लोकप्रिय व्यंगकार अर्चना चतुर्वेदी जी की व्यंग रचना “अभी तो मैं जवान हूँ ” हो सकता है व्यंग पढ़ते -पढ़ते आपको भी कोई नुस्खा मिल जाए |   जवान दिखने के मामले में हमारे बिसन चच्चा ने लुगाइयों को भी पछाड़ रखा है ..उन्हें तो बस जवान दिखने का शौक ऐसा चर्राया है कि वो कुछ भी करने को तैयार हैं .. उम्र भले ही छप्पन की हो पर दिल फुल टू जवान है. देखने में कद काठी मजबूत है ..हाँ गाल थोड़े पिचक से गए हैं ..और आँखे भी थोड़ी गड्डे में धंस गयी हैं ..मुस्कान बड़ी मारक है सो बंदी पटाने में देर नहीं लगती ..पिछले दो चार साल से खोपड़ी के बाल उनका साथ छोड़ते जा रहे हैं जो काफी हिस्सा चिकना हो गया है ..उसकी वजह से बाकी बचे बालों को रंगने में भी मुश्किल होती है | अब बिसन चच्चा बाकी सब तो एडजस्ट कर लेते हैं ..आँखों पर ऐनक चढ़ा लेते हैं ..चेहरे का रेगुलर फेशियल भी हो जाता है पर इन ससुरे बालों का क्या जिनकी वजह से वे भरी जवानी में बूढ़े नजर आने लगे हैं ..और ये उन्हें कतई गवारा नहीं कि कोई जवान सुन्दरी उन्हें अंकल कहकर निकल ले .. किसी ने कहा आंवला पाउडर लगाओ.. तो पूरे सर पर आवला पोत कर बैठ गए .किसी ने कहा दोनों हाथों के नाख़ून आपस में रगडो ..फिर तो चच्चा हर वक्त नाख़ून ही रगड़ते ..रगड़ रगड़ कर नाख़ून घिस गए पर चाँद गंजी की गंजी ही रही..पर चच्चा निराश नहीं हुए . ..कई देशी इलाज अपना डाले ..खूब बेस्वाद पुडिया भी खा डाली..हकीम जी के दिए बदबू दार तेल भी लगाये पर नतीजा जीरो. कहते हैं ना जो एक बार साथ छोड़ जाए ..वो आसानी से कहाँ वापिस आते हैं ..पर चच्चा हार मानने वालों में से नहीं … अभी तरह तरह के उपाय इलाज ..चल ही रहे थे कि किसी ने चच्चा को बता डाला “ चच्चा बाजार में ऐसी तकनीकी आई है जिससे नए बाल उगाये जाते हैं” अच्छा क्या सच में बाल ऊग सकते हैं, फिर से? “ चच्चा ने खुश होते हुए पूछा हाँ चच्चा अरे आपने क्रिकेट खिलाडी सहवाग को नहीं देखा… अब ..कैसा जवान सा दीखे बाल उगवा के” भतीजे ने अपनी बात अब उदाहरण सहित समझाई चच्चा तो ख़ुशी से ऊछल पड़े और बोले ..तू तो बस ऐसा कर ..पता करके आ जा कितने में हो जायेगा ये काम ..और कितने दिन लगेंगे बाल आने में ? मैं तो अब उगवा ही डालूँगा चाचा रोज सुबह शाम भतीजे को फोन करके जानकारी लेते ..अब भतीजे जी आनाकानी कर रहे थे उन्हें पता ही नहीं था कि सच में ये तकनिकी कहाँ है और कौन करता है ईलाज ..पर चच्चा तो बैचैन हो उठे थे ..वो वक्त जाया नहीं करना चाहते थे ..सो और लोगों से भी पूछने लगे ..आखिरकार एक दिन अखबार में बड़ा सा विज्ञापन देख चच्चा उछल पड़े ..और सीधे पहुँच गए बताये हुए पते पर .और अपनी समस्या सुना डाली ..उन्हें जल्द से जल्द समाधान चाहिए था | वहां जाकर जब उन्होंने फीस सुनी और पूरी प्रक्रिया सुनी ..तो थोड़े से सकपकाए क्योंकि इतने रूपये अभी उनके पास नहीं थे और यदि हों भी तो अपने बालों पर इतना खर्च कर दिया तो पत्नी जी जीना मुहाल कर देंगी. जो कई सालों से सोने की चूड़ियों की मांग कर रही हैं और चच्चा बहाने बना रहे हैं ..वैसे भी इतने खर्चे और इतने दर्द के बाद बाल जमेंगे ही इसकी कोई गारंटी नहीं थी . चच्चा बेचारे निराश से हो लौट तो आये ..पर मिशन बाल उगाओ जारी था ..किसी भी जगह शादी ब्याह में या पार्टी में जाते तो खूब सजते ..अच्छे भी लगते ..दस लोगों से पूछते कैसा लग रहा हूँ? ..लेकिन जैसे ही अपने फोटो देखते फिर उदास हो जाते ..” यार बाल ऊग जाते तो मै भी जमता ..कैसा बूढ़ा सा दिख रहा हूँ “ सब समझाते “ अरे चाचा बहुत जमते हो तुम ,तुम्हे जरुरत ना है इन बालों की” पर चाचा के दिल में तो काँटा सा लगा था .. कुछ दिन बाद किसी भतीजे ने उन्हें विग लाकर दे दी ..विग देखकर चाचा खुश हुए ..फिर एक दो दिन खोपड़ी पर विग पहनी..शक्ल तो अच्छी दिख रही थी ..बिना मेहनत बालों की खेती भी हो गयी पर इस विग में इतनी गर्मी लगती कि चाचा का जी घबरा उठता और खोपड़ी पसीने से भीग उठती. सो ये इलाज भी फेल ही साबित हुआ | चाचा फिर से तरह तरह के तेल साबुन लगा बाल उगाने का प्रयास करने लगे.. किसी ने कहा कड़ी पत्ता पीस कर लगाओ ..तो किसी ने कहा गुडहल का फूल तेल में डालकर कर लगाओ ..चाचा सारा दिन इन्ही नुस्खो में लगे रहते ,,पत्नी और बच्चे मजाक बनाते पर चाचा पर कोई असर नहीं होता . वो तो अर्जुन बन चुके थे जिनका निशाना सिर्फ मछली की आँख पर था | फिर एक दिन किसी हकीम साहब ने बाल उगाने की गारंटी ली और उन्हें एक तेल दे दिया जिसे उन्हें रात को लगाकर सोना था ..सुबह बाल दिखेंगे खोपड़ी पर .. चाचा ख़ुशी ख़ुशी लगभग उछलते हुए घर पहुंचे …बीबी को हुक्म दिया जल्दी से खाना लगा दे ..ताकि जल्दी सोने जा सके. आखिरकार तेल जो लगाना था ..पत्नी जी से खरी खोटी भी सुनी पर जबाब देने में कौन समय बर्बाद करे ..बाल उगायें या इसके मुहँ लगें सोचकर चच्चा चुप ही रहे . रात हुई तो चच्चा ने अपनी खुपड़िया की जम कर मालिश की और सो गए …आधी रात को चच्चा को फुफकारने की आवाज आई और खोपड़ी पर कुछ गिलगिला सा … Read more