वो स्काईलैब का गिरना

कुमकुम सिंह

आज हम कोरोना की आपदा से घिरे हुए अपने –अपने घरों में कैद हैं और ये दुआएं कर रहे हैं की ये आपदा जल्दी से जल्दी विश्व पटल से दूर हो | क्योंकि साहित्य अपने समय को दर्ज करता है इसलिए इस आपदा पर कई लेख, कहानियाँ , कवितायें आदि लिखी जा रहीं हैं | मुझे P.B.Shelley का एक कथन याद आ रहा है | “our  sweetest songs are those that tell of saddest thought” आपदा के निकल  जाने के बाद हो सकता है हम इस पर कुछ ऐसी ही रचनाएँ लिखे जिन्हें पढ़कर होंठों पर मुस्कान खिल जाए | अब स्काई लैब को ही देखिये …जिस समय ये गिरने को तैयार भारत के साथ फेरे ले रहा था तब हम सब कैसे दम साधे बी. बी. सी पर उसकी पल –पल की खबरे सुन रहे थे | अब उसी बात को याद कर के हँसी भी आती है | अब स्काई लैब भले ही खबरों  के अनुसार प्रशांत महासागर में गिरा पर चुन्नी लाल जी के परिवार पर तो गिर ही गया | पढ़िए कुमकुम सिंह जी की रोचक कहानी …. वो स्काईलैब का गिरना   “अरे पढ़ लो , पढ़ लो , परीक्षा सिर पर है । तुम दोनो अभी तक खेले ही जा कहे हो । इतनी शाम हो गई और तुम दोनो ने किताब तक ना खोली । मै कहता हूँ कि जिन्दगी मे बस पढ़ाई ही काम आने वाली है ये फालतू की उछल कूद से कुछ भी हासिल ना होगा “ चुन्नीलाल ने दफ्तर से वापस आकर अपना छाता और झोला , दीवार की खूटी पर टांगते हुए , अपने दोनो बेटों को उलाहना देते हुए कहा । “ अब बस भी करो , अब जब सब कुछ खतम ही होने जा रहा है तो फिर कैसी पढ़ाई लिखाई ? जो दो चार दिन बाकी हैं तो इन दोनो को जी भर के मौज मस्ती कर लेने दो “ विमला बाई अपने बारह वर्षीय राकेश और चौदह वर्षीय मुकेश को अपने सीने से लगाते हुए बोली । ऐसा कहते हुए वो अत्यन्त भावुक हो गई और उनके नैन आँसू से भर आये । “ अरे तुमको भी पता लग गया ? “ चुन्नीलाल बेहद दुखी स्वर मे बोले । “ ये भला कोई छिपने वाली बात है ? आजकल सारा मोहल्ला बस यही बात कर रहा है । रेडियो मे भी बार बार यही खबर आ रही है कि आसमान से कोई भारी सी मशीन आफत बन कर हम पर गिरने वाली है और हम सब बस एक साथ ….” इतना कहने के बाद विमला से आगे कुछ ना बोला गया , गला भारी हो गया और वो अपने दोनो बच्चों को गले लगा कर रोने लगी ।यह देख कर चुन्नीलाल के भी आँखों मे आंसू भर आए और वे रूंधे हुए गले से बोल पड़े – “ करे कोई और भरे कोई । अमेरिका नाम के देश ने कुछ समय पहले स्काईलैब नाम का बहुत ही वजनी प्रयोगशाला जैसी कुछ मशीन अन्तरिक्ष मे भेजा था , पता नही क्या करने ? वही अब हमारी जान लेने के वास्ते आ रहा है “ “ पापा ये स्काईलैब क्या होता है ? बड़े बेटे ने कौतुहल पूर्वक पूछा । “बेटा ये एक विशालकाय यान है जो कुछ साल से अंतरिक्ष मे था । यह एक इमारत जितना बड़ा है और वैज्ञानिक लोगों की प्रयोगशाला बना हुआ था । पृथ्वी से वैज्ञानिक लोग इसमे सन्देशों के जरिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग कर रहे थे और सूचनाएँ एकत्र कर रहे थे । पर बदकिस्मती से अब वैज्ञानिकों का इस पर कोई नियन्त्रण नही रहा । अत: वो अब पृथ्वी की ओर तेजी से आ रहा है । कहीं भी गिर सकता है । पता ये चला है कि इसके गिरने की ज्यादा सम्भावना अपने मध्यप्रदेश के किसी इलाके मे या आसपास के इलाके की है । इसलिए हम सब की जान खतरे मे हैं “ चुन्नीलाल उदास होकर बोले । “ तो अब हम लोग अब क्या करें पापा ?” छोटा बेटा हैरान होकर पूछने लगा । “ कुछ नही , जो मरजी आए वो करो और अपने आप को खूब खुश रखो “ इतना कह कर वे मुकेश के सिर पर , स्नेहपूर्वक हाथ फेरने लगे । “ तुम लोग को क्या क्या खाने का मन कर रहा है ? अपनी अपनी पसन्द बताते चलो । मै सब बना कर खिलाऊँगी अपने बच्चों को । और अब पढ़ने लिखने की कतई जरूरत नही है “ विमला ने ऐसी घोषणा करके बच्चों की मुँह मांगी मुराद पूरी कर दी । “ आज तो हम लोग नन्हे हलवाई के समोसे और जलेबी खायेगे , पापा पैसे दो “छोटा मचल कर बोला । “ हाँ हाँ ! अभी लो “ चुन्नीलाल ने तुरन्त ही मुकेश को एक नोट पकड़ाया । नोट लेकर दोनो बच्चे बाजार दौड़ गए । अब तो जब ना तब बाजार से तरह तरह के चटपटे, नमकीन और मीठे मनभावन खाने की चीजें खरीद कर आने लगी । कभी चाट और रबड़ी ,कभी कलाकंद , रसगुल्ले , कुल्फी आदि आदि । घर पर भी लज्जतदार पकवान बनने लगे । सच है कि भोजन इन्सान की मूलभूत आवश्यकता है और ये भी सच है कि स्वादिष्ट भोजन मे मानव तो तुरन्त ही आनन्द की अनुभूती करा देने की क्षमता होती है।कई लोग तो अकसर ये कह भी देते हैं कि हम खाने के लिए ही तो कमाते हैं ! राकेश मुकेश ने स्कूल बैग को बिस्तर के नीचे सरका दिया और बची खुची किताब कॉपी , पेन पेन्सिल सब ताक पर रख दिए । दिन भर गिल्ली डन्डा , कबड्डी , पतंगबाजी आदि होने लगा । स्कूल जाना बंद । पढ़ाई से कोई सरोकार ना रहा । परीक्षा और परीक्षाफल का कोई डर नही रहा । ऐसा लग रहा था कि जैसे निश्चित मौत के डर ने जीवन को और भी निडर बना दिया था । इन दिनो दफ्तर मे भी कोई काम ना होता था । सभी मुँह लटका कर उदास मन से तरह तरह की बात करते थे । अफवाहों का बाजार गर्म हो चला था । कई लोग तो यह भी दावा करने … Read more