सिन्हा बंधु- पाठक के नोट्स

सिंह बंधु

  “जिस तरह जड़ों से कटा वृक्ष बहुत ऊंचा नहीं उठ सकता|उसी तरह समृद्धिशाली भविष्य की दास्तानें अतीत को बिसरा कर नहीं लिखी जा सकती |” “सिन्हा बंधु” उपन्यास ऐसे ही स्वतंरता संग्राम सेनानी “राजकुमार सिन्हा” व उनके छोटे भाई “विजय कुमार सिन्हा” की जीवन गाथा है .. जिनकी माँ ने अपने एक नहीं दो-दो … Read more

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फ्लाइट

फ्लाइट

जीवन में हम कितनी उड़ाने भरते हैं | सारी मेहनत दौड़ इन उड़ानों के लिए हैं | पर एक उड़ान निश्चित है …पर उस उड़ान का ख्याल हम कहाँ करते हैं | आइए पढ़ें वरिष्ठ लेखिका आशा  सिंह की समय के पीछे भागते एक माँ -बेटे की मार्मिक लघु कथा … फ्लाइट  मां,मेरी सुबह सात बजे थी फ्लाइट है-आशुतोष ने सूचना दी। इतनी जल्दी- अंजलि हैरान हो गई। मैं तो आपका पचहत्तरवां जन्मदिन मनाने आया था, साथ साथ लालकिले … Read more

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ठकुराइन का बेटा

ठकुराइन का बेटा

क्या प्रेम व्यक्ति को बदल देता है ? व्यक्ति के संस्कार में उसके आस -पास के लोगों का व्यवहार भी शामिल होता है | ठकुराइन का बेटा एक ऐसे ही व्यक्ति की कहानी है जो अपने कर्म के संस्कारों से को छोड़कर एक सच्चा इंसान बनता है | आइए पढ़ें वरिष्ठ लेखिका “आशा सिंह” जी … Read more

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क्या हम मुताह कर लें?

मुताह

  मुस्लिम धर्म में मुताह निकाह की परंपरा है | ये एक तरह से कान्ट्रैक्ट मैरिज है | ये कॉन्ट्रैक्ट एक दिन का भी हो सकता है, कुछ महीनों का और कुछ घंटों का भी | इसमें मेहर पहले ही दे दी जाती  है | किसी समय ये एक स्त्री को संरक्षण देने के लिए … Read more

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जेल के पन्नों से -नन्हा अपराधी

नन्हा अपराधी

  एक नन्हा  मासूम सा  बच्चा जेल के अंदर आया माँ को पुकार रहा था .. माँ को नहीं | कहन से आया क्यों आया वो मासूम जेल में |पढिए वरिष्ठ लेखिका आशा सिंह के धरावहिक जेल के पन्नों से की अगली कड़ी में नन्हा अपराधी जेल शहर से बाहर स्थित थी। मुख्य राजमार्ग से अंदर की ओर सड़क जेल कीओर जाती है,जिसके दोनों ओर कर्मचारियों के आवास थे।शाम को महिलाएंगपशप करती, बच्चे सामने पार्क में खेलते। एक सांय छोटेलाल ने बताया-‘ साहब,जेल में एक छोटा बच्चा आया है, बहुत हीसुन्दर है।‘ ‘मॉ के साथ आया होगा।‘ किसी ने कहा। ‘नहीं साहब,मां तो उसकी भाग गई। स्टेशन पर किसी सेठ का थैला लेकर भागा था,पर लोगों ने पकड़ लिया।जब से आया है बराबर आया मां कहकर रोते जारहा है।यही छै सात बरस का होगा। … Read more

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जेल के पन्नों से – अंतिम इच्छा

अंतिम इच्छा

रिश्ते भी कितने अजीब होते हैं | कभी अनजान अपने हो जाते हैं तो अपने अनजान |वरिष्ठ लेखिका आशा सिंह जी के धारावाहिक “जेल के पन्नों से” सत्य पर आधारित  शृंखला” की ये कहानी एक ऐसे ही भाई की कहानी है जो अपनी बहन के लिए हत्या बना |जेल गया | अंतिम समय में टी … Read more

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जेल के पन्नों से–हत्यारिन माँ

जेल के पन्नों से--हत्यारिन माँ

“माँ”, दुनिया का सबसे खूबसूरत शब्द है |माँ शब्द के साथ एक शब्द और जुड़ा है ….ममता, जैसे देवत्व का भाव | माँ, जो जन्म देती है, माँ जो पालती है, चलना सिखाती है ,उंच -नीच समझाती  है,हर बला से बचाती है क्या वो हत्यारिन हो सकती ? वरिष्ठ लेखिका आशा सिंह जी  के धारावाहिक … Read more

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जेल के पन्नों से

जेल के पन्नों से

जेल .. ये शब्द सुनते ही मन पर एक खौफ सा तारी हो जाता है | शहर की भीड़ -भाड़ से दूर,अपनों से अलग, एक छोटा सा कमरा,अंधेरा सीलन भरा | जेल जाने का डर इंसान को अपराध करने से रोकता है |फिर भी अपराध होते हैं | लोग जेल जाते हैं |क्या सब वाकई … Read more

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दरवाजा खुला है

दरवाजा खुला है

दरवाजा खुला है .. दरवाजा खुला रखना आसान नहीं होता ,खासकर उसके लिए जिसने आपकी जिंदगी को छिन्न -भिन्न कर दिया हो | स्त्री जीवन के त्याग  की कथाएँ अनगिनत है पर ऐसा नहीं है कि पुरुष त्याग नहीं करते .. परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का पालन नहीं करते और सब कुछ भूल कर … Read more

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ढोंगी

आशा सिंह

श्राद्ध पक्ष के दिन चल रहे हैं |हम सब अपने अपने हिसाब से अपने पित्रों के प्रति सम्मान व्यक्त कर रहे है | लेकिन अगर श्रद्धा न हो तो सब कुछ मात्र ढोंग रह जाता है | पढिए आशा सिंह दी की लघु कथा ढोंग ढोंग    आज पितृपक्ष की मातृनवमी है। मैं छत पर … Read more

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