अब तो बेलि फैल गई- जीवन के पछतावे को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की कथा

अब तो बेलि फैल गई- जीवन के पछतावे को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की कथा

  जिन दरवाज़ों को खुला होना चाहिए था स्वागत के लिए, जिन खिड़कियों से आती रहनी चाहिए थी ताज़गी भरी बयार, उनके बंद होने पर जीवन में कितनी घुटन और बासीपन भर जाता है इसका अनुमान सिर्फ वही लगा सकते हैं जिन्होंने अपने आसपास ऐसा देखा, सुना या महसूस किया हो। रिक्तता सदैव ही स्वयं … Read more

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लकीर-कहानी कविता वर्मा

लकीर

कोयल के सुत कागा पाले, हित सों नेह लगाए, वे कारे नहीं भए आपने, अपने कुल को धाए ॥ ऊधो मैंने —                                             जब भी माँ की बात आती है | यशोदा और देवकी … Read more

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भ्रम 

कहानी -भ्रम

भ्रम में जीना कभी अच्छा नहीं होता, लेकिन हम खुद कई बार भ्रम पालते हैं .. बहुत लोग हैं हमारे अपने, बस जरा सा  कह  देंगे तो सबका साथ मिल जाएगा | कई बार हम अपने इस भ्रम को जिंदा रखने के लिए कहते भी नहीं हैं | पर एक दिन ऐसा आता है की … Read more

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परछाइयों के उजाले 

प्रेम को देह से जोड़ कर देखना उचित नहीं पर समाज इसी नियम पर चलता है | स्त्री पुरुष मैत्री संबंधों को शक की निगाह से देखना समाज की फितरत है फिर अगर बात प्रेम की हो …शुद्ध खालिस प्रेम की , तब ? आज हम भले ही प्लैटोनिक लव की बात करते हैं पर … Read more

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