कविता सिंह
कविता सिंह की कहानी अंतरद्वन्द
जीवन में हम जो चाहते हैं वो हमेशा हमें नहीं मिलता | फिर भी हम अपेक्षाओं का लबादा ओढ़े आगे बढ़ते जाते हैं .. खोखले होते रिश्तों को ढोते रहते हैं |इस परिधि को तोड़ कर एक नए आकाश की ओर बढ़ते कदम अतीत के अनुभव की कारा में बार -बार बंदी होते रहते हैं … Read more
जीवन-संध्या
मासूम बच्चों के कंधों पर अपनी उम्मीदों का बस्ता लाड़ कर उन्हें रेस में खुद ही दौड़ाते हैं तो जीवन संध्या में पछताना कैसा ? पर अक्सर ऐसा होता है |इन सब के पीच में पिसती है एक स्त्री .. जो बच्चों और पिता के बीच में जिंदगी भर एक पुल बनाने की असफल कोशिश … Read more
कठिन वक्त (कारोना इफेक्ट -2)
जिस शहर को उन्होंने अपने हाथों से सींच कर सुंदर बनाया था वो एक झटके में पराए हो गए |कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में मजदूरों और छोटे स्तर के कामगारों का भारी संख्या में गाँव की तरफ पलायन हुआ | पर गांवों ने उन्हें बाहें पसार कर अपनाया नहीं | रिश्तों की कितनी … Read more
छोटी सी उलझन
स्त्री विमर्श के इस दौर में एक मांग पुरुष विमर्श की भी उठने लगी है | ऐसा रातों -रात नहीं हुआ पर ये सच्चाई है की पुरुष भी शोषण का शिकार हो रहे हैं | कई बार वो जान बूझ कर परिवार की शांति के लिए चुप रह जाते हैं वहीं से मानसिक शोषण शुरू … Read more
कविता सिंह जी की कवितायें
कविता लिखी नहीं जाती है …आ जाती है चुपचाप कभी नैनों के कोर से बरसने को, कभी स्मित मुस्कान के बीच सहजने को तो कभी मन की उथल पुथल को कोई व्यवस्थित आकार देने को | जहाँ कहानी में किस्सागोई का महत्व है वहीँ कविता में बस भाव में डूब जाना ही पर्याप्त है | … Read more
मन की गाँठ (कोरोना इफ़ेक्ट )
ये समय जब इतिहास में लिखा जाएगा तो शायद कोरोना काल के रूप में जाना जाएगा | साहित्य पर समय और समाज का प्रभाव पड़ना स्वाभाविक ही है | आज कई कहानियाँ , कवितायें कोरोना को केंद्र में ले कर लिखी जा रही हैं | प्रस्तुत कहानी मे भी कविता सिंह जी ने भी कोरोना … Read more