दम-दमड़ी

“दम–दमड़ी” ये कहानी है वरिष्ठ लेखिका दीपक शर्मा की, जो रुपये पैसों के ऊपर टूटते –बिखरते रिश्तों का नंगा सच प्रस्तुत करती हैं | एक कहावत है कि “चमड़ी जाए पर दमड़ी ना जाये” | वैसे तो ये कहावत कंजूस लोगों के लिए हैं पर प्रश्न फिर भी वही है कि क्या पैसा इंसान को … Read more

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ताई की बुनाई

  सृजन से स्त्री का गहरा संबंध है | वो जीवंत  संसार को रचती है | उस का सृजन हर क्षेत्र में दीखता है चाहें वो रिश्ते हो , रसोई हो  , गृह सज्जा या फिर फंदे-फंदे  ऊन को पिरो कर बुनी गयी स्नेह की गर्माहट | लेकिन ये सारी  रचनाशीलता उसकी दूसरों को समर्पित … Read more

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