मालूशाही मेरा छलिया बुरांश -समकाल की नब्ज टटोलती सशक्त कहानियाँ
समकालीन कथाकारों में प्रज्ञा जी ने अपनी सशक्त और अलहदा पहचान बनाई है | उनके कथापत्रों में जहाँ एक ओर कमजोर दबे कुचले, शोषित वर्ग से लेकर मध्यम वर्ग और आज के हालातों से जूझते किरदार होते हैं तो दूसरी ओर वह मानवीय संवेदनाओं को जागृत कर अच्छे लोगों और अच्छाई पर भी विश्वास … Read more