मां की सिलाई मशीन -कहानी दीपक शर्मा

मां की सिलाई मशीन

नारी जीवन बस दर्द का पर्याय है या बाहर निकलने का कोई रास्ता भी है ? बचपन में बड़े- बुजुर्गों के मुँह से सुनती थी,  ” ऊपर वाला लड़की दे तो भाग्यशाली दे ” l और उनके इस भाग्यशाली का अर्थ था ससुराल में खूब प्रेम करने वाला पति- परिवार मिले l नायिका कुंती की … Read more

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बहुत बुरी हो माँ

बहुत बुरी हो मां

“बहुत बुरी हो मां” कौन सी माँ होगी जो अपने बच्चे के मुँह से ये शब्द सुनना चाहेगी | हर माँ अपने बच्चे की नजर में दुनिया कि सबसे बेहतर माँ बनना चाहती है | पर अच्छी माँ के दवाब में उससे भी कहीं ना  कहीं कुछ कमी रह जाती है या रह सकती है, … Read more

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माँ से झूठ

माँ से झूठ

  माँ ही केवल अपने दुखों के बारे में झूठ नहीं बोलती, एक उम्र बाद बच्चे भी बोलने लगते है | झुर्रीदार चेहरे और पोपले मुँह वाली माँ की चिंता कहीं उनकी चिंता करने में और ना बढ़ जाए |इसलिए अक्सर बेटियाँ ही नहीं बेटे भी माँ से झूठ बोलते हैँ | मदर्स डे के … Read more

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फ्लाइट

फ्लाइट

जीवन में हम कितनी उड़ाने भरते हैं | सारी मेहनत दौड़ इन उड़ानों के लिए हैं | पर एक उड़ान निश्चित है …पर उस उड़ान का ख्याल हम कहाँ करते हैं | आइए पढ़ें वरिष्ठ लेखिका आशा  सिंह की समय के पीछे भागते एक माँ -बेटे की मार्मिक लघु कथा … फ्लाइट  मां,मेरी सुबह सात बजे थी फ्लाइट है-आशुतोष ने सूचना दी। इतनी जल्दी- अंजलि हैरान हो गई। मैं तो आपका पचहत्तरवां जन्मदिन मनाने आया था, साथ साथ लालकिले … Read more

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जेल के पन्नों से–हत्यारिन माँ

जेल के पन्नों से--हत्यारिन माँ

“माँ”, दुनिया का सबसे खूबसूरत शब्द है |माँ शब्द के साथ एक शब्द और जुड़ा है ….ममता, जैसे देवत्व का भाव | माँ, जो जन्म देती है, माँ जो पालती है, चलना सिखाती है ,उंच -नीच समझाती  है,हर बला से बचाती है क्या वो हत्यारिन हो सकती ? वरिष्ठ लेखिका आशा सिंह जी  के धारावाहिक … Read more

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व्यस्त चौराहे

व्यस्त चौराहे

ये कहानी है एक व्यस्त चौराहे की, जो साक्षी बना  दुख -दर्द से जूझती महिला का, जो साक्षी बना अवसाद और मौन का ,जो साक्षी बना इंसानियत का | कितनी भी करुणा उपजे , कितना भी दर्द हो ,पर ये व्यस्त चौराहे कभी खाली नहीं होते .. लोगों की भीड़ से ,वाहनों के शोर से … Read more

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यामिनी नयन गुप्ता की कवितायें

कविता मानस पर उगे भाव पुष्प है | मानव हृदय की भावनाएं अपने उच्चतम बिंदु पर जा कर कब कैसे कविता का रूप ले लेती हैं ये स्वयं कवि भी नहीं जानता|भाव जितने ही गहरे होंगे पुष्प उतना ही पल्लवित होगा | आज हम पाठकों के लिए यामिनी नयन गुप्ता की कुछ  ऐसी ही कुछ … Read more

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“माँ“ … कहीं बस संबोधन बन कर ही न रह जाए

माँ केवल एक भावनात्मक संबोधन ही नहीं है , ना सिर्फ बिना शर्त प्रेम करने की मशीन ….माँ के प्रति कुछ कर्तव्य भी है …. “माँ” … कहीं बस संबोधन बन कर ही न रह जाए डुग – डुग , डुग , डुग … मेहरबान कद्रदान, आइये ,आइयेमदारी का खेल शुरू होता है | तो … Read more

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