अब तो बेलि फैल गई- जीवन के पछतावे को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की कथा

अब तो बेलि फैल गई- जीवन के पछतावे को पीछे छोड़कर आगे बढ़ने की कथा

  जिन दरवाज़ों को खुला होना चाहिए था स्वागत के लिए, जिन खिड़कियों से आती रहनी चाहिए थी ताज़गी भरी बयार, उनके बंद होने पर जीवन में कितनी घुटन और बासीपन भर जाता है इसका अनुमान सिर्फ वही लगा सकते हैं जिन्होंने अपने आसपास ऐसा देखा, सुना या महसूस किया हो। रिक्तता सदैव ही स्वयं … Read more

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स्वागत नई किताब का -कबीर जग में जस रहे

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स्वागत नई किताब का कॉलम के अंतर्गत हम आने वाली किताब का टीजर सभी मित्रों, पाठकों से साझा करते हैं | इस बार शिवानी जयपुर की आने वाले कहानी संग्रह “कबीर जग में जस रहे” का चयन किया गया है | कवयित्री, कथाकार, पत्रकार और विभिन्न कार्यक्रमों के संचालक के तौर पर अपनी पुख्ता पहचान … Read more

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खुल के जिए जीवन की तीसरी पारी

खुल के जिए जीवन की तीसरी पारी

आमतौर पर परिवार की धुरी बच्चे होते हैं | माता -पिता की दुनिया उनके जन्म लेने से उनका कैरियर /विवाह  हो जाने तक उनके चारों ओर घूमती है | कहीं ना कहीं आम माओ की तो बच्चे पूरी दुनिया होती है, इससे इतर वो कुछ सोच ही नहीं पाती | पर एक ना एक दिन … Read more

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पौ फटी पगरा भया

शिवानी शर्मा

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है | समाज में कई रिश्तों के बीच उनका जन्म होता है और जीवन पर्यन्त इस रिश्तों को निभाता चला जाता है | कुछ रिश्ते उसके वजूद का इस कदर हिस्सा बन जाते हैं कि उनसे अलग वो अपने अस्तित्व को समझ ही नहीं पाता | कभी कभी कोई एक घटना … Read more

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