संघर्ष पथ

वंदना बाजपेयी

वंदना बाजपेयी की कविता संघर्ष पथ संघर्ष पथ  सुनो स्त्री अगर बढ़ चली हो सशक्तता की ओर तो पता न चलने देना आँसुओं का ओर-छोर माना की रोने के अधिकार से कर वंचित बचपन से पुरुष बनाए जाते हैं  समाज द्वारा सशक्त स्वीकृत पर संघर्षों से तप कर आगे बढ़ती स्त्री के हाथ भी कर … Read more

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