सच्चा कलाकार
बात 2015 की है मुझे दिल्ली के लवली पब्लिक स्कूल के वार्षिकोत्सव में मुख्य अतिथि के तौर पर बच्चों और उनके पेरेंट्स को संबोधित करना था । अपनी बात में मैने बच्चों को एक प्रेरणादायक कहानी सुनाई । जिसे बाद में अध्यापिकाओं ने होमवर्क के तौर पर लिख कर लाने को कहा। कहानी इस प्रकार है.. एक समय की बात है,चार श्रेष्ठ गायक थे । दूर दूर तक उनकी ख्याति थी। लोग उन्हें अपने शहरों में बुलाया करते थे । वो भी जाते और मन से गायन करते । एक बार उन्हें एक जगह से गायन का मौका मिला। उन्होंने सहर्ष अनुमति दे दी । भाग्य की बात उस दिन बहुत तेज आंधी तूफान आया,ओले पड़े । आसपास के पेड़ उखड़ गए । कार्यक्रम का समय हो गया और केवल चार श्रोता आये । अब जब चारों प्रस्तुति देने मंच पर गए तो केवल चार लोगों को देख कर निराश हुए ।उनमें से तीन ने यह कह कर प्रस्तुति देने से मना कर दिया कि इन चार लोगों के लिए हम अपना गला क्यों दुखाएं लेकिन चौथे का दृष्टिकोण सकारात्मक था । उसने कहा कि जो चार व्यक्ति इतने आंधी तूफान के बावजूद मुझे सुनने आये हैं वो कितने बड़े कला प्रेमी होंगे । में कला के प्रति उनके प्रेम का सम्मान करता हूँ और में उनका हृदय नहीं तोड़ सकता । उसने मंच की प्रस्तुति दी । झूम झूम कर वैसे ही गाया जैसे हॉल भरा होने पर गाता । कर्यक्रम समाप्त हुआ । अगले दिन वो जाने की तैयारी कर रहे थे कि एक व्यक्ति चिट्ठी ले कर आया । उसने मंच पर प्रस्तुति देने वाले व्यक्ति को ढेर सारे उपहार देते हुए चिट्ठी दी कि आप को राजा ने अपने दरबार में प्रस्तुति के लिए बुलाया है । दरसल कल हमारे राजा भेष बदल कर आपका गायन सुनने आये थे। यह बात बच्चों से से इसलिये कही की जब हम अपना काम पूरी श्रद्धा व ईमानदारी से कर रहे होते हैं तो कभी न कभी कोई ना कोई पारखी मिल ही जाता है । वंदना बाजपेयी