वो पहला खत

बचपन में एक गाना  अक्सर सुनते थे  “लिखे जो खत तुझे वो तेरी याद में हज़ारों रंग के सितारे बन गए ” | गाना हमें बहुत पसंद था पर हमारा बाल मन सदा ये जानने की कोशिश करता ये खत सितारे कैसे  बन जाते हैं।. खैर बचपन गया हम बड़े हुए और अपनी सहेलियों को  बेसब्री … Read more

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“माँ“ … कहीं बस संबोधन बन कर ही न रह जाए

माँ केवल एक भावनात्मक संबोधन ही नहीं है , ना सिर्फ बिना शर्त प्रेम करने की मशीन ….माँ के प्रति कुछ कर्तव्य भी है …. “माँ” … कहीं बस संबोधन बन कर ही न रह जाए डुग – डुग , डुग , डुग … मेहरबान कद्रदान, आइये ,आइयेमदारी का खेल शुरू होता है | तो … Read more

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सावन के पहले सोमवार पर :उसकी निशानी वो भोला – भाला

  मंदिर एक प्राचीन शिव समाधि में आसीन शिव और शिवत्व जीव और ब्रम्हत्व शांत निर्मल निर्विकार उर्जा और शक्ति के भंडार दो नेत्र  कोमल, दया के सिन्धु श्रृष्टि   सृजन के प्रतीक बिंदु तीसरा नेत्र कठोर विकराल मृत्यु संहार साक्षात काल डमरू की अनहद नाद ओमकार का शब्दिक वाद शांत, योग, समाधि में आसीन ब्रम्ह … Read more

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