औरतें है तो क्या हुआ, कोई बेजुबान जानवर तो नहीं आज वह पुरुष से कन्धा मिला कर चलती है, आज औरत प्रगति के हर क्षेत्र में , पुरुष की ही तरह भागीदार है, सोनिया, सुषमा, माया, मीरा,हैं जयललिता, ममता ,विजयाराजे शीला, हैं कल्पना है, बिचेंदेरी है,विलियम है,पी टी उषा है, राजनीति में ,सेना में, सब स्थान पर पूरी जिम्मेवार है, बस ,सोच को बदलना है, समाज का सहयोग तलबना है, औरत और पुरुष के शारीरिक फर्क को अगर, हम मानसिक फर्क समझेगें , तब तक इस समाज के पूर्ण उत्थान को तरसेगें. —– जय प्रकाश भाटिया
औरतें है तो क्या हुआ
औरतें है तो क्या हुआ,
कोई बेजुबान जानवर तो नहीं
आज वह पुरुष से कन्धा मिला कर चलती है,
आज औरत प्रगति के हर क्षेत्र में ,
पुरुष की ही तरह भागीदार है,
सोनिया, सुषमा, माया, मीरा,हैं
जयललिता, ममता ,विजयाराजे शीला, हैं
कल्पना है, बिचेंदेरी है,विलियम है,पी टी उषा है,
राजनीति में ,सेना में, सब स्थान पर पूरी जिम्मेवार है,
बस ,सोच को बदलना है,
समाज का सहयोग तलबना है,
औरत और पुरुष के शारीरिक फर्क को अगर,
हम मानसिक फर्क समझेगें ,
तब तक इस समाज के पूर्ण उत्थान को तरसेगें. —– जय प्रकाश भाटिया
रश्मि जी की लेखनी में जादू है ……..शानदार अभिव्यक्ति
धन्यवाद मित्र