सूर्य पृथ्वी के लिए उर्जा का केंद्र है। सूर्य के कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव हुआ इसी कारण सूर्य को देवता भी मानते हैं वनस्पतियाँ सौर उर्जा को अवशोषित कर जो भोजन (फल ,सब्जियां ,अनाज ) बनाती हैं उसी से धरती पर सारा इकोसिस्टम चलता है। पर सूर्य का महत्व यहीं तक सीमित नहीं है। कहा जाता है की जिस तरह पेड़ पौधों में क्लोरोफिल सूर्य प्रकाश से क्रियाशील हो कर भोजन निर्माण करता है , उसी तरह मनुष्य की आँखों में एक तत्व होता है जो सूर्य प्रकाश को ग्रहण कर के मष्तिष्क तक पहुचाता है और मष्तिष्क क्रियाशील हो कर ऊर्जा का निर्माण करता है और शरीर को आरोग्य प्रदान करता है.सूर्योदय के समय लगभग एक घंटे तक वातावरण में अदृश्य पराबैगनी किरने (अल्ट्रा वायलेट रेज ) का विशेष प्रभाव होता है यह विटामिन डी का अच्छा श्रोत होती हैं। नेत्रों के माध्यम से सूर्य की उर्जा हमारे मष्तिस्क में पहुँचती है और हमारी मानसिक क्षमता को बढ़ाती है। इसके लिए प्रतिदिन सूर्य दर्शन की अवधि बढाकर आँखों को सूर्य दर्शन के लिए अभ्यस्त किया जा सकता है व् इस ऊर्जा का अधिकाधिक लाभ उठाया जा सकता है। .
सूर्य दर्शन का समय :-
सूर्योदय के बाद लगभग एक घंटे तक सूर्य दर्शन का सही समय होता है ,इससे आँखों को क्षति नहीं पहुँचती है ,इसके बाद करे गए सूर्य दर्शन में जैसे संध्या वंदन (सूर्यास्त से एक घंटा पहले ) सूर्य दर्शन दोनों हाथों से एक मुद्रा बना कर उसमे से किया जाता है। साथ ही जल से अर्घ देने का भी विधान है जिससे सूर्य की किरने अपवर्तित हो कर आँखों पर पड़े और ज़्यादा रौशनी से आँखों पर बुरा असर ना हो.