जाने कितने जज्बात को
समेटे है , स्नेह की ये डोर
वो संग हँसना – खिलखिलाना
नोक -झोंक , रूठना मनाना
वो शरारत भरी अठखेलियां
भईया बहुत कुछ याद आता है
एक तुम्हारी याद के साथ ||
डॉली अग्रवाल
अटूट बंधन
जाने कितने जज्बात को
समेटे है , स्नेह की ये डोर
वो संग हँसना – खिलखिलाना
नोक -झोंक , रूठना मनाना
वो शरारत भरी अठखेलियां
भईया बहुत कुछ याद आता है
एक तुम्हारी याद के साथ ||
डॉली अग्रवाल
अटूट बंधन
सच में ! भाग्य से ही भाई मिलता है 🙂