एक पाती भाई /बहन के नाम ( संगीता सिंह भावना )

मेरे भाई,, 

आज मैं तुमसे शादी के करीब इक्कीस साल बाद कुछ कहना चाहती हूँ | कहने का मन तो कई बार हुआ पर लगा यह उचित अवसर नहीं है | भाई,,मैं जब-जब मायके आई तुमने मुझे बहुत मान  दिया | वैसे तो मैं तुमसे पाँच साल बड़ी हूँ पर तुमने हमेशा बड़े भाई का फर्ज निभाया ,,मेरी हर परेशानियों पर तुम्हें खुद से ज्यादा परेशान होते देखा और मेरी खुशी के हर क्षण मे तुम साथ रहे | मुझे आज भी अच्छी तरह से याद है ,जब मैं एक बार विदा होकर अपने पिया के घर को आ रही थी ,तुम मलेरिया-टाइफाइड दोनों से बुरी तरह से त्रस्त थे,तुम्हारा बुखार उतरता ही नहीं था और मेरे जाने का समय हो गया ,जब मैं तुमसे मिलने गई तो तुम चादर ओढ़कर सो रहे थे मैंने जैसे ही चादर उठाया तुम रो पड़े ,,मैं भी फफक पड़ी और सोचने लगी कि बेटियाँ इतनी मजबूर क्यों होती हैं …….??? मैं चाहकर भी तुम्हारे पास नहीं रूक पाई क्योंकि मेरी सास बीमार थी और मेरा वहाँ होना ज्यादा जरूरी था | 
भाई ,तुम्हें शायद याद होगा जब ” माँ” बीमार थी ,तुमने मुझे फोन से बताया कि माँ बहुत बीमार है और मैं वाराणसी लेकर आ रहा हूँ | माँ जो कि मौत के बहुत करीब पहुँच गई थी ,ऐसा डाक्टरों का कहना था ,पर तुम तन-मन -धन से लगे रहे ,हम दोनों की ड्यूटी हॉस्पिटल में लगी थी पर तुम दोनों ड्यूटी निभाते और मुझे जबरन घर भेज देते | मैं घर आ तो जाती लेकिन मेरा मन मुझे अंदर ही अंदर परेशान करता क्योंकि तुम छोटे जो थे | मैं कभी-कभी सोचती कि भगवान न करे अगर माँ को कुछ हो गया तो तुम अकेले उस अंतहीन पीड़ा को कैसे संभालोगे पर मैं कर भी क्या सकती थी तुम तो मुझे वहाँ रुकने ही नहीं देते थे   और अंत में तुम्हारे हौसले की जीत हुई ,जिसका नतीजा है कि आज माँ हमारे साथ है | कहने को तो कई ऐसे मंजर आए जब तुमने बड़े भाई जैसा फर्ज अदा किया पर मैं शायद वह सब कहकर या याद दिलाकर तुम्हारे मन को दुखी नहीं करना चाहती क्योंकि मैं जानती हूँ जब तुम यह पत्र पढ़ रहे होगे तुम्हारे आँखों में आँसुओं की नमी तैर रही होगी |
जल्द ही रक्षा-बंधन आने वाला है ,मेरे भाई तुम सदा सलामत रहो और हाँ जो बात कहनी थी वो ये है कि तुम हर जन्म में मेरे भैया बनकर आना | 
                                                                 तुम्हारी बहना 
                                                                    संगीता 

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