अटल रहे सुहाग : चौथी कड़ी : कहानी—” सरप्राइज “


रिया,,,, ,,, रिया,,,,,,
बेटा सारा सामान रख लिया न पूजा का, बेटा सब इकट्ठा करो एक जगह ,,,,, थाली में, ,, तुमको जाना है न ,, पार्क में पूजा के वास्ते, ,,, हाँ , माँ
मैने सब कुछ रख लिया
, ,, माँ, आप कितनी अच्छी हो,,, सारी चीजों का ध्यान रखती हो,,,,,, ये कहते-कहते रिया माँ से लिपट गई थी
अनुराधा जो रिया की सास थीं, ,, वाकई में सास हो तो अनुराधा जैसी, ,,,,,,,।कितना ध्यान रखती थी रिया का,,,, क्योंकि बेटा सिद्धार्थ बाहर नेवी
में जाॅव करता था
, और नेवी वाले हर करवाचौथ पर पास में
ही हो
, ये संभव नहीं था ।अनुराधा इस व्रत की
भावना को बहुत अच्छी तरह पहचानती थी
,,,, इसी
कारण
, उसका उसका व्यवहार भी रिया के लिए
पूर्ण
समर्पित था ,,,।रिया उसकी बहू ही नहीं, ,,, एक बेटी, सहेली और हर सुख दुःख की साथी थी ,,,, आज दो दिनों से उसकी तैयारी करवा रहीं थी
अनुराधा
, ,।अच्छे से अच्छे मेहंदी वाले से
मेहंदी लगवाना तो उनका सबसे बडा शौक था

,,,,,, आज
भी रिया की मेहंदी देख कर बडी खुश थीं
, ,,, और
उसकी मेहंदी को देखते-देखते
, जाने
कौन सी दुनिया में खो गई थी
, ,,, 
रा,,,,,जेश
को मेरे हाथों में मेहंदी कितनी पसंद थी
,,,,, वो
तीज
, त्यौहार बिना मेहंदी के ,,, मेरे हाथों को देख ही नहीं सकते थे
और फिर “करवाचौथ”
,,,,,,,उस पर तो उनका
विषेश आग्रह होता था मेहंदी वाले से
,,,,,,,,
खूब अच्छी तरह याद है कि एक करवाचौथ
पर
, मेहंदी नहीं लगवा पाई थी ,तो किस तरह सारा घर आसमान पर उठा लिया था
इन्होनें
, ,,, अम्मा,
,,,
अम्मा, अनु के हाथों में मेहंदी क्यूँ नहीं
लगी
,,,, क्या , काम में इतनी भी फुर्सत नहीं मिली, ,,,,। अम्मा तो जानों करेला खा कर बैठीं थीं, ,,, अरे,,,,
मैं क्या जानूं क्यों न लगी,,,,
अम्मा ने जवाब दिया ,,,,,, तो ,,,,, तुम्हें लेकर जाना चाहिए था अम्मा, ,,,। बस राजेश का इतना कहना था कि बिफर
गईं
,,,,,,,,,,अरे एक साल
नहीं लगेगी तो कोई
आफत
नहीं आ जायेगी
,,,,,।इतनी,, परवाह थी,,,,, तो ले जाता, आया क्यों नहीं नौकरी के बीच में
छुट्टी लेकर
, ,,, राजेश को अम्मा से ऐसे जवाब की
उम्मीद न थी
,,,।कि जिसकी बहू, उसी के बेटे की सलामती के लिए व्रत
और श्रंगार कर रही है और अम्मा
, ,,,,,, ऐसे
कैसे बोल सकती हैं।आज राजेश को समझ आ चुका था
, अनु
के चुप रहने का राज
, ,,,,,, तभी और उसी दिन राजेश ने सोच लिया था
कि अनु को लेकर
, ,,, वो ट्रांसफर
पर चला जायेगा
,,, सिद्धार्थ की भी पढाई पूरी होने जा रही थी, सिद्धार्थ भी 24 साल का हो गया था और राजेश उसके लिए
लडकी अपनी पसंद की लाना चाहते थे
, ,,, क्योंकि
सिद्धार्थ मुझे ब्यूटी क्वीन जो कहता रहता था
अम्मा
गुज़र चुकी थीं
, राजेश ने सिद्धार्थ की शादी में किसी
चीज की कमी न रहने दी थी कितना उत्साह था इनको
,,,,,, कि
घर में रौनक छा जायेगी
, ,,, रिया हमारे घर की बहू बन कर आ चुकी
थी
, और हमारी लाइफ बहुत अच्छी तरह से चल
रही थी
, कितना स्नेह था राजेश को रिया से, बेटी की तरह हर इच्छा का ख्याल रखते
थे
, ,,, एक दिन सिद्धार्थ ने बताया कि उसका
नेवी में सिलेक्शन हो गया है
, तो
किस कदर सारे घर में शोर मचा था
, ,,, अनु
का तो रो -रो कर बुरा हाल था
, लेकिन
रिया की तरफ देख कर अपनी भावनाओं को दबा दिया था उसने
,,,,, क्योंकि रिया नहीं जा सकती थी उसके
साथ
 सिद्धार्थ नौकरी पर चला गया था, शिप पर । 

अब रिया, राजेश
और
,,, मैं ही तो रह गये थे , रिया तो जैसे हमारे आँखों का तारा बन गई थी,,, अचानक एक दिन ऐसा आया कि राजेश की तबियत इतनी
बिगड गई
, कि डॉ. तक ने जवाब दे दिया, ,,,,और इनको भी जाना पडा । विधि के विधान को टालना किसी के बस की नहीं है अगर होती, तो अनु कभी न जाने देती राजेश को दूसरी दुनिया में, ,,,,,,,,। सारी जिन्दगी अम्मा के एक ही
आशीर्वाद के लिए तरसती रही थी
, जब
भी पैर छूआ
,,,,ठीक है, ,, खुश रहो,, बस । अनु औरौ को देखा करती थी, बडी-बूढी औरतें ,,,,,,, सदा सुहागिन रहो, अटल रहे सुहाग तेरा ,,, जाने कितने आशीष थे ,,,, उनके पास । माँ, ,,, माँ, क्या सोच रही हैं, , देखो, मेरी
मेहंदी कितनी लाल रंग लाई है
, ,,।रिया
की आवाज जैसे ही अनुराधा के कानों में पडी
, तो
चौंकते
हुए ही कहा था उन्होंने, ,,,, ओहहो,,,,,
रिया,,, ये तो बहुत ही लाल रंग आया है तेरी
मेहंदी का
, ,,,,, और उसने रिया
के हाथों को चूमते हुए कहा था
,,,, जा,, जाकर तैयार हो जा ,,,, आज अनु बहुत खुश थी , क्योंकि एक राज,,,,, उसने छुपा रखा था अपने सीने में, ,,, और वो था ,,, कि आज उसके जिगर का टुकडा, लाडला बेटा सिद्धार्थ जो आ रहा था, ,,,,।उसकी और सिद्धार्थ की बातें जो हो
चुकी थीं
, कि रिया को बताना नहीं है माँ, ,,,, ” सरप्राइज” दुंगा, , शाम हो चुकी थी और रिया दुल्हन की तरह सजी हुई
थी
, उसने पूजा की और पूजा करके उठी ही थी
कि
, अचानक घंटी बजी, ,, रिया ने सोचा माँ खोल देंगी, ,,, लेकिन अनुराधा थी कि, ,, अपने को व्यस्त शो करने में लगीं थीं
कि दरवाजा रिया ही खोले
,,,,,नारी के
अंतर्मन को अनुराधा पूरी तरह समझती थी
,,,, रिया उठी, उसने जैसे ही डोर खोला ,,,,,, वो देखते ही रह गई, ,,,,, सामने सिद्धार्थ खडा था, हाथ में फूलों का खूबसूरत बुके को
लेकर
,, हैप्पी, , करवाचौथ डार्लिंग, ,,,,,,,
 

रिया थी कि उसको अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं
आ रहा था और
उसके होठों से ,,,, कोई शब्द ही नही निकल रहे थे, ,,, वो सिद्धार्थ की जगह ,,,,माँ से लिपट गई थी जा कर,,,,,,। सिद्धार्थ भी ,,,, माँ से आ कर गले लग गया था । छत पर रिया ने चाँद को अर्ध्य दिया, चलनी की ओट से सिद्धार्थ को देखा, ,,,,और दोनों माँ का आशीर्वाद लेने, ,,,,, नीचे उनके चरणों में झुके,,,,,, तो अनुराधा के होठों पर एक ही
आशीर्वाद था
, ,,,” अटल रहे सुहाग
तेरा ” रिया तुम दोनों खुश रहो
,,, ये कह कर अनुराधा ने दोनों को अनुराधा ने दोनों को
ममता की छाॅव में छुपा लिया था।
रिया
को
, माँ और सिद्धार्थ की ओर से मिला ये सरप्राइज‘-“करवाचौथ”का
अमूल्य तोहफा था।

—— लेखिका–कुसुम पालीवाल



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